Bhopal. पिछले दिनों राजधानी भोपाल के सतपुड़ा भवन में लगी आग की जांच में लापरवाहियों का पूरा का पूरा पुलिंदा सामने आ रहा है। बिल्डिंग के फायर ऑडिट में सामने आया है कि जिस कमरे से आग भड़की उस कमरे के कांच तक पिघल गए थे। संभावना जताई जा रही है कि उस दौरान कमरे का तापमान 1700 डिग्री सेल्सियस रहा होगा। वहीं इतने ज्यादा तापमान में आसपास के कमरों में रखी फाइलें और फर्नीचर अपने आप जल उठे होंगे। क्योंकि कागज के लिए 250 डिग्री का तापमान स्वतः दहन के लिए काफी हो जाता है। यानि इतने तापमान में कागज खुद आग पकड़ लेता है।
लॉबी और कमरों में भी लगा था दस्तावेजों का ढेर
फायर ऑडिट के दौरान यह भी सामने आया कि बगैर किसी प्लानिंग के भवन की लॉबी और कमरों के बाहर फाइलों का अंबार लगा हुआ था। माना जा रहा है कि इन्हीं फाइलों ने ऑटो फ्यूल का काम किया होगा और आग ने इतना भयंकर रूप ले लिया। सतपुड़ा भवन के नौकरशाह यदि चाहते तो ये फाइलें सलीके के साथ रखी जा सकती थीं। जिनकी लापरवाही से 40 सालों का पूरा रिकॉर्ड जलकर खाक हो गया। यह भी सामने आया है कि भवन की छठवीं मंजिल पर काम चल रहा था और पांचवी मंजिल को भी तोड़ा जा रहा था। जिसका सामान सीढ़ी और लॉबी में जहां-तहां रखा गया था।
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पीडब्ल्यूडी करा रहा फायर ऑडिट
बता दें कि सतपुड़ा भवन के मेंटेनेंस का काम पीडब्ल्यूडी का सीपीए विभाग कर रहा है। पीडब्ल्यूडी ने फायर ऑडिट की जिम्मेदारी आरपीएम फायर सर्विसेज नामक कंपनी को दी है। इसके लिए टेंडर जारी किया गया और वर्कऑर्डर मिलने के बाद कंपनी ने फायर ऑडिट शुरू कर दिया है।
सामने आई कई खामियां
फायर ऑडिट के दौरान कई खामियां सामने आई हैं। भवन में 40 साल से भी पुरानी फाइलें रखीं थीं, जो क्लास-ए फायर कैटेगिरी की होती हैं। गनीमत बस यही थी कि कोई जनहानि नहीं हुई, वरना ऐसी आग में धुएं से दम घुटने से भी कई जानें जा सकती थीं। भवन में आउटडेटेड अग्निशमन यंत्र लगे हुए थे, जो बंद पड़े थे। कर्मचारियों को भी अग्निशमन के बारे में कोई अनुभव नहीं था, जब एसी के केपेसीटर फटने लगे तो भवन में भगदड़ मची।