UJJAIN. महाकाल महालोक में आई आंधी अब सबकी परतें खोलने वाली हैं। रविवार ( 4 जून) को आंधी में सप्तऋषि की छह मूर्तियां गिरने के मामले की जांच करने शनिवार (3 जून) को लोकायुक्त संगठन के पदाधिकारी पहुंचे और ठोक-बजाकर बारीकी से निरीक्षण किया। संगठन के चीफ इंजीनियर एनएस जोहरी के साथ दो अन्य अधिकारियों ने स्मार्ट सिटी के डायरेक्टर नीरज पांडे और अन्य अधिकारियों के साथ महाकाल महालोक का निरीक्षण किया। इस दौरान जांच में पाया गया कि मूर्तियों को गिरने से बचाने के लिए पेडस्टल पर लोहे और स्टील का पाइप नहीं लगाया गया था। कहीं-कहीं तो पेडस्टल पर लगाए गए ग्रेनाइट तक टूटे मिले हैं। ऐसे में अब संभव है कि निर्माण में होने वाले भ्रष्टाचार से जल्द ही पर्दा उठ जाएगा और कई चेहरे उजागर होंगे।
मूर्तियों में दरारें, पेडस्टल कमजोर और रंग भी उतरा
लोकायुक्त की टीम सबसे पहले उस स्थान पर पहुंची, जहां सप्तऋषियों की मूर्तियां लगी थीं। फिर कमल की आकृति में बनाए गए पेडस्टल पर चढ़कर अधिकारियों ने पता लगाने की कोशिश की कि आखिर मूर्तियां गिरी क्यों थीं? इसके अलावा अन्य मूर्तियों की ऊंचाई इंच टेप से नापी गई। टीम को कई मूर्तियों में दरारें और पेडस्टल कमजोर मिले। कई मूर्तियों का रंग भी उतरा मिला।
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मूर्तियों को पीछे से कटवाकर देखी गुणवत्ता
अधिकारियों को दिखाने के लिए स्मार्ट सिटी के अधिकारियों ने रावण द्वारा कैलास पर्वत को उठाने और शिव की मूर्तियों के पिछले हिस्से का कुछ भाग काट रखा था। इसके जरिए मूर्तियों की गुणवत्ता का परीक्षण किया गया। टीम ने करीब दो घंटे तक एक-एक मूर्ति की बारीकी से जांच की।