BHOPAL. भोपाल के सतपुड़ा भवन में 12 जून को आग लगने के बाद सीएम ने एक जांच कमेटी बनाई गई थी। कमेटी ने सोमवार को 287 पेज की रिपोर्ट शासन को सौंप दी है। रिपोर्ट में गंभीर लापरवाही का खुलासा हुआ है। समिति ने तीन स्पॉट इंस्पेक्शन, 32 लोगों के शपथ पूर्वक बयानों, स्टेट फॉरेंसिक साइंस लैब की जांच रिपोर्ट, चीफ इलेक्ट्रिसिटी इंस्पेक्टर और उनकी टीम की टेक्निकल रिपोर्ट के साथ-साथ आग से हुए नुकसान के आकलन के लिए बनी पीडब्ल्यूडी विभाग की दो सब कमेटियों के प्रतिवेदन को शामिल करते रिपोर्ट दी है।
सतपुड़ा भवन में 12 जून की शाम 4 बजे भीषण आग लगी थी
दरअसल, मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के मंत्रालय के ठीक सामने स्थित सतपुड़ा भवन में 12 जून की शाम 4 बजे भीषण आग लगी थी। जिस पर 14 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद 13 जून की सुबह काबू पाया गया था। आग लगने के बाद जमकर राजनीति हुई थी।
सीएम ने आग के प्रारंभिक कारणों को जानने कमेटी बनाई थी
विपक्ष द्वारा सरकार पर भ्रष्टाचार के सबूतों को जलाने का आरोप लगाया गया था। इसको लेकर सीएम ने एक जांच कमेटी बनाई थी। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने आग के प्रारंभिक कारणों को जानने के लिए कमेटी घोषित की थी। कमेटी में एसीएस होम राजेश राजौरा, पीएस अर्बन नीरज मंडलोई, पीएस पीडब्ल्यूडी सुखबीर सिंह और एडीजी फायर शामिल है।
मोबाइलों में लिए गए फोटो-वीडियो के आधार पर बनी रिपोर्ट
जांच रिपोर्ट में बताया गया है कि सतपुड़ा भवन की तीसरी, चौथी, पांचवीं और छठी मंजिल में मौजूद कर्मचारियों और अधिकारियों के शपथपूर्वक लिए गए बयानों, प्रत्यक्षदर्शियों के मोबाइलों में लिए गए फोटो-वीडियो के आधार पर आग लगने की घटना तीसरी मंजिल, पश्चिमी विंग, सतपुड़ा भवन पर स्थित वीरेन्द्र सिंह, सहायक आयुक्त, टीएडीपी के कक्ष में 12 जून 2023 की शाम लगभग 4 बजे से 4.05 बजे के बीच लगने की पुष्टि हुई।
कोरोना काल से जुड़ी फाइलें राख होने की आशंका
इन विभागों में रखे स्वास्थ्य सेवाओं की स्थापना, शिकायत शाखा समेत विधानसभा प्रश्न से संबंधित दस्तावेज जल गए हैं। हजारों की संख्या में यहां फाइल्स मौजूद थीं, जिनके पूरी तरह जलकर राख हो जाने की भी आशंका है। बताया जा रहा है कि यहां कोरोना काल के समय स्वास्थ्य विभाग में की गई खरीदी और अस्पतालों को किए गए भुगतान से जुड़ी फाइल्स भी थीं।
25 करोड़ का फर्नीचर और 12 हजार से ज्यादा फाइलें जल गईं
सतपुड़ा भवन में सोमवार को लगी आग से करीब 25 करोड़ का फर्नीचर और 12 हजार से ज्यादा अहम फाइलें स्वाहा हो गईं। मतलब राज्य निदेशालय के लगभग 80 फीसदी दस्तावेज खाक हो गए। आग लगने के समय भवन के अंदर एक हजार से ज्यादा लोग थे, लेकिन उन्होंने समय रहते बाहर निकलकर अपनी जान बचा ली। गनीमत रही कि इस घटना में कोई हताहत नहीं हुआ।
फॉरेंसिक साइंस लैबोरेट्री सागर की रिपोर्ट में मिली यह जानकारी
सतपुडा भवन के तृतीय तल स्थित आदिम जाति कल्याण विभाग के संचालक वीरेन्द्र सिंह के कमरे में स्थित एमसीबी बोर्ड, वायर जली अवस्था में मिले। सतपुडा भवन के थर्ड फ्लोर स्थित आदिम आदिम जाति कल्याण विभाग के उप संचालक वीरेन्द्र सिंह के कमरे का एसी का जला अधजला छोटा बोर्ड, वायर सहित जली अवस्था मे मिला है। यहां मिले विद्युत तारों में शॉर्ट सर्किट से पैदा हुए इंटरनल हाई टेंपरेचर सबूत मिले हैं। राज्य न्यायालयीन विज्ञान प्रयोगशाला, सागर के द्वारा थीन लेयर क्रोमेटोग्राफिक एवं गैस क्रोमेटोग्राफिक परीक्षण के बाद यह प्रतिवेदन दिया। आठों सैंपल की "वस्तुओं में ज्वलनशील पेट्रोलियम हाइड्रोकार्बन (पेट्रोल / डीजल / केरोसीन) के अवशेष अनुपस्थित हैं।"
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बिजली के तारों में शॉर्ट सर्किट से पैदा होने वाला आंतरिक ताप का असर है
राज्य न्यायालयीन विज्ञान प्रयोगशाला, सागर के द्वारा उपरोक्त 4 ए तथा 4 बी के आधार पर निष्कर्ष दिया गया है कि राज्य न्यायालयिक विज्ञान प्रयोगशाला की भौतिक शाखा से प्राप्त रिपोर्ट के आधार पर सतपुड़ा भवन की तीसरी मंजिल पर स्थित आदिम जाति कल्याण विभाग के उप संचालक वीरेन्द्र सिंह के कमरे में लगा एल्युमिनियम धातु से बना विद्युत तार तथा एमसीबी (मिनियेचर सरकिट ब्रेकर) के जले-अधजले भाग एवं कॉपर जैसी धातु के मल्टी स्ट्रेण्ड्स विद्युत तार में उपस्थित विद्युत तारों में शॉर्ट सर्किट से उत्पन्न होने वाले आंतरिक ताप के प्रभाव हैं। अतः तीसरी मंजिल पर आग लगने का संभावित कारण विद्युत शॉर्ट सर्किट से होना प्रतीत होता है।
बीजेपी ने कहा है कार्यालय में कोई संवेदनशील दस्तावेज नहीं थे
ह दूसरी बार है जब इस भवन में आग लगी। इससे पहले भी साल 2018 में विधानसभा चुनाव के ठीक बाद और साल 2012 में चुनाव के पहले इसी भवन की तीसरी मंजिल धधक उठी थी। अब फिर चुनाव से 4 माह पहले लगी आग को विपक्षी दल कांग्रेस ने साजिश करार दिया है, जबकि सूबे के सत्तारूढ़ दल बीजेपी ने कहा है कि इस कार्यालय में कोई संवेदनशील दस्तावेज नहीं थे।