यूको व अन्य बैंक से 110 करोड़ रुपए का बैंक लोन लेकर डिफॉल्ट करने वाले इंदौर के कैलाश गर्ग की कंपनी नारायण निर्यात इंडिया प्रालि से जुड़ी विविध संपत्तियों को अब वसूली के लिए बैंक द्वारा नीलाम किया जाएगा। इसकी सूचना औपचारिक तौर पर बैंक द्वारा जारी कर दी गई है। यह नीलामी 30 दिसंबर को होगी। इस घोटाले में पर्दे के पीछे चंपू अजमेरा की भी भूमिका रही है। इसके चलते ईडी ने गर्ग और चंपू दोनों के यहां छापे भी मारे थे।
कुल 123 करोड़ बकाया
बैंक ने ब्याज के साथ बकाया राशि कुल 123 करोड़ रुपए बताई है। यूको बैंक द्वारा जारी की गई इस सूचना में बताया गया है कि गर्ग की कंपनियों पर यूको बैंक का 39 करोड़, यूनियन बैंक का 49.41 करोड़ रुपए और पंजाब नेशनल बैंक का 35 करोड़ रुपए बकाया है।
इन संपत्तियों को किया जा रहा नीलाम
नीलामी में बताया गया है कि न्यू पलासिया की ब्रांच से यह लोन मेसर्स नारायण निर्यात इंडिया प्रालि के डायरेक्टर्स कैलाश चंद्र पिता बापूलाल गर्ग, सुरेश चंद्र पिता बाबूलाल गर्ग है। वहीं नीलाम होने वाली संपत्तियों में यह शामिल हैं।
- कुम्हारी तहसील जावरा रतलाम के सर्वे नंबर 17/1, 17/2, 17/11 की भूमि पर बना भवन, कुल एरिया 1.372 हेक्टेयर। संपत्ति मालिक कैलाश गर्ग व अर्जुनदास होठवानी।
- सर्वे नंबर 17/3, 17/4, 17/9, कुम्हारी तहसील जावरा रतलाम की 0.278 हेक्टेयर जमीन व भवन, संपत्ति मालिक कैलाश गर्ग व अर्जुनदास होठवानी।
ईडी पहले संपत्ति कर चुकी अटैच
ईडी भी इस मामल में कैलाश गर्ग और भूमाफिया चंपू अजमेरा के यहां छापे मार चुकी है। छापे के बाद ईडी ने जून के अंत में गर्ग की कई संपत्तियों को अटैच किया था। इसकी जानकारी देते हुए ईडी ने बताया था कि गर्ग की कंपनियों द्वारा यूको बैंक से कई कंपनियों के अलग-अलग प्रोजेक्ट के लिए 110 करोड़ रुपए का लोन लिया गया था। लेकिन इस राशि को अन्य कामों के लिए दूसरी कंपनियों में शिफ्ट कर दिया गया। लोन के लिए गलत दस्तावेज लगाए गए थे। कंपनी की मप्र के साथ ही महाराष्ट्र् में भी संपत्तियां हैं। इसमें 34 प्रॉपर्टी अटैच की गई जिसमें इंदौर, जावरा, नीमच, महाराष्ट्र के अकोला की संपत्तियां हैं।
सीबीआई ने 2020 में दर्ज की थी एफआईआर
यूको बैंक की शिकायत पर सीबीआई ने 5 नवंबर 2020 में बैंक लोन घोटाले में मेसर्स नारायण निर्यात इंडिया प्रालि कंपनी मंदसौर, सुरेश गर्ग (निधन हो चुका), कैलाश गर्ग और दो अन्य अज्ञात लोक सेवक पर 120 बी व 420 की धारा में एफआईआर दर्ज की थी। इसमें कहा गया था कि बैंक लोन लिया गया और इस लोन को गर्ग परिवार द्वारा अपनी सिस्टर कंसर्न कंपनी में शिफ्ट कर दिया गया। यह बैंक लोन का फंड सिस्टर कंसर्न कंपनियों नारायण ट्रेडिंग कंपनी, रामकृष्णा साल्वेक्स, पद्मावती ट्रेडिंग, मंदसौर सेल्स कॉर्पोरेशन में शिफ्ट हुआ। बैंक ने अपनी रिपोर्ट में यह भी बताया कि इन कंपनियों के डायरेक्टर, लोन लेने वाली कंपनी से ही लिंक थे।
इन तीन बैंकों के 106.50 करोड़ रुपए डूबे
यूनियन बैंक एमजी रोड रीगल चिराहा ने 38.44 करोड़ का लोन दिया और इसमें से 33.44 करोड़ डूब गए, यूको बैंक न्यू पलासिया ने 34.28 करोड़ रुपए का लोन दिया और यह पूरा डूब गया, पंजाब नेशनल बैंक, मनोरमागंज ने 33.84 करोड़ रुपए का लोन दिया और इसमें से 33.44 करोड़ रुपए डूब गए।
गर्ग के खेल में चंपू की इस तरह रही भागीदारी
सैटेलाइट हिल्स कॉलोनी साल 2007 में ही टीएंडसीपी में पास हुई और इसके साथ ही इसमें खरीद-बिक्री शुरू हो गई। चंपू और योगिता अजमेरा को गर्ग ने कंपनी का डायरेक्टर बनाया। बाद में चंपू को प्लाट की सौदे बाजी के अधिकार दिए गए। चंपू ने जमकर बेचे। वहीं प्लाट की बिक्री के बाद साल 2011-12 के दौरान गर्ग ने सैटेलाइट हिल्स की जमीन व अन्य जगह की जमीन व अन्य संपत्तियों को गिरवी रखकर बैंक से लोन ले लिया। इस पूरे खेल में चंपू और गर्ग एक-दूसरे पर जिम्मेदारी ढोल रहे हैं और बीच में बैंक वाले और 71 प्लाटधारक उलझ गए।
सैटेलाइट की इन जमीनों पर लिया गया बैंक लोन
मेसर्स नारायण निर्यात इंडिया प्रालि ने 110.50 करोड़ को लोन की सुरक्षा के लिए एवलांच रियल्टी प्रा लि की ओर से संचालक कैलाश गर्ग द्वारा सैटेलाइट हिल्स कॉलोनी की भूमि सर्वे नंबर 111, 112, 114/1/1, 114/2, 123, 124, 125, 130/3, 130/4, 138, 138/1, 140/1, 140/2. 215/1/1, 215/1/2, 215/1/3, 215/1/4 को गिरवी रखा गया। जबकि इन जमीन पर पूर्व में ही भूखंडों के रूप में विभाजित कर विक्रय कर दिया गया। प्लाट की बिक्री का यह काम चंपू अजमेरा ने किया।
चंपू, योगिता रहे थे कंपनी में डायरेक्टर
सैटेलाइट कॉलोनी एवलांच कंपनी जो साल 2008 में चुघ ने बनाई लांच की गई थी। इसके बाद चुघ हट गए और कैलाश गर्ग व सुरेश गर्ग आ गए। बाद में प्रेमलता गर्ग और भगवानदास होटलानी डायरेक्टर बने। गर्ग ने यूको बैंक, पंजाब नेशनल बैंक से 110 करोड़ का लोन लिया। कंपनी ने 10 अप्रैल 2008 को प्रस्ताव पास कर चंपू को डेवलपर्स बनाते हुए सौदे करने की पॉवर ऑप अटॉर्नी दे दी। वहीं नारायण एंड अंबिका साल्वेक्स इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी बनी जिसमें कॉलोनी के डेवलपर्स का काम लिया। इस कंपनी में चंपू और योगिता दोनों डायेरक्टर बने। यह साल 2009-10 तक डायरेक्टर रहे। कॉलोनी के सौदे और बिक्री चंपू ने की। इस मामले में कैलाश गर्ग प्लाट के विवाद पर यह कहता है कि मैंने वह जमीन गिरवी नहीं रखी जो चंपू ने बेची, मैंने दूसरी जमीन गिरवी रख बैंक से लोन लिया था। वहीं चंपू कहता है कि प्लाट की जमीन गर्ग बैंक में गिरवी रख लोन ले चुका है, मैं अब प्लाट, राशि नहीं दे सकता हूं।
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