120 करोड़ जमा होते ही सालों से अटका महू-सनावद रेलखंड पटरी को मिलेगी हरी झंडी

इंदौर-खंडवा ब्रॉडगेज परियोजना की मंजूरी के लिए 100 करोड़ रुपए जमा करने होंगे। यह राशि वन संरक्षण के लिए जरूरी है। राशि जमा होने के बाद महू से सनावद रेलखंड को स्वीकृति मिलेगी।

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Rahul Dave
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Indore-Khandwa Broad Gauge Rail Project
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Indore. इंदौर-खंडवा ब्रॉडगेज रेल परियोजना आखिरकार आगे बढ़ने वाली है, लेकिन वन विभाग की शर्त सीधी और सख्त है। पहले रेल विभाग 100 करोड़ रुपए जमा करो, तभी विकास का रास्ता खुलेगा। पर्यावरणीय क्षति की भरपाई के नाम पर वन विभाग ने रेलवे के सामने साफ शर्त रख दी है। राशि जमा होते ही स्वीकृति दी जाएगी। वर्षों से फाइलों में दबा महू-सनावद रेलखंड जमीन पर उतरना शुरू करेगा।

यह राशि वन संरक्षण अधिनियम के तहत तय की गई है। इतना ही नहीं, नियम बदले तो रेलवे को आगे चलकर अतिरिक्त मार्जिन मनी भी देनी होगी। मतलब साफ है मंजूरी मिली है, लेकिन ढील बिल्कुल नहीं।

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क्यों लटका रहा प्रोजेक्ट

इंदौर-खंडवा ब्रॉडगेज रेल परियोजना का सबसे अहम हिस्सा महू से सनावद-सालों से वन अनुमति में फंसा रहा। नतीजा यह हुआ कि इंदौर-खंडवा-मुंबई कनेक्टिविटी सिर्फ नक्शों और घोषणाओं तक सीमित रह गई। अब जाकर वन विभाग की औपचारिक सहमति से यह प्रोजेक्ट पटरी पर आने को तैयार है।

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4  पॉइंट्स में समझें पूरी स्टोरी

👉 वन विभाग ने पर्यावरणीय क्षति की भरपाई के रूप में रेलवे से 100 करोड़ रुपए की राशि जमा करने की शर्त रखी है। यह राशि वन संरक्षण अधिनियम के तहत निर्धारित की गई है। इस राशि के जमा होते ही प्रोजेक्ट को मंजूरी मिल जाएगी।

👉 वन विभाग का स्पष्ट निर्देश है कि राशि जमा होने के बाद भी कोई ढील नहीं दी जाएगी। इसके साथ ही, अगर भविष्य में नियमों में बदलाव होता है, तो रेलवे को अतिरिक्त मार्जिन मनी भी देने की आवश्यकता हो सकती है।

👉 इंदौर-खंडवा ब्रॉडगेज रेल परियोजना का महत्वपूर्ण हिस्सा महू से सनावद रेलखंड लंबे समय तक वन अनुमति के कारण रुका रहा। अब वन विभाग की औपचारिक सहमति से परियोजना को आगे बढ़ने का रास्ता मिल रहा है।

👉 रेलवे को इंदौर और खरगोन वन क्षेत्र की 454 एकड़ वन भूमि दी जाएगी, लेकिन इसके लिए एक शर्त रखी गई है। रेलवे को केवल भूमि का उपयोग करने का अधिकार होगा, लेकिन उसका मालिकाना हक नहीं होगा। 

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454 एकड़ जमीन, पर हक नहीं

रेलवे को इंदौर और खरगोन वन क्षेत्र की 454 एकड़ वन भूमि दी जाएगी, लेकिन एक लाइन में शर्त लिख दी गई है। जमीन वन विभाग की रहेगी, रेलवे सिर्फ इस्तेमाल करेगा। ना मालिकाना हक, ना कोई अतिरिक्त अधिकार। वन विभाग का कहना है कि यही जमीन किसी और विभाग को दी जाती, तब भी यही सख्त प्रक्रिया लागू होती।

ये बोले- इंदौर DFO मनीष मिश्रा

वहीं इस पूरे मामले में इंदौर DFO मनीष मिश्रा ने बड़ी बात कही हैं। वन अधिनियम के अनुसार रेलवे को 1 करोड़ 20 लाख रुपए प्रति हेक्टेयर क्षतिपूर्ति राशि जमा करनी होगी। राशि जमा होने के बाद ही रेलवे को भूमि उपयोग की अनुमति मिलेगी। इस परियोजना के तहत कुल 454 हेक्टेयर वन भूमि ली जा रही है, जिसमें से 400 हेक्टेयर इंदौर और 54 हेक्टेयर खंडवा क्षेत्र में है।

इस परियोजना से लगभग 1.5 लाख पेड़-पौधे प्रभावित होंगे। प्रतिपूरक उपाय के रूप में धार और झाबुआ में 1000 हेक्टेयर क्षेत्र में 10 लाख पौधे लगाए जाएंगे। इन पौधों की 11 वर्षों तक देखरेख की जाएगी। रेलवे ट्रैक के दोनों ओर ग्रीन कॉरिडोर भी विकसित किया जाएगा।

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