60 साल से बसे 200 परिवारों को मिला वन विभाग का नोटिस : लोग बोले - अब कहां जाएंगे...

कटनी जिले के दड़ौरी गांव में रहने वाले 200 परिवारों को वन विभाग ने नोटिस जारी किया है, जिसमें उनकी ज़मीन के दस्तावेज़ मांगे गए हैं। यह नोटिस उन परिवारों के लिए है जो पिछले 60 वर्षों से इस भूमि पर निवास कर रहे थे।

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Reena Sharma Vijayvargiya
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MP News : मध्‍य प्रदेश : कटनी जिले के विजयराघवगढ़ तहसील में स्थित दड़ौरी गांव में रहने वाले लगभग 200 परिवारों को वन विभाग से एक नोटिस प्राप्त हुआ है। यह नोटिस उन परिवारों से उनकी ज़मीन के दस्तावेज मांगने के लिए जारी किया गया है, जो पिछले कई दशकों से यहां निवास कर रहे थे। वन विभाग के इस कदम से गांव के ग्रामीणों के बीच चिंता और असमंजस का माहौल बना हुआ है।

60 साल पुरानी कहानी – ग्रामीणों के जीवन की नींव

दड़ौरी गांव के निवासी संपतलाल कोल बताते हैं कि वे और उनका परिवार पिछले 60-70 सालों से यहां रह रहे हैं। 1984 में उन्हें ज़मीन का पट्टा प्राप्त हुआ था, जिसके बाद उन्होंने यहां अपना जीवन यापन करना शुरू किया। संपतलाल ने यह भी कहा कि इस वर्ष के बारिश के मौसम में यदि उन्हें यह ज़मीन खाली करनी पड़ी, तो उनका परिवार कहां जाएगा, यह एक बड़ा सवाल बन गया है।

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पट्टे वापस लेने का विवाद

संपतलाल के अनुसार, 2008 में वन विभाग और प्रशासन ने उन्हें पुराने पट्टे वापस करने के लिए कहा था, और बदले में नए पट्टे का आश्वासन दिया था। अब जब वे जमीन के दस्तावेज़ दिखाने के लिए कहे जा रहे हैं, तो यह उनके लिए और अन्य ग्रामीणों के लिए परेशानी का कारण बन गया है। कई ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासनिक कर्मचारियों ने उनके पुराने पट्टे वापस ले लिए हैं और अब उनसे दस्तावेज़ मांग रहे हैं।

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जीवन यापन पर खतरा

यह नोटिस ग्रामीणों के जीवन-यापन पर संकट पैदा कर रहा है। जन्म से नेत्रहीन मनसुख लाल चौधरी भी उन 200 परिवारों में शामिल हैं जिन्हें यह नोटिस मिला है। उनका कहना है कि उन्होंने अपना पूरा जीवन इसी ज़मीन पर बिताया है और यदि यह ज़मीन खाली करनी पड़ी, तो उनके पास कोई और विकल्प नहीं होगा।

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वन विभाग की प्रतिक्रिया – कानूनी प्रक्रिया का पालन

कटनी के डीएफओ मंडला वन अधिकारी गौरव शर्मा ने इस मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यह ज़मीन वन विभाग के क्षेत्र में आती है। उन्होंने स्पष्ट किया कि ग्रामीणों को जारी नोटिस के तहत कब्जे से जुड़े दस्तावेज़ों की मांग की जा रही है और आगे की कार्रवाई पूरी तरह से नियमानुसार होगी।

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ग्रामीणों के लिए कोई समाधान?

यह मामला केवल कागजी कार्यवाही और प्रशासनिक मुद्दों से जुड़ा हुआ नहीं है, बल्कि यह 200 परिवारों के जीवन को संकट में डालने वाला एक बड़ा मुद्दा बन गया है। ग्रामीणों में असमंजस है कि क्या उन्हें अपनी ज़मीन को लेकर कोई समाधान मिलेगा या नहीं।

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