7 साल बाद भी ट्रांसपोर्ट नगर से नहीं हटे अतिक्रमण, HC ने जबलपुर कलेक्टर को लगाई फटकार

हाईकोर्ट ने जबलपुर के ट्रांसपोर्ट नगर में अवैध कब्जों को हटाने की प्रक्रिया में प्रशासनिक सुस्ती पर कलेक्टर दीपक सक्सेना को फटकार लगाई। कोर्ट ने अतिक्रमण हटाने के लिए तुरंत कार्रवाई की हिदायत दी। इस मामले में और किसी बहाने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

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Neel Tiwari
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Photograph: (The Sootr)

JABALPUR. जबलपुर के ट्रांसपोर्ट नगर, चंडालभाटा में हुए अवैध कब्जों को हटाने की मांग को लेकर दायर याचिका पर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। जस्टिस अतुल श्रीधरन और जस्टिस दीपक खोत की डिविजन बेंच ने जबलपुर कलेक्टर दीपक सक्सेना को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया था।

कलेक्टर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश हुए। उन्होंने बताया कि अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई चल रही है, लेकिन कुछ मामले सिविल कोर्ट में लंबित हैं।

इस पर कोर्ट ने दो टूक शब्दों में कहा कि सिविल कोर्ट में लंबित मामलों को छोड़कर बाकी सभी अतिक्रमणों को तुरंत हटाया जाए। कोर्ट ने 2019 से लंबित चल रहे इस मामले में प्रशासनिक सुस्ती पर गहरी आपत्ति जताई और कहा कि अब और बहाने नहीं चलेंगे।

अधिकारियों को मिला 10 दिन का समय, नहीं तो होगी कार्रवाई

कलेक्टर दीपक सक्सेना ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि 15 दिन के भीतर अतिक्रमण हटा लिए जाएंगे। लेकिन, कोर्ट ने इसपर भी सख्त रुख अपनाते हुए सिर्फ 10 दिन का अल्टीमेटम दिया।

बेंच ने आदेश दिया कि 18 जुलाई 2025 तक ट्रांसपोर्ट नगर के सभी अवैध अतिक्रमण हटा दिए जाएं। अन्यथा संबंधित अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

जस्टिस श्रीधरन ने यह भी कहा कि यदि तय समयसीमा में अतिक्रमण हटा दिए जाते हैं, तो याचिका स्वतः निरस्त हो जाएगी, लेकिन ऐसा न होने पर कलेक्टर को दोबारा कोर्ट के समक्ष व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होना पड़ेगा।

कलेक्टर की ड्रेस पर भी जताई आपत्ति

कोर्ट ने कलेक्टर की वेशभूषा पर भी नाराजगी जताई। जस्टिस श्रीधरन ने टिप्पणी की कि कलेक्टर जैसे वरिष्ठ अधिकारी जब राज्य का प्रतिनिधित्व करते हैं, तो उन्हें कोर्ट में पेश होते समय उपयुक्त औपचारिक ड्रेस जैसे टाई या कोट पहनना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि अगली सुनवाई में यह लापरवाही न दोहराई जाए।

2020 में भी मिला था निर्देश, लेकिन नहीं हुई ठोस कार्रवाई

यह मामला नया नहीं है। साल 2020 में भी इस संबंध में हाईकोर्ट ने तत्कालीन कलेक्टर को आदेश दिया था कि ट्रांसपोर्ट नगर चंडालभाटा क्षेत्र में अतिक्रमण की जांच कर कार्रवाई की जाए। तत्कालीन एक्टिंग चीफ जस्टिस की डिविजन बेंच ने कहा था कि राजस्व अधिकारी अगर अतिक्रमण हटाने में असमर्थ हों तो पुलिस बल की मांग करें और एसपी को पुलिसबल उपलब्ध कराना सुनिश्चित करना होगा। कोर्ट ने यह भी कहा था कि कार्रवाई से पहले सभी अतिक्रमणकारियों को सुनवाई का पूरा अवसर दिया जाए। इसके बाद यदि कोई असंतुष्ट हो तो वह न्यायालय में जाने के लिए स्वतंत्र होगा।

38 एकड़ जमीन पर है अवैध अतिक्रमण

यह याचिका ट्रांसपोर्ट नगर व्यापारी संघ के अध्यक्ष राजेश अग्रवाल बबलू द्वारा दायर की गई थी। याचिका में बताया गया कि नगर निगम जबलपुर ने 1992 में ग्राम माढ़ोताल के चंडालभाटा क्षेत्र के खसरा क्रमांक 153 और 154 की 38 एकड़ जमीन पर ट्रांसपोर्ट नगर बसाया था।

इसमें 872 भूखंड ट्रांसपोर्ट व्यापारियों को आवंटित किए गए थे। लेकिन समय के साथ इन भूखंडों में से 20 से अधिक भूखंडों पर अवैध कब्जा कर लिया गया।

याचिका में आरोप लगाया गया कि इस संबंध में कलेक्टर और नगर निगम आयुक्त को कई बार आवेदन देने के बाद भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। अतिक्रमण हटाने के नाम पर पुलिस बल की कमी का बहाना बना कर सालों से मामला टाला जा रहा था।

अब हर हाल में हटाने होंगे अतिक्रमण

हाईकोर्ट ने साफ कर दिया है कि अब कोई बहाना नहीं चलेगा। 18 जुलाई 2025 तक यदि अतिक्रमण नहीं हटे तो न केवल कार्रवाई होगी बल्कि संबंधित अधिकारियों को दोबारा कोर्ट में पेश होकर जवाब देना होगा। यह आदेश जबलपुर प्रशासन के लिए चेतावनी की तरह है कि न्यायालय की सहनशीलता की भी सीमा होती है। MP News

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