मध्य प्रदेश में 5.50 करोड़ पौधे लगाने का असर, बनेगा 13 लाख 75 हजार टन CO2 का कार्बन सिंक, समझिए पूरा गणित

मध्‍य प्रदेश | देश-दुनिया: प्रदेश में 5 करोड़ 50 लाख पौधे लगाए जाने का लक्ष्य है। इस तरह आने वाले सालों में मध्यप्रदेश में एक बड़ा कार्बन सिंक (Carbon Sink) बनेगा। 5 करोड़ 50 लाख पेड़ साल भर में 13 लाख 75 हजार टन कार्बन डाई ऑक्साइड अवशोषित करेंगे।

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Shrawan mavai
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दुनिया भर में इस समय क्लाइमेट चेंज (Climate Change) सबसे गंभीर समस्या है। विश्व की तमाम सरकारें और संगठन ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) और क्लाइमेट चेंज के प्रभावों को कम करने के कारगर तरीके खोज रही है। पेड़ों की कटाई रोक कर और अधिक पौधे लगाकर वैश्विक तापमान को नियंत्रित करने की कोशिश की जा रही है। एक अनुमान के अनुसार एक पेड़ एक साल में वातावरण से 21 से 25 किलोग्राम कार्बन डाई ऑक्साइड (Carbon Dioxide) अवशोषित करता है। मध्यप्रदेश में 5 करोड़ 50 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य है। इस तरह आने वाले सालों में मध्यप्रदेश में एक बड़ा कार्बन सिंक (Carbon Sink) बनेगा। पेड़ों के रूप में विकसित होकर ये पौधे ग्लोबल वार्मिंग इफेक्ट को कम करने का काम भी करेंगे। 5 करोड़ 50 लाख पेड़ साल भर में 13 लाख 75 हजार टन कार्बन डाई ऑक्साइड अवशोषित करेंगे। 

 कितना CO2 उत्सर्जन करता है एमपी ?


भारत के विकासशील देश है। यहां की बढ़ती आबादी और नए उद्योग बड़ी मात्रा में ग्रीन हॉउस गैस उत्सर्जित करते हैं। मध्यप्रदेश में लंबे समय तक कार्बन का उत्सर्जन कम रहा है। ग्रीन हाउस गैस एमिशन प्लैटफॉर्म रिपोर्ट के अनुसार साल 2018 में मध्यप्रदेश में साल भर में 214.92 मीट्रिक टन कार्बन डाई ऑक्साइड का उत्सर्जन हुआ था। वहीं मध्यप्रदेश का पर कैपिटा एमिशन 2.65 टन पर ईयर था। 

मध्यप्रदेश का एवरेज टेम्प्रेचर 28.71 डिग्री सेल्सियस: 

वेदर एंड क्लाइमेट के अनुसार मध्यप्रदेश का एवरेज टेम्प्रेचर 28.71 डिग्री सेल्सियस है। यह भारत के औसत तापमान से 2.74 प्रतिशत अधिक है। बढ़े हुए इस तामपान का श्रेय पिछले कुछ समय में ग्रीन हॉउस गैस (Green House Gas) के उत्सर्जन में आई वृद्धि को भी जाता है। पेड़ लगाए जाने से वातावरण के तापमान को बैलेंस किया जा सकता है। औद्योगिक क्रान्ति के बाद वातावरण में कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा बढ़ी। इस दौरान ईंधन के लिए पेड़ों को भी तीव्र गति से काटा गया। मशीनों, कारखानों और ईंधन से जितना कार्बन डाई ऑक्साइड वातावरण में रिलीज किया गया उतना अवशोषित नहीं हुआ। कार्बन डाई ऑक्साइड समेत अन्य ग्रीन हॉउस गैस से विश्व का औसत तापमान बढ़ा जिसका असर अब पिघलते ग्लेशियर और लगातार बदलते मौसम के रूप में देखा जा रहा है। 

कितना ऑक्सीजन प्रोड्यूस करेंगे ये पेड़ :

एक पेड़ प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में कार्बन डाई ऑक्साइड के 6 अणु का उपयोग करता है। इससे बने ग्लूकोज में कार्बन डाई ऑक्साइड के 6 अणु होंगे। वहीं इस पूरी प्रक्रिया में बाय प्रोडक्ट के रूप में ऑक्सीजन के 6 अणु निकलेंगे। एक पेड़ एक साल में कितना ऑक्सीजन प्रोड्यूस करेगा यह इस बात निर्भर करता है कि, उस पेड़ की उम्र कितनी है। पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार पुराने पेड़ वातावरण में अधिक ऑक्सीजन छोड़ते हैं। अगर पेड़ों की पत्तियां बड़ी हो तो पेड़ वातावरण और ग्रीन हॉउस गैस इफ्फेक्ट कम करने के लिए और कारगर साबित होते हैं। 

यह पेड़ करते है सबसे अधिक ऑक्सीजन प्रोड्यूस : 

सबसे अधिक ऑक्सीजन अगर कोई पेड़ प्रोड्यूस करता है तो वो पेड़ है बरगद। एक बरगद का पेड़ 500 सालों तक जीवित रहता है और हर साल दो लोगों के जीवन के लिए जरूरी ऑक्सीजन हवा में छोड़ता है। इसके अलावा बरगद का पेड़ 48 पोंड यानी करीब 21 किलो कार्बन डाई ऑक्साइड वातावरण से अवशोषित करता है। बरगद के अलावा पीपल और सैंडवुड का पेड़ पर्यावरण के लिए काफी अनुकूल होते हैं। पीपल तो 24 घंटे ऑक्सीजन प्रोड्यूस करता है। यह 2500 सालों तक जीवित रह सकता है।

ये कार्बन सिंक क्या होता है ?

फोटोसिंथेसिस यानी प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया से पेड़ अपना भोजन बनाते हैं। पेड़ अपनी पत्तियों से जरिए वातावरण से कार्बन डाई ऑक्साइड को अवशोषित करते हैं। अपनी ग्रोथ के लिए पेड़ इस कार्बन डाई ऑक्साइड को ग्लूकोज यानि शर्करा में बदल देते हैं। यही फोटोसिंथेसिस यानी प्रकाश संश्लेषण है। अब इस प्रक्रिया में पेड़ एक बाय प्रोडक्ट वातावरण में रिलीज करते हैं। इसे हम ऑक्सीजन कहते हैं। पेड़ अपनी जड़, शाखा और तने में कार्बन को लॉक कर लेते हैं इसलिए हम पेड़ों को कार्बन सिंक कहते हैं। पृथ्वी पर सबसे बड़े कार्बन सिंक महासागर के बाद फारेस्ट हैं।

पौधरोपण से ग्लोबल वार्मिंग इफेक्ट को कम किया जा सकता है । पौधरोपण के समय इस बात का भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि, किस तरह के पेड़ उस क्षेत्र के वायुमंडल के हिसाब से बेहतर हैं। जानकारों के अनुसार किसी क्षेत्र में वहां के लोकल पौधों को रोपने से अधिक फायदा होता है। इन पौधों का पेड़ बनने तक ध्यान रखना भी एक अहम बिंदु है । 

 

the sootr आपसे अपील करता है कि कम से कम पांच पौधे जरूर लगाए और पेड़ बनाने तक उनकी देखभाल करने की जिम्मेदारी लें। 

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