प्रशासन पर भारी बिल्डर, हाउसिंग प्रोजेक्ट के हस्तांतरण में लगा रहा अड़ंगा

सुप्रीम कोर्ट भी बिल्डर को बुकिंग के समय जमा कराई गई राशि लौटाने का आदेश दे चुका है। वहीं रेरा जनवरी और मार्च में दो बार भोपाल कलेक्टर को अधूरे हाउसिंग प्रोजेक्ट का कब्जा लेकर उन्हें हाउसिंग बोर्ड को सौंपने का आदेश जारी कर चुका है।

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Sanjay Sharma
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Aakriti Builders
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राजधानी में बिल्डर्स के रसूख के सामने प्रशासन कितना कमजोर है इसका एक और उदाहरण सामने है। रेरा के दो आदेशों के बाद भी कलेक्टर बिल्डर्स से 9 हाउसिंग प्रोजेक्ट का हस्तांतरण नहीं करा पा रहे हैं। ये सभी हाउसिंग प्रोजेक्ट सालों से अधूरे पड़े हैं। बुकिंग के नाम पर लोगों से लाखों रुपए जमा कराने के बाद भी बिल्डर ने उन्हें घर बनाकर नहीं दिए हैं। 

सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश

सुप्रीम कोर्ट भी बिल्डर को बुकिंग के समय जमा कराई गई राशि लौटाने का आदेश दे चुका है। वहीं रेरा जनवरी और मार्च में दो बार भोपाल कलेक्टर को अधूरे हाउसिंग प्रोजेक्ट का कब्जा लेकर उन्हें हाउसिंग बोर्ड को सौंपने का आदेश जारी कर चुका है। लेकिन पांच महीने बाद भी हाउसिंग प्रोजेक्ट बिल्डर के ही कब्जे में हैं।  

लुभावने सपने दिखाकर बुना जाल 

AG-8 वेंचर्स यानी आकृति बिल्डर्स ने एक दशक में भोपाल में हाउसिंग प्रोजेक्ट की बाढ़ ला दी थी। राजधानी के अलग-अलग क्षेत्रों में हाउसिंग प्रोजेक्ट्स का प्रचार बड़े स्तर पर किया गया। लोग बिल्डर हेमंत सोनी के लुभावने वादों में फंस गए और अपने खुद के घर की चाहत में लाखों रुपए से बुकिंग करा दी।

जब सालों बीतने पर भी मकान नहीं मिले तो लोगों ने शिकायतें शुरू कर दीं। कई बार चक्कर काटे लेकिन हेमंत ने उन्हें मकान बनाकर नहीं दिए। तब लोगों को ठगी का पता चला। लोगों को करोड़ों रुपए वापस न करना पड़ा इसके लिए सोनी ने खुद को दीवालिया घोषित कराने की भी साजिश रची थी। हालांकि रेरा और लोगों की कोशिशों के चलते NCLAT (नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्युनल) ने इस साजिश को सफल नहीं होने दिया।

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रेरा के आदेश पर भी नहीं हुआ हस्तांतरण 

रेरा यानी भू संपदा विनियामक प्राधिकरण ने आकृति बिल्डर्स AG-8 वेंचर्स के अधूरे 9 हाउसिंग प्रोजेक्ट हाउसिंग बोर्ड (MPHIDB) को सौंपने का आदेश जनवरी 2024 में दिए थे। बिल्डर ने प्रोजेक्ट हस्तांतरित नहीं किए तब रेरा ने 8 फरवरी 2024 को भोपाल कलेक्टर को सभी अधूरे हाउसिंग प्रोजेक्ट का हस्तांतरण कराने की कार्रवाई तय करने का आदेश जारी किया था।

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इसके तहत प्रोजेक्ट से जुड़े सभी संसाधन और अनुमतियां भी बिल्डर की ओर से हाउसिंग बोर्ड को सुपुर्द कराई जानी थीं। महीने भर तक जिला प्रशासन ने इसमें कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई तो रेरा की ओर से विशेष सचिव राजेश बहुगुणा द्वारा 18 मार्च को फिर पत्र लिखकर आदेशित किया गया। लेकिन अब तीन महीने बीत चुके हैं जिला प्रशासन अब तक हाउसिंग प्रोजेक्ट का हस्तांतरण नहीं करा पाया है।  

घर मिलने का इंतजार कर रहे होम बायर्स 

रेरा द्वारा दो- दो आदेश जारी करने के बाद भी जिला प्रशासन द्वारा हाउसिंग प्रोजेक्ट आकृति हाइलैंड, आर्चिड हाईट्स, आकृति गार्डन फेस- 4, प्राइम स्ट्रीट, आकृति फ्लैमिंगो फेस 3, आकृति इकोसिटी, एस्टर सीरिज, एस्टर प्लेटिनम और आकृति एक्वासिटी को MPHIDB को सुपुर्द नहीं कराया गया है।

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ऐसे में सालों से बिल्डर की ठगी का शिकार होम बायर्स अब भी टकटकी लगाए हुए हैं। वे सुप्रीम कोर्ट से फैसला आने और रेरा द्वारा  MPHIDB के माध्यम से प्रोजेक्ट पूरा कराने का इंतजार कर रहे हैं।  जनवरी से जून के बीच चार महीने और रेरा के आदेश के बाद तीन माह बीतने पर भी हाउसिंग प्रोजेक्ट बोर्ड को न सौंपने ने उनकी चिंता बढ़ा दी है।

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बिल्डर के प्रभाव में तो नहीं जिला प्रशासन 

होम बायर्स का कहना है बिल्डर काफी प्रभावशाली है। शासन_प्रशासन में अधिकारियों पर अपने प्रभाव का उपयोग कर वह अपने प्रोजेक्ट बोर्ड को हस्तांतरित कराने में अड़ंगा डाल रहा है। हाउसिंग प्रोजेक्ट MPHIDB को सौंपे जाने से उसके हाथ से करोड़ों का मुनाफा चला जाएगा, इसीलिए वह दबाव बना रहा है। जिला प्रशासन जिस तरह रेरा के आदेश पर चुप्पी साधे बैठा है उस पर बिल्डर का प्रभाव साफ दिख रहा है। यदि जल्द हस्तांतरण नहीं होता तो वे इस मामले में फिर अपील करेंगे।

 

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