Akshay Sagar Maharaj Has Blisters On His Feet
रविकांत दीक्षित, BHOPAL. यकीन मानिए ईश्वर सब देखते हैं। मानवता को आशीष देते हैं। ऊर्जा देते हैं। मन पवित्र है तो आपको शक्ति देते हैं। इसका जीवंत उदाहरण हैं हमारे संत। कठिन तप के बीच उनका जीवन आध्यात्मिक प्रेरणा से भरा होता है। उपवास से परिपूर्ण उनके जीवन का हर अध्याय ज्ञान और करुणा की अटूट प्रतिबद्धता से सुशोभित होता है।
अब आचार्य अक्षय सागर महाराज ( Acharya Akshay Sagar Maharaj ) की ये वायरल तस्वीर ही देख लीजिए। अपने गुरु के कार्यक्रम में भाग लेने के लिए उन्होंने एक माह की कठिन यात्रा की और अंतत: अपने पड़ाव पर पहुंचे। ऐसे ही मुनि वीर सागर महाराज ने पुणे से अपनी यात्रा की शुरुआत की। वे भी 45 दिन की पदयात्रा कर कुंडलपुर पहुंचे हैं।
एक माह लंबी यात्रा
जैन मुनि आचार्य अक्षय सागर महाराज पद विहार करते हुए मुंबई से निकले थे। 50 दिन लंबी पद यात्रा के बाद वे हाल ही में कुंडलपुर (दमोह, मध्यप्रदेश) पहुंचे हैं। उन्होंने करीब एक हजार किलोमीटर लंबा सफर तय किया। पथरीले रास्ते और गर्मी में लगातार यात्रा से उनके पैर बुरी तरह झुलस गए हैं। कई जगह छाले पड़ गए हैं।
एक महीने में एक हजार किमी चले जान मुनि अक्षय सागर महाराज, पांवों में पड़ गए छाले
— TheSootr (@TheSootr) April 11, 2024
➡️मध्यप्रदेश के दमोह जिले के कुंडलपुर में आचार्य पदारोहण महोत्सव आयोजित किया जा रहा है। इस भव्य आयोजन में देशभर से जैन संत पहुंच रहे हैं। #MadhyaPradesh #MPNews #AkshaySagarMaharaj #jainmuni… pic.twitter.com/O0tgsLIlpC
हर दिन 30 किलोमीटर पैदल चले
मुनि अक्षय सागर महाराज रोजाना करीब 30 किलोमीटर चले। इस अवधि में हर 24 घंटे में सिर्फ एक बार खड़े होकर अंजुली में उन्होंने आहार और पानी ग्रहण किया। वे मुंबई से भुसावल, हरदा, बरेली, सिलवानी और सागर के रास्ते दमोह जिले के कुंडलपुर पहुंचे हैं।
कई मुनि पहुंचे कुंडलपुर
जैन समाज, सागर के अध्यक्ष मुकेश जैन (ढाना) बोले, जैन समाज सौभाग्यशाली है कि हमारे संत कठोर दिनचर्या का पालन करते हुए सभी के कल्याण की भावना रखते हैं। इसलिए उनके चरण और आचरण पूजनीय हैं। अनेक मुनि संघ इसी तरह पद यात्रा करते हुए कुंडलपुर पहुंच रहे हैं।
कौन हैं मुनि अक्षय सागर महाराज
महाराष्ट्र के शिरोल में जन्मे मुनि अक्षय सागर महाराज ने 11 फरवरी 1998 को दीक्षा ली थी। मुक्तगिरि जैन तीर्थ क्षेत्र में आचार्य विद्यासागर महाराज ने उन्हें दीक्षा दिलाई थी। अब चूंकि एक बार फिर आचार्य पदारोहण महोत्सव आयोजित हो रहा है, इसलिए अक्षय सागर महाराज मुंबई से पदयात्रा करते हुए कुंडलपुर पहुंचे हैं।
पुणे से कुंडलपुर पहुंचे वीर सागर महाराज
इसी तरह महाराष्ट्र के नागपुर में जन्मे वीर सागर महाराज केमिकल इंजीनियर हैं। एक मल्टीनेशनल कंपनी में उन्हें सालाना 1 करोड़ 20 लाख रुपए की सैलरी मिलती थी। वे नौकरी छोड़कर वैराग्य की राह पर हैं। 51 साल के वीर सागर महाराज भी कुंडलपुर पहुंचे हैं। उन्होंने पुणे (महाराष्ट्र) से 22 फरवरी 2024 को पदयात्रा शुरू की थी। 9 अप्रैल 2024 को अपने पड़ाव पर पहुंचे।
कुंडलपुर में आचार्य पदारोहण महोत्सव
अब दिगम्बर जैन संत कुंडलपुर क्यों पहुंच रहे हैं ये आपको बताते हैं। दरअसल, 16 अप्रैल को कुंडलपुर में आचार्य पदारोहण महोत्सव आयोजित किया जा रहा है। आचार्य विद्यासागर महाराज के देवलोकगमन के बाद मुनि समय सागर महाराज आचार्य होंगे। मुकेश जैन (ढाना) ने बताया कि 16 अप्रैल को समय सागर महाराज के आचार्य पद के संस्कार संपन्न होंगे। इस कार्यक्रम में करीब 400 संत शामिल हो रहे हैं। कई वीवीआईपी भी महोत्सव में पहुंचेंगे।
ड्रोन से सुगंधित जल और पुष्प वर्षा
महोत्सव की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। कार्यक्रम के लिए एक प्रसिद्ध बैंड, 21 दिव्य घोष, 36 रथ, 1111 सदस्यों का अखाड़ा अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे। इसी के साथ ड्रोन से सुगंधित जल और पुष्प की वर्षा की जाएगी। आयोजन समिति के अनुसार, समारोह के लिए 500 से अधिक बसों से देशभर के श्रद्धालु कुंडलपुर पहुंचेंगे।
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समय सागर महाराज कौन हैं ?
आचार्य विद्यासागर महाराज के ब्रह्मलोक गमन के बाद मुनि समय सागर महाराज उनके उत्तराधिकारी बनाए गए हैं। आपको बता दें कि समय सागर महाराज आचार्य विद्यासागर महाराज के गृहस्थ जीवन के भाई हैं। आचार्यश्री ने अपने देवलोक गमन से पहले ही पद छोड़ते हुए समय सागर महाराज को आचार्य पद दिया था।
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