संजय शर्मा. BHOPAL . मंत्रालय में आग लगने के बाद पुलिस की अग्निशमन सेवा कटघरे में है। वहीं इंदौर और भोपाल में आए दिन हो रही अग्नि दुर्घटनाओं के चलते प्रदेश में फायर सेफ्टी एक्ट ( Fire Safety Act ) की जरूरत पर बहस शुरू हो गई है। साल 2011 में सरकार ने आग से संबंधित घटनाओं पर काबू पाने का काम पुलिस से लेकर नगरीय विकास एवं आवास विभाग को सौंप दिया था। इसके लिए बाकायदा गजट नोटिफिकेशन भी जारी हुआ था। अग्निशमन का काम मूलत: नगरीय निकायों का काम है, इसका जिक्र भारत के संविधान की 12वी अनुसूची में भी दर्ज है। फिर भी पुलिस विधानसभा, मंत्रालय और सतपुड़ा- विंध्याचल के अलावा इंदौर- पीथमपुर और मालनपुर इंडस्ट्रीयल एरिया में फायर स्टेशन अपने हाथ से छोड़ना ही नहीं चाहती। किसी तरह का विवाद न होने के बाद भी 200 से ज्यादा अधिकारी-कर्मचारी 13 साल से भारमुक्त नहीं किए गए हैं। ये राजपत्र के प्रकाशन और आदेश जारी होने के बाद अब तक गृह विभाग के लिए काम कर रहे हैं और वेतन अर्बन डायरेक्टरेट दे रहा है। वहीं दो विभागों के बीच फसी व्यवस्था के चलते ही प्रदेश में तीन साल से केंद्र से भेजे गए फायर सेफ्टी एक्ट को लागू नहीं जा रहा है।
13 साल से क्यों नहीं किया रिलीव
अब फायर सेफ्टी एक्ट के बारे में जानने से पहले यह बताते हैं की बुझाने के दायित्व को गृह विभाग से लेकर नगरीय विकास विभाग को सौंपने की कवायद कब शुरू हुई और फिर निर्णय के बाद मामला कहां अटका रह गया। साल 2010 में मंत्रिपरिषद ने कार्य आवंटन नियम 1999 के जरिए आग की रोकथाम का जिम्मा नगरीय प्रशासन विभाग को सौंपा था। विभाग से रिटायर्ड इंजीनियर एलएस बघेल ने बताया इंदौर- पीथमपुर फायर स्टेशन, मंत्रालय और अन्य प्रशासनिक भवनों में अग्निशमन व्यवस्था, संसाधन और कर्मचारी भी नगरीय प्रशासन विभाग को दे दिए गए थे। लेकिन कार्य विभाजन के लिए जारी आदेश का पालन नहीं किया गया। 200 से ज्यादा अधिकारी- कर्मचारी गृह विभाग से किस वजह से 13 साल से रिलीव न करने पर सवाल तो उठते रहे लेकिन किसी ने सुध नहीं ली। इसके पीछे अग्निशमन सेवा में पुलिस अधिकारियों के उच्च पदों पर पदोन्नति और शासन के मिलने वाले भारी भरकम बजट के उपयोग पर अधिकार को वजह माना जा सकता है।
गृह विभाग ने अर्बन डायरेक्टरेट को नहीं सौंपी फायर सर्विस
अग्निशमन सेवा नगरीय प्रशासन विभाग को देने में गृह विभाग शुरू से ही रोड़ा अटका रहा है। जब शासन ने कार्य विभाजन का आदेश जारी कर दिया था तब गृह विभाग ने नगरीय निकायों यानी इंदौर नगर निगम, पीथमपुर नगर पालिका को सरकारी संस्था मानने से इंकार कर दिया था। इसके साथ ही कुछ कर्मचारी नगरीय प्रशासन विभाग के अधीन होने पर वेतन-भत्ते प्रभावित होने की शंका के चलते कोर्ट चले गए थे। तब कोर्ट ने उनके वेतन- भत्तों को प्रभावित न करने की व्यवस्था दी थी। वहीं इन कर्मचारियों को नगरीय प्रशासन डायरेक्टरेट में पदस्थ किया गया था। तब यह भी तय किया गया था कि अब जो भर्तियां होंगी वो डायरेक्टरेट करेगा जिससे पुराने कर्मचारियों के रिटायर होने के बाद सभी उनके कर्मचारी हो जाएंगे। लेकिन इसके बाद भी गृह विभाग के अधीन काम करने वाली पुलिस ने अग्निशमन सेवा और संशाधनों से अपना अधिकार नहीं छोड़ा। अब भी ये कर्मचारी पुलिस के अधीन ही काम कर रहे हैं।
नगरीय विकास पीएस ने फायर सर्विस सौंपने लिखा था पत्र
गृह विभाग और नगरीय प्रशासन विभाग के बीच अग्निशमन सेवा के हस्तांतरण के इस मसले को 13 साल बीत चुके हैं। जब यह पेंच सामने आया था तब नगरीय प्रशासन विभाग के तत्कालीन पीएस संजय दुबे थे। उन्होंने गृह विभाग से इन कर्मचारियों को भारमुक्त करने की कोशिश की थी। दुबे अब गृह विभाग के प्रिंसिपल सेकेरेट्री हैं लेकिन मंत्रालय में आग लगने की घटना के बाद अब वे भी इस विषय पर शांत हैं। इस पर भी सवाल खड़ा होता है कि नगरीय प्रशासन में जिम्मेदारी संभालते समय दुबे जिसके पक्ष में थे वे गृह विभाग में पहुंचने पर इस मसले पर निर्णय क्यों नहीं ले रहे हैं। वहीं मंत्रालय और अन्य पुलिस फायर स्टेशनों में कर्मचारियों की कमी से व्यवस्था लड़खड़ाने लगी है।
ऐसा है फायर सेफ्टी एक्ट
केंद्र द्वारा स्वीकृत इस एक्ट को अग्निशमन एवं आपातकालीन सेवा अधिनियम 2022 नाम दिया गया है। इसका ड्राफ्ट दो साल से तैयार है लेकिन अभी तक प्रदेश में इसे लागू नहीं किया गया है। इसके ड्राफ्ट को अभी कैबिनेट की स्वीकृति नहीं मिली है। बताया जाता है इस ड्राफ्ट को लेकर अधिकारियों की कुछ आपत्तियां थी जिसके चलते फिलहाल इसे रोका गया है। अब बताने हैं आखिर फायर सेफ्टी एक्ट क्या है और इसके लागू होने पर क्या होगा। अभी अग्निशमन सेवा के लिए कोई मेनुअल नहीं है जिसके कारण अक्सर हादसों में लापरवाही होने के बाद भी जिम्मेदारी तय नहीं हो पाती। जबकि इस ड्राफ्ट में आग लगने की सूचना पर कार्रवाई, आग पर नियंत्रण की प्रतिबद्धता, लापरवाही पर दंड, निर्धारित दायरे के बाहर सेवा देने पर शुल्क, अग्नि दुर्घटना की गलत सूचना के लिए जिम्मेदार पर कार्रवाई और अग्निशमन टैक्स का प्रावधान किया गया है। इसके साथ ही अग्निशमन केंद्र का दायरा भी तय होगा जहां अग्निशमन अधिकारी की तैनाती होगी। और फायरमैन प्रशिक्षित और सर्टिफाई होंगे जिनके पास इस कार्य के लिए अधिकार होगा और उन्हें रोकने या व्यवधान डालने पर सम्बंधित पर कार्रवाई कराने का पावर भी मिलेगा। आग पर काबू पाने के दौरान होने वाली क्षति के लिए इन कर्चारियों को आर्थिक राहत का भी उल्लेख इस ड्राफ्ट में है।