MP-नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड में हुआ करार, इंदौर दुग्ध संघ की कैविएट

मध्‍य प्रदेश सरकार और नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड के बीच में औपचारिक तौर पर करार हो गया है। इसे लेकर सात जनवरी को कैबिनेट मीटिंग में मंजूरी भी दी जा चुकी है।

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Sanjay Gupta
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मप्र सरकार और नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड, आणंद (गुजरात) के बीच में औपचारिक तौर पर करार हो गया है। इसे लेकर सात जनवरी को मप्र कैबिनेट मीटिंग में मंजूरी भी दी जा चुकी है। इस करार के विरोध में कोई भी जनहित याचिका लगने से बाधा आए इसे रोकने के लिए मप्र सरकार ने हाईकोर्ट जबलपुर के साथ ही खंडपीठ, ग्वालियर व इंदौर में भी सभी दुग्ध संघों के नाम से कैविएट दायर कर दी है। इंदौर सहकारी दुग्ध संघ की ओर से भी कैविएट दायर हुई है। 

सरकार ने जारी की सूचना

दस जनवरी को मप्र शासन ने इसकी औपचारिक सूचना भी सार्वजनिक कर दी है। मप्र सरकार मंत्रीपरिषद द्वारा सात जनवरी को मंजूर किए गए प्रस्ताव को लेकर कैविएट दायर की है। इंदौर सहकारी दुग्ध संघ मप्र, राज्य सहकारी डेयरी फेडरेशन लिमिटेड, अन्य सहकारी दुग्ध संघ मप्र और राष्ट्रीय डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड आणंद के बीच सहयोग समझौता के प्रस्तावित निष्पादन के विरुद्ध याचिका लगाए जाने को रोकने के लिए यह कदम उठाया गया है। 

इंदौर में सीएम यह बोले थे

पिछले साल सितंबर माह में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मप्र में सांची दुग्ध संघ बंद कर नेशनल डेयरी डेवलपमेंट (एनडीडीबी) द्वारा टेकओवर करने की बातों का खंडन किया था। सांची दुग्ध संघ केंद्र पर जाकर अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ खुला संवाद किया। इसमें सीएम ने कहा कि सांची ब्रांड ही रहेगा, इसकी अलग वैल्यू है और यह आत्मा से जुड़ा है, किसी अधिकारी कर्मचारी को वीआरएस नहीं देंगे कोई नहीं हटेगा। सीएम ने कहा था कि इंदौर, उज्जैन, सागर जैसे कुछ सांची दुग्ध संघ को छोड़ दें तो सभी घाटे में हैं। हमारे प्रदेश स्तर पर फैसला लेना है। कुछ साल पहले राजस्थान ने नेशनल डेयरी से करार किया और उनकी कुशलता बढ़ी और वह दुग्ध उत्पादन में दूसरे पायदान पर आ गया। मप्र में भी हमने क्षमता, कुशलता बढ़ाने के लिए एनडीडीबी से समझौता किया है। इससे किसी को भी बाहर नहीं किया जाएगा। बल्कि इंदौर का टर्नओवर जो 700 करोड़ का है वह 1400 करोड़ करेंगे। पांच साल में जो दूध एकत्र 9 फीसदी है उसे 18 फीसदी करेंगे। 

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इस समझौते को लेकर यह फायदे बताए थे सीएम ने

सीएन ने कहा था कि जो भी अधिकारी कर्मचारी हैं वह जुड़े रहेंगे, आउटसोर्स वाले भी साथ रहेंगे। हमें सभी सोसायटी अच्छे से चलाना है, किसानों को सही कीमत दिलाकर आय बढ़ाना है। इसलिए बोर्ड से करार कर क्षमता बढ़ाई जाएगी, जो गाय अधिक पालेगा उसे अधिक अनुदान देंगे। सहकारिता के क्षेत्र को मजबूत करेंगे और किसानों को भी मजबूत करेंगे। 

उधर, दुग्ध संघ की एजीएम ने नकारा था

वहीं सीएम दौरे के बाद सितंबर अंत में इंदौर दुग्ध संघ की हुई एजीए में इस समझौते खिलाफ जाने की बात कही थी। इस मामले में इंदौर दुग्ध संघ के अध्यक्ष मोती सिंह पटेल ने बताया था कि सरकार ने भले इंदौर दुग्ध संघ को नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड के अधीन सौंपने का फैसला किया हो। लेकिन इंदौर दुग्ध संघ से जुड़े सदस्य और दूध उत्पादक किसान नहीं चाहते कि हर साल 700 करोड़ रुपए से ज्यादा की आमदनी देने वाले इंदौर दुग्ध संघ को नेशनल डेयरी बोर्ड को सौंप दिया जाए। बोर्ड के प्रस्ताव से आगे जाकर सरकार कोई भी फैसला ले सकती है, लेकिन इंदौर दुग्ध संघ के सदस्यों का जो अधिकार है उसके तहत उन्होंने फैसला किया है। 

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करोड़ों रुपए के शुद्ध फायदे में है इंदौर दुग्ध संघ

मोती सिंह पटेल ने बताया कि दुग्ध संघ का वर्ष 2023-24 का वार्षिक टर्न-ओवर 658 करोड़ रुपए रहा है, जो आगामी वित्तीय वर्ष 2024-25 की वार्षिक कार्ययोजना अनुसार टर्न-ओवर 725 करोड़ रुपए होना संभावित है। दुग्ध संघ ने वर्ष 2023-24 में लगभग 13 करोड़ रुपए का शुद्ध लाभ अर्जित किया है।

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