चंदोला लेक को बचाने 10000 मकानों पर बुल्डोजर एक्शन, भोपाल में बड़ा तालाब के हाल बेहाल

अहमदाबाद की चंदोला लेक पर कब्जा कर चुके अवैध बांग्लादेशी बस्तियों पर 80 बुलडोजरों से बड़ी कार्रवाई की जा रही है। इधर भोपाल की बड़ी झील भी इसी संकट से गुजर रही है।

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Rohit Sahu
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अहमदाबाद नगर निगम (Ahmedabad Municipal Corporation) ने 29 अप्रैल को चंदोला झील (Chandola Lake) के पास अवैध बांग्लादेशी बस्तियों पर बड़ी कार्रवाई की।  इस कार्रवाई में लगभग 80 बुलडोजरों की मदद से अतिक्रमण हटाया गया। संयुक्त पुलिस आयुक्त (क्राइम) शरद सिंघल ने पुष्टि की कि इन बस्तियों में बड़ी संख्या में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी नागरिक रहते थे।

अवैध बांग्लादेशी बस्तियों पर कार्रवाई

पुलिस और नगर निगम की संयुक्त टीम ने चंदोलाझील के आसपास अवैध बांग्लादेशी निवासियों की पहचान की थी। इसके बाद अहमदाबाद पुलिस (Ahmedabad Police) ने कार्रवाई को अंजाम दिया। सभी अतिक्रमण स्थलों पर पहले से बिजली कनेक्शन (Electric Connection) काट दिए गए थे ताकि सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

 गृह मंत्रालय के आदेश पर एएमसी की तत्काल कार्रवाई

गुजरात सरकार के गृह मंत्रालय (Home Ministry of Gujarat) ने अवैध बांग्लादेशी झोपड़ियों को गिराने का आदेश दिया था। एएमसी ने आदेश के पालन में तेजी दिखाई और पहले चरण में 100 से ज्यादा बस्तियों को ध्वस्त किया। नगर निगम की योजना है कि आने वाले दिनों में पूरे चंदोलाक्षेत्र में मेगा डिमोलेशन ड्राइव (Mega Demolition Drive) चलाई जाएगी।

80 बुलडोजर के साथ भारी पुलिस बल तैनात

अभियान के दौरान 80 से ज्यादा बुलडोजर (Bulldozers) तैनात किए गए। शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए भारी पुलिस बल (Police Force) और क्राइम ब्रांच (Crime Branch) के अधिकारी मौके पर मौजूद रहे। पीआई स्तर (PI Level) के सभी अधिकारी (On-site) तैनात किए गए थे, ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना को रोका जा सके।

एक नजर में समझें

एएमसी (Ahmedabad Municipal Corporation) का कार्यक्षेत्र

  • अहमदाबाद शहर में स्वच्छता के लिए काम करना।
  • शहर में अतिक्रमण हटाना।
  • स्वास्थ्य सुविधाएं, और भवन निर्माण नियमों का पालन सुनिश्चित करना।

चंदोला झील का ऐतिहासिक महत्व

चंदोलाझील अहमदाबाद की प्राचीन झीलों में से एक है, जो अब अवैध बस्तियों के कारण संकट में है।

गृह मंत्रालय के निर्देश

अवैध विदेशी नागरिकों के अतिक्रमण पर सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करने के निर्देश राज्य सरकारों को दिए गए हैं।

इधर भोपाल में बड़ी झील के हालात भी बदतर

भोपाल का बड़ा तालाब: रामसर दर्जा अब सिर्फ कागज़ों में, चारों ओर से अतिक्रमण का शिकंजा

एक समय शहर की पहचान और जीवनरेखा रहा बड़ा तालाब अब गहराते अतिक्रमण की चपेट में है। रामसर साइट का गौरव प्राप्त यह जलाशय अब मिट्टी, मुनाफाखोरी और मिलीभगत के दलदल में समाता जा रहा है। तालाब के कैचमेंट (Catchment) क्षेत्र में फार्महाउस, कॉलोनियों और फ्लोटिंग रेस्टोरेंट के नाम पर ऐसा अतिक्रमण हो रहा है जैसे प्रकृति के शरीर में धीमा ज़हर घोला जा रहा हो।

नया अतिक्रमण, पुरानी फाइलें और सोते अफसर

भोपाल नगर निगम की झील संरक्षण इकाई के पास जिम्मेदारी है इस धरोहर की देखभाल की, लेकिन उनकी निगरानी की हकीकत यह है कि अधिकारी अब भी पुराने अतिक्रमणों में ही उलझे हैं। इसी दौरान नाथू बरखेड़ा, बैरागढ़, बिसनखेड़ी और सूरज नगर जैसे क्षेत्रों में मिट्टी डालकर और पिलर खड़े कर तालाब के अस्तित्व को लीलने वाली नई संरचनाएं खड़ी हो रही हैं।

अतिक्रमण का नेटवर्क: रसूखदारों की शह, जनता की चुप्पी

नगर निगम के ही सर्वे में तालाब के किनारे 1300 से अधिक अतिक्रमण की पुष्टि हो चुकी है। 980 को नोटिस भी जारी हुए, लेकिन कार्रवाई? रसूखदारों के सामने प्रशासन की सख्ती धूल बन जाती है। 523 नोटिस सिर्फ बैरागढ़ और खानूगांव क्षेत्र में जारी किए गए, लेकिन वह कागज़ भी अब शायद किसी फ़ाइल में धूल खा रहा होगा।

तालाबों की सामूहिक मौत की पटकथा

भोपाल के 14 तालाबों में से तीन पूरी तरह खत्म हो चुके हैं और दो अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे हैं। मोतिया तालाब अब कंक्रीट की बस्ती है, गुरुबक्श तलैया और अच्छे मियां की तलैया की पहचान तक मिट चुकी है। नवाब सिद्दीक हसन तालाब का 98% क्षेत्र अतिक्रमण की भेंट चढ़ चुका है। जो बचा है, उसमें जलकुंभी उग रही है।

NGT की डांट, कोर्ट का आदेश और निगम की खानापूर्ति

कैचमेंट क्षेत्र में अवैध निर्माण को लेकर राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (NGT) ने नगर निगम को 25 करोड़ रुपये का जुर्माना ठोंका, कोर्ट ने भी रिपोर्ट पेश करने को कहा, लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ एक दीवार गिरा कर रस्म अदायगी हो रही है।

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वेटलैंड विशेषज्ञ की चेतावनी

इस मामले में एमपी वेटलैंड अथॉरिटी के सदस्य अभिलाष खांडेकर कहते हैं कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि राज्य सरकार रामसर साइट और भोपाल की शान को अतिक्रमण से नहीं बचा पा रही। यह सिर्फ एक झील नहीं, एक पारिस्थितिकीय विरासत है, जहां सारस जैसे दुर्लभ पक्षी आते हैं। लेकिन मंत्रीगण भोज वेटलैंड को लेकर गंभीर नहीं दिखते।

तालाब के चारों ओर खतरे की घंटी

तालाब के वनट्री हिल्स, भदभदा, सूरज नगर और बैरागढ़ जैसे क्षेत्र अतिक्रमण का नया चेहरा बन चुके हैं। यहां पानी के भीतर पिलर खड़े कर पॉलिथिन, मलबा और मिट्टी डालकर ज़मीन बनाई जा रही है। पर्यावरणीय संतुलन को खुलेआम चुनौती दी जा रही है।

शासन की तरफ से आधी अधूरी कार्रवाई का दावा

अतिक्रमण के हटाने के बारे में भोपाल नगर निगम के अतिक्रमण प्रभारी कमर साकिब ने कहा कि कैचमेंट क्षेत्र में कार्रवाई चल रही है, पिछले महीने ही दर्जनभर अतिक्रमण हटाए गए हैं।

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