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गुजरात के अहमदाबाद में अवैध निर्माण के खिलाफ प्रशासन की सख्त मुहिम लगातार जारी है। मंगलवार को इस अभियान के दूसरे चरण में चंदोला तालाब क्षेत्र में लगभग 2,500 अवैध मकानों को ध्वस्त करने की कार्यवाही शुरू कर दी गई है।
इसके पहले अहमदाबाद नगर निगम (Ahmedabad Municipal Corporation) ने 29 अप्रैल को चंदोला झील (Chandola Lake) के पास अवैध बांग्लादेशी बस्तियों पर बड़ी कार्रवाई की। इस कार्रवाई में लगभग 80 बुलडोजरों की मदद से अतिक्रमण हटाया गया। संयुक्त पुलिस आयुक्त (क्राइम) शरद सिंघल ने पुष्टि की कि इन बस्तियों में बड़ी संख्या में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी नागरिक रहते थे।
दूसरे चरण में 3 दिन में तोड़े जाएंगे 8000 मकान
अवैध निर्माण पर कार्रवाई के दूसरे चरण को लेकर प्रशासन ने व्यापक तैयारियां की हैं। अभियान को बिना किसी रुकावट के संचालित करने के लिए 75 बुलडोजर और 150 डंपर मौके पर लगाए गए हैं। वहीं, किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए 3 हजार पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है। पहले दिन यानी मंगलवार को 2.5 हजार मकानों पर बुलडोजर चला।
#WATCH अहमदाबाद, गुजरात: वीडियो चंदोला क्षेत्र से है। अहमदाबाद नगर निगम ने 2.5 लाख वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्र से अवैध अतिक्रमण हटाने के लिए ध्वस्तीकरण अभियान का दूसरा चरण शुरू किया।
— ANI_HindiNews (@AHindinews) May 20, 2025
(वीडियो ड्रोन से ली गई है) pic.twitter.com/FnHtNgOIKf
अवैध बांग्लादेशी बस्तियों पर कार्रवाई
पुलिस और नगर निगम की संयुक्त टीम ने चंदोलाझील के आसपास अवैध बांग्लादेशी निवासियों की पहचान की थी। इसके बाद अहमदाबाद पुलिस (Ahmedabad Police) ने कार्रवाई को अंजाम दिया। सभी अतिक्रमण स्थलों पर पहले से बिजली कनेक्शन (Electric Connection) काट दिए गए थे ताकि सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
#WATCH | गुजरात: अहमदाबाद के पुलिस कमिश्नर ज्ञानेंद्र सिंह मलिक ने कहा, "... हाल ही में, पुलिस ने तीन दिन पहले एक बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान चलाया, 180 से अधिक अवैध बांग्लादेशियों की पहचान की गई है, यह प्रक्रिया जारी है। इसके अलावा, नगर निगम चंदोला झील क्षेत्र में अवैध अतिक्रमण… https://t.co/Ec5dWiFYFS pic.twitter.com/NTq7QYE5iT
— ANI_HindiNews (@AHindinews) April 29, 2025
गृह मंत्रालय के आदेश पर एएमसी की तत्काल कार्रवाई
गुजरात सरकार के गृह मंत्रालय (Home Ministry of Gujarat) ने अवैध बांग्लादेशी झोपड़ियों को गिराने का आदेश दिया था। एएमसी ने आदेश के पालन में तेजी दिखाई और पहले चरण में 29 अप्रैल को 100 से ज्यादा बस्तियों को ध्वस्त किया। वहीं मंगलवार 20 मई को
80 बुलडोजर के साथ भारी पुलिस बल तैनात
अभियान के दौरान 80 से ज्यादा बुलडोजर (Bulldozers) तैनात किए गए। शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए भारी पुलिस बल (Police Force) और क्राइम ब्रांच (Crime Branch) के अधिकारी मौके पर मौजूद रहे। पीआई स्तर (PI Level) के सभी अधिकारी (On-site) तैनात किए गए थे, ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना को रोका जा सके।
#WATCH | Ahmedabad, Gujarat: Amdavad Municipal Corporation (AMC) demolishes illegal settlements near Chandola lake
— ANI (@ANI) April 29, 2025
According to Sharad Singhal, Joint CP (Crime), a majority of Bangladeshis used to stay here. https://t.co/Ew1lzwsgnx pic.twitter.com/4sVzLJIT8l
एएमसी (Ahmedabad Municipal Corporation) का काम
- अहमदाबाद शहर में स्वच्छता के लिए काम करना।
- शहर में अतिक्रमण हटाना।
- स्वास्थ्य सुविधाएं, और भवन निर्माण नियमों का पालन सुनिश्चित करना।
1970-80 के दशक से शुरू हुआ अवैध कब्जा
अहमदाबाद का चंदोला तालाब क्षेत्र (Chandola lake) पिछले कई दशकों से अवैध कब्जों का केंद्र बना हुआ है। बताया जा रहा है कि इस इलाके में अतिक्रमण की शुरुआत 1970 और 1980 के दशक में हुई थी, जब बड़ी संख्या में प्रवासी समुदायों ने यहां अस्थायी बस्तियां बसाना शुरू किया।
समय के साथ यह इलाका अवैध बांग्लादेशी नागरिकों का गढ़ बन गया। यहां मानव तस्करी और फर्जी दस्तावेज बनाने जैसे आपराधिक नेटवर्क भी पनपने लगे। वर्ष 2002 में एक NGO द्वारा ‘सियासत नगर’ नामक बस्ती बसाई गई, जिसके बाद इलाके में तेजी से अवैध निर्माण और घुसपैठ बढ़ी।
2010 से लेकर 2024 तक चंदोला तालाब की जमीन पर कब्जे और निर्माण ने नया रफ्तार पकड़ा। प्रशासन के अनुसार, इस इलाके में हजारों लोगों ने बिना किसी वैध दस्तावेजों के मकान और दुकानें बना लीं, जिनमें से एक बड़ी संख्या बांग्लादेशी नागरिकों की पाई गई है।
इधर भोपाल में बड़ी झील के हालात भी बदतर
भोपाल का बड़ा तालाब: रामसर दर्जा अब सिर्फ कागज़ों में, चारों ओर से अतिक्रमण का शिकंजा
एक समय शहर की पहचान और जीवनरेखा रहा बड़ा तालाब अब गहराते अतिक्रमण की चपेट में है। रामसर साइट का गौरव प्राप्त यह जलाशय अब मिट्टी, मुनाफाखोरी और मिलीभगत के दलदल में समाता जा रहा है। तालाब के कैचमेंट (Catchment) क्षेत्र में फार्महाउस, कॉलोनियों और फ्लोटिंग रेस्टोरेंट के नाम पर ऐसा अतिक्रमण हो रहा है जैसे प्रकृति के शरीर में धीमा ज़हर घोला जा रहा हो।
नया अतिक्रमण, पुरानी फाइलें और सोते अफसर
भोपाल नगर निगम की झील संरक्षण इकाई के पास जिम्मेदारी है इस धरोहर की देखभाल की, लेकिन उनकी निगरानी की हकीकत यह है कि अधिकारी अब भी पुराने अतिक्रमणों में ही उलझे हैं। इसी दौरान नाथू बरखेड़ा, बैरागढ़, बिसनखेड़ी और सूरज नगर जैसे क्षेत्रों में मिट्टी डालकर और पिलर खड़े कर तालाब के अस्तित्व को लीलने वाली नई संरचनाएं खड़ी हो रही हैं।
अतिक्रमण का नेटवर्क: रसूखदारों की शह, जनता की चुप्पी
नगर निगम के ही सर्वे में तालाब के किनारे 1300 से अधिक अतिक्रमण की पुष्टि हो चुकी है। 980 को नोटिस भी जारी हुए, लेकिन कार्रवाई? रसूखदारों के सामने प्रशासन की सख्ती धूल बन जाती है। 523 नोटिस सिर्फ बैरागढ़ और खानूगांव क्षेत्र में जारी किए गए, लेकिन वह कागज़ भी अब शायद किसी फ़ाइल में धूल खा रहा होगा।
भोपाल के 3 तालाब हो गए पूरी तरह खत्म
भोपाल के 14 तालाबों में से तीन पूरी तरह खत्म हो चुके हैं और दो अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहे हैं। मोतिया तालाब अब कंक्रीट की बस्ती है, गुरुबक्श तलैया और अच्छे मियां की तलैया की पहचान तक मिट चुकी है। नवाब सिद्दीक हसन तालाब का 98% क्षेत्र अतिक्रमण की भेंट चढ़ चुका है। जो बचा है, उसमें जलकुंभी उग रही है।
NGT की डांट, कोर्ट का आदेश और निगम की खानापूर्ति
कैचमेंट क्षेत्र में अवैध निर्माण को लेकर राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (NGT) ने नगर निगम को 25 करोड़ रुपये का जुर्माना ठोंका, कोर्ट ने भी रिपोर्ट पेश करने को कहा, लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ एक दीवार गिरा कर रस्म अदायगी हो रही है।
वेटलैंड विशेषज्ञ की चेतावनी
इस मामले में एमपी वेटलैंड अथॉरिटी के सदस्य अभिलाष खांडेकर कहते हैं कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि राज्य सरकार रामसर साइट और भोपाल की शान को अतिक्रमण से नहीं बचा पा रही। यह सिर्फ एक झील नहीं, एक पारिस्थितिकीय विरासत है, जहां सारस जैसे दुर्लभ पक्षी आते हैं। लेकिन मंत्रीगण भोज वेटलैंड को लेकर गंभीर नहीं दिखते।
तालाब के चारों ओर खतरे की घंटी
तालाब के वनट्री हिल्स, भदभदा, सूरज नगर और बैरागढ़ जैसे क्षेत्र अतिक्रमण का नया चेहरा बन चुके हैं। यहां पानी के भीतर पिलर खड़े कर पॉलिथिन, मलबा और मिट्टी डालकर ज़मीन बनाई जा रही है। पर्यावरणीय संतुलन को खुलेआम चुनौती दी जा रही है।
शासन की तरफ से आधी अधूरी कार्रवाई का दावा
अतिक्रमण के हटाने के बारे में भोपाल नगर निगम के अतिक्रमण प्रभारी कमर साकिब ने कहा कि कैचमेंट क्षेत्र में कार्रवाई चल रही है, पिछले महीने ही दर्जनभर अतिक्रमण हटाए गए हैं।
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