एम्स भोपाल में लागू हुई नो रेफरल पॉलिसी, 40 से बढ़ाकर 70 बेड किए
एम्स भोपाल ने इमरजेंसी विभाग के बेड बढ़ाकर 40 से 70 कर दिए हैं। अस्पताल ने नो रेफरल पॉलिसी लागू की है, जिससे किसी भी मरीज को बिना इलाज किए दूसरे अस्पताल नहीं भेजा जाएगा। यह सुधार आपातकालीन सेवा को मजबूत बनाने के लिए किया गया है।
MP News : एम्स ( All India Institute of Medical Sciences) भोपाल ने अपनी इमरजेंसी और ट्रामा सेवा में बड़े बदलाव किए हैं। अब इमरजेंसी विभाग में बेड संख्या 40 से बढ़ाकर 70 कर दी गई है। इसके साथ ही अस्पताल में नो रेफरल पॉलिसी लागू कर दी गई है, जिसके तहत इमरजेंसी में आने वाले किसी भी मरीज को बिना अटेंड किए दूसरे अस्पताल के लिए रेफर नहीं किया जाएगा। यह कदम एम्स की आपातकालीन सेवा को और बेहतर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
एम्स के डायरेक्टर डॉ. अजय सिंह के अनुसार, अब इमरजेंसी में आए मरीजों को तत्काल प्राथमिक उपचार मिलेगा। जिन्हें स्थिति थोड़ी गंभीर नहीं है, उन्हें ई-आर ओपीडी में रखा जाएगा, जहां उनका तत्काल इलाज होगा। आवश्यकता अनुसार उन्हें अस्पताल के संबंधित विभाग के वार्ड में शिफ्ट किया जाएगा। इस पॉलिसी के तहत मरीज को बिना उचित देखरेख और इलाज के दूसरे अस्पताल के लिए भेजना अब प्रतिबंधित है।
यह नीति उन मरीजों के लिए राहत लेकर आई है, जिन्हें पहले बेड उपलब्धता न होने पर तुरंत रेफर कर दिया जाता था, जिससे उनका इलाज में देरी होती थी।
डॉ. अजय सिंह ने बताया कि अब एम्स में ओपीडी और आईपीडी दोनों जगह मरीजों को लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा। पहले मरीजों को रूटीन फॉलोअप के लिए बार-बार लाइन में लगना पड़ता था, लेकिन अब उन्हें संबंधित विभाग में जाकर सीधे पर्चा बनवाकर इलाज कराना होगा। यह बदलाव मरीजों के लिए इलाज के अनुभव को सहज और सुविधाजनक बनाएगा।
अस्पताल में कुल 1460 बेड हैं, जिनमें से 1200 बेड वर्तमान में संचालित हो रहे हैं। इन बेडों में से कुछ विशेष रूप से कैंसर पीडि़त मरीजों के लिए आरक्षित हैं।
'कोड इमरजेंसी' एप- आपात स्थिति में जान बचाने वाला मोबाइल ऐप
एम्स ने स्वास्थ्य सेवा में तकनीकी क्रांति के लिए 'कोड इमरजेंसी' नामक मोबाइल एप लॉन्च किया है। यह एप विशेष रूप से सडन कार्डियक अरेस्ट जैसी गंभीर आपात स्थितियों में तत्काल सहायता प्रदान करेगा।
कोड इमरजेंसी एप की खास बातें -
इसे एक बार डाउनलोड करने के बाद इंटरनेट की आवश्यकता नहीं होगी।
यह प्ले स्टोर पर मुफ्त उपलब्ध है।
एप आम जनता और हेल्थ वर्कर्स दोनों के लिए तैयार किया गया है।
यह एम्स की 'वन स्टेट, वन हेल्थ, वन इमरजेंसी' नीति का हिस्सा है।
डायरेक्टर ने बताया कि इस ऐप के जरिए आपातकालीन स्थिति में त्वरित और प्रभावी प्रतिक्रिया दी जा सकेगी, जिससे कई जानें बचाई जा सकती हैं।