अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (All India Institute of Medical Sciences - AIIMS) भोपाल में भर्ती घोटाले का एक गंभीर मामला सामने आया है। 2012-13 में हुए डॉक्टर्स की नियुक्तियों में अनियमितताओं का खुलासा एक इंटरनल जांच रिपोर्ट से हुआ है।
रिपोर्ट के अनुसार, कई डॉक्टर्स जिनके पास बायोकेमेस्ट्री ( Biochemistry ) की डिग्री नहीं थी, उन्हें भी नियुक्ति दे दी गई और अब उन्हें प्रमोशन भी कर दिया गया है। एम्स भोपाल की इस भर्ती में 19 डॉक्टर्स की जांच की गई, जिनमें से 14 डॉक्टर्स के पदों के लिए वे एलिजिबल नहीं पाए गए।
जांच में सामने आईं गड़बड़ियां
2011 में एम्स की स्थापना के दौरान, डॉक्टर्स की भर्ती के लिए आवेदन मंगाए गए थे। इसके बाद करीब 56 डॉक्टर्स में से 19 डॉक्टर्स की जांच की गई, जिनमें 14 ऐसे डॉक्टर्स पाए गए जिनके पास उनकी पोस्ट के लिए आवश्यक योग्यताएं नहीं थीं।
इनकी नियुक्ति में मिली गड़बड़ी
- डॉ. बेरठा एडी रथनम--प्रोफेसर, एनाटॉमी
- डॉ. सुधीर गोयल, प्रोफेसर
- डॉ अशोक कुमार, असिस्टेंट प्रोफेसर, बायोकेमेस्ट्री
- डॉ अश्विन कोटनिस, असिस्टेंट प्रोफेसर, बायोकेमेस्ट्री
- डॉ अरूण एम कोकने, एडिशनल प्रोफेसर
- डॉ अभिजीत पी पखारे, असिस्टेंट प्रोफेसर
- डॉ संदीप एम हुलके, असिस्टेंट प्रोफेसर, फिजियोलॉजी
- डॉ विकास झा, असिस्टेंट प्रोफेसर न्यूरोसर्जरी
- डॉ शशांक पुरवार, एसोसिएट प्रोफेसर, माइक्रोबायोलॉजी
- डॉ सोमा टी मुखर्जी, असिस्टेंट प्रोफेसर, ऑब्सट्रेटिक एंड गायनोलॉजी
- डॉ संजीव कुमार, असिस्टेंट प्रोफेसर सीएफएम
- डॉ अंशुल राय, असिस्टेंट प्रोफेसर
- डॉ आदेश श्रीवास्तव, असिस्टें ट प्रोफेसर, न्यूरोसर्जरी विभाग
- डॉ रश्मि चौधरी, असिस्टेंट प्रोफेसर बायोकेमेस्ट्री
भर्ती प्रक्रिया और अनियमितता
इस भर्ती प्रक्रिया की जांच के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ( Ministry of Health and Family Welfare) द्वारा एक आंतरिक जांच कमेटी का गठन किया गया था। मंत्रालय ने एम्स भोपाल से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की संभावनाएं जताई हैं। इस जांच में पाया गया कि डॉक्टर्स के पास उस पद के लिए आवश्यक डिग्री नहीं थी, फिर भी उन्हें नियुक्ति और प्रमोशन दिया गया।
केंद्रीय मंत्रालय की प्रतिक्रिया
मामले में अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है, लेकिन हाल ही में शिकायत मिलने के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने एम्स भोपाल से इस भर्ती प्रक्रिया की विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। संकेत दिए गए हैं कि दोषियों की नियुक्तियां रद्द की जा सकती हैं और उन्हें बर्खास्त भी किया जा सकता है।
अन्य एम्स संस्थानों में भी हो चुकी है कार्रवाई
जानकारी के अनुसार, एम्स पटना (AIIMS Patna) और एम्स गोरखपुर (AIIMS Gorakhpur) में भी इस प्रकार की गड़बड़ियां सामने आई थीं। उन संस्थानों में दोषी डॉक्टर्स की नियुक्तियां रद्द कर दी गईं थीं, लेकिन एम्स भोपाल में अब तक ऐसी कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
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