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Indore. कांग्रेस से बीजेपी में भागे अक्षय कांतिलाल बम को लेकर 'द सूत्र' ने गुरुवार 20 मार्च सुबह ही खुलासा किया था कि जिला कोर्ट ने हत्या के प्रयास की धारा 307 व अन्य धाराओं में उन पर व पिता कांतिलाल बम पर चार्ज फ्रेम तय हो गए। वहीं इसी मामले में अक्षय और पिता कांति लाल बम ने एक और चालाकी की, जो हाईकोर्ट में खुल गई। इसके बाद हाईकोर्ट ने उन्हें झटका दे दिया।
अक्षय और कांतिलाल ने याचिका में यह छिपा दिया
जिला कोर्ट से चार्ज फ्रेम होने और अगले महीने से ही इनके खिलाफ ट्रायल शुरू करने के आदेश के खिलाफ अक्षय और पिता कांतिलाल दोनों हाईकोर्ट इंदौर में गए थे। इनकी ओर से 24 अप्रैल 2024 को न्यायाधीश निधि श्रीवास्तव की कोर्ट से धारा 307 लगाने के खिलाफ याचिका दायर हुई। इसमें अपील की गई थी कि इस आदेश को क्वैश किया जाए। लेकिन उन्होंने इस दौरान डिवीजन बेंच का आदेश छिपा लिया। न्यायाधीश श्रीवास्तव के आदेश के खिलाफ उन्होंने रिवीजन लगाई थी, वह भी खारिज हो चुकी थी, लेकिन इस बात को हाईकोर्ट में छिपाते हुए याचिका दायर की गई।
विरोधी पक्ष ने कर दिया खुलासा
इस मामले में अक्षय बम के खिलाफ केस करने वाले याचिकाकर्ता युनुस पटेल के अधिवक्ता मुकेश कुमावत ने इसका खुलासा कर दिया। कुमावत ने तर्क दिए कि बम पिता-पुत्र की यह याचिका मेंटेनेबल ही नहीं है, क्योंकि इसमें उनके द्वारा रिवीजन बैंच का आदेश ही नहीं बताया। इस खुलासे के बाद बम के अधिवक्ता द्वारा इस मामले में याचिका विड्रॉ करने और नए सिरे से याचिका दाखिल करने की छूट मांगी। लेकिन इसे खारिज कर दिया गया। यानी अब जिला कोर्ट में दोनों के खिलाफ हत्या के प्रयास व अन्य धाराओं में तय हुए आरोपों पर ट्रायल शुरू होगा।
यह आरोप तय हुए हैं जिला कोर्ट में
अक्षय बम, पिता कांति बम और मनोज पिता कैलाश गुर्जर पर 307 (हत्या के प्रयास) धारा के साथ ही आईपीसी धारा 447, 148, 323, 506 जैसी धाराओं में चार्ज फ्रेम हुए हैं। बाईसवें अपर सत्र न्यायाधीश विनोद कुमार शर्मा की कोर्ट में यह आदेश हुए हैं। इन धाराओं से बचने के लिए आरोपियों द्वारा कई तर्क दिए गए लेकिन सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने आरोप तय कर दिए।
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18 साल पुराना है केस
यह केस चार अक्तूबर 2007 का यानी करीब 18 साल पुराना है। फरियादी युनुस पटेल की कनाडिया बाईपास की की जमीन पर घटना हुई थी। इस जमीन के लिए कांति बम ने सौदा किया था , इसके लिए आंशिक राशि देकर 50 लाख देना को बाला। बाद में राशि नहीं दी। घटना वाले दिन 4 अक्टूबर 2007 को सुबह जब वह फसल की कटाई कर रहे थे, तभी कांतिलाल बम और पुत्र अक्षय बम अन्य सात-आठ लोगों को लेकर आए और कहा कि यह जमीन उनकी है, सोयाबीन फसल क्यों काट रहे ह। फिर उन्होंने लकड़ियों से नौकरों को पीटना शुरू कर दिया। फसल में आग लगा दी। उनका इलाज कराने के लिए फरियादी युनूस अस्पताल गया, तभी फिर खबर मिली कि आरोपी फिर से जमीन पर कब्जा करने आ गए। वह साथी रिंकू के साथ खेत पर गया तो कांतिलाल बम, अक्षय बम, सुरक्षा गार्ड मनोज, सोनू बंदक लेकर अन्य सात-आठ लोग आए हैं। मुझे देखते ही कांतिलाल बम बोला कि यही यूनुस गुड्ड् है। इसे गोली मारकर जान से खत्म कर दो। साथी रिंकू ने हाथ खींच उसे पीछे खींच लिया। इसके चलते गोली उसे नहीं लगी और बच गया। बाद में आरोपियों ने कहा कि आज तो बच गया लेकिन आज के बाद खेत में आया तो जान से खत्म कर देंगे।
पुलिस ने पहले नहीं लगाई थी 307 धारा
इस मामले में पुलिस ने युनूस के बयान पर धारा 323, 294, 506, 147, 148 और 435 में केस दर्ज किया था लेकिन 307 नहीं लगाई थी। इस पर 24 अप्रैल 2024 को कोर्ट ने पुलिस को 307 (हत्या के प्रयास) में भी केस दर्ज करने के आदेश दिए। अक्षय और कांति बम के खिलाफ वारंट भी जारी हुआ था, लेकिन इसमें वह पेश नहीं हुए, इसके बाद गिरफ्तारी की तलवार लटक गई थी, बाद में हाईकोर्ट से दोनों को राहत मिली थी। अब तीनों आरोपियों के खिलाफ ट्रायल होगा। इसमें एक आरोपी सोनू घटना के बाद से ही फरार है तो वहीं अन्य आरोपी सतबीर की मौत हो चुकी है।
लोकसभा चुनाव की वह चर्चित घटना, सेल्फी
लोकसभा चुनाव इंदौर के दौरान अक्षय बम का बीजेपी में जाना सबसे चर्चित घटना थी। अक्षय बम को टिकट मिला और जोर-शोर से प्रचार शुरू किया। नाम वापसी के पहले भी उन्होंने रात को और फिर अलसुबह कांग्रेस नेताओं के साथ प्रचार किया। इसके बाद फोन बंद कर लिया और सुबह निर्वाचन अधिकारी व कलेक्टर आशीष सिंह के सामने पहुंच गए, इस दौरान विधायक रमेश मेंदोला, एमआईसी मेंबर जीतू यादव व अन्य साथ थे। दो मिनट में नाम वापस लिया और नीचे आ गए। फिर मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने एक फोटो टिव्ट की, जिसमें वह, बम और मेंदोला साथ में दिख रहे हैं। उसी दिन शाम को अक्षय बम ने बीजेपी दफ्तर में सीएम डॉ. मोहन यादव की उपस्थिति में बीजेपी ज्वाइन कर ली और चुनाव होने तक पूरे समय कैलाश विजयवर्गीय के साथ ही रहे। कांग्रेस के पास कोई विकल्प ही नहीं बचा क्योंकि विकल्प में कोई उम्मीदवार ही नहीं था, आखिर में नोटा के लिए प्रचार किया और नोटा ने देश में लोकसभा सीट पर सबसे ज्यादा वोट पाकर इतिहास रचा।