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नील तिवारी, JABALPUR. पर्यावरण को बचाने के लिए आज पूरे विश्व में नए-नए प्रयोग किए जा रहे हैं। इसमें गौ काष्ठ का उपयोग कर पेड़ों को बचाने की मुहिम भी चल रही है। होलिका दहन के लिए भी गौ काष्ठ के उपयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है, पर जबलपुर प्रशासन को इसमे कोई रुचि नहीं दिखाई दे रही। तभी तो जबलपुर में गाय के गोबर से CNG तक बनाने का प्रोजेक्ट शुरू हो गया है पर गौ काष्ठ से जुड़ी सभी योजनाएं दम तोड़ चुकी है। आज की यदि बात करें तो केवल 1 संस्था नानजी देशमुख पशु विश्वविद्यालय के साथ मिलकर गौ काष्ठ निर्माण कर रही है। जिसका कोई भी प्रचार प्रसार शहर में नहीं है। इसी कड़ी में ऊर्जा के नए स्रोतों पर भी शोध चल रहे हैं, आज ही अर्थ ऑवर में बिजली बचाने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने रात 8:30 से 9:30 तक बिजली के उपकरण बंद रखने का आग्रह किया है।
जबलपुर में दर्जनों गौशाला होने के बाद भी गोबर का उपयोग केवल खाद और उपले बनाने के लिए किया जा रहा है। हालांकि, हाल ही में इससे cng बनाने की भी शुरुआत हुई है पर अगर आम नागरिक गौ काष्ठ खरीदना चाहे तो उसे जानकारी मिलना बहुत मुश्किल है। जबलपुर में इसे नानजी देशमुख पशु विश्वविद्यालय से खरीदा जा सकता है। जिसके लिए वंहा 1 छोटी सी दुकान भी खोली गई है, पर इसका प्रचार प्रसार ना के बराबर किया गया है।
2020 में गौकाष्ठ को मुक्तिधाम में लकड़ी के विकल्प के रूप में बनाने की योजना तत्कालीन निगमायुक्त आशीष कुमार ने बनाई जरूर थी पर उसके बाद यह योजना ठंडे बस्ते में चली गई। 2021 में ‘दीनदयाल अंत्योदय राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन’ (Deendayal Antyodaya State Rural Livelihood Mission) के अंतर्गत जबलपुर जिले के पनागर विकासखंड में संचालित स्व-सहायता समूह ने आजीविका के लिए नित नए प्रयोग के तहत अनूठा काम कर दिखाया है। स्थानीय महिलाओं ने इकट्ठे आकर गाय के गोबर से हवनकुंड पात्र का निर्माण करना आरंभ किया था। जो आगे चलकर गौ काष्ठ का भी निर्माण करना चाहती थी पर उदासीनता के चलते यह प्रयास भी आगे नहीं बढ़ पाया।
जबलपुर के नानजी देशमुख पशु विश्वविद्यालय में पंचगव्य निर्माण इकाई के द्वार गाय के गोबर के अन्य प्रोडक्ट के साथ ही गौ काष्ठ का उत्पादन किया जा रहा है। समिति के बालेंदु तिवारी के अनुसार 10 रु प्रति किलो के हिसाब से उपलब्ध गौ काष्ठ को विश्वविद्यालय से खरीदा जा सकता है। बालेंदु के अनुसार अभी शहर में उनकी मात्र 1 संस्था ही विश्वविद्यालय के सहयोग से गौ काष्ठ का उत्पादन कर रही है।