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नेपानगर क्षेत्र के ग्राम अंबाड़ा ( Ambara ) में एक बंदर ( Monkey ) की आकस्मिक मौत ( Death ) हो गई। इसके बाद गांववालों ने मिलकर उसका रीति रिवाज के अनुसार उसका अंतिम संस्कार ( Funeral ) कराया। उसी तरह शवयात्रा निकाली गई जैस आम तौर पर निकाली जाती है। आरती उतारी गई। गांव से शवयात्रा निकली जो मुक्तिधाम पहुंची यहां भी रीति रिवाज के अनुसार उसे दफनाया गया। गांव के पंडित पुरुषोत्तम महाराज ने अंतिम संस्कार के सारी रस्में पूरी कराई।
भावुक हुए ग्रामीण
मुक्तिधाम पहुंचकर गांव के पंडित पुरुषोत्तम महाराज ने अंतिम रस्मे पूरी की। जिसके बाद ग्रामीणों द्वारा बंदर के शव को वहीं दफनाया गया। दरअसल, बुधवार को बंदर एक मकान की छत पर मृत अवस्था में मिला था। लोगों ने बताया कि बंदर काफी सालों से गांव में दिखाई देता था। उसे अक्सर लोग खाने पीने की चीजें दिया करते थे। इसलिए जब बंदर की मौत की खबर ग्रामीणों को लगी तो ग्रामीण भावुक हो गए। सबने मिलकर विधि विधान के साथ बंदर का अंतिम संस्कार किया।
कुर्सी पर बैठाकर ले गए मुक्तिधाम
बंदर को एक कुर्सी पर बैठाकर आरती की गई। कुर्सी को ग्रामीणों ने उठाया और अर्थी की तरह एक के बाद एक कंधा देकर मुक्तिधाम तक पहुंचे। सभी रीति रिवाज उसी तरह किए गए जैसे किसी व्यक्ति के अंतिम संस्कार में किए जाते हैं।
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ज्यादा उम्र मौत का कारण
दरअसल बुधवार को एक मकान की छत पर बंदर मृत अवस्था में मिला। उसकी आकस्मिक मौत हो गई थी। बताया जा रहा है कि उसकी उम्र अधिक हो गई थी। वह गांव में ही नजर आता था। लोग उसे खाने, पीने की चीजें दिया करते थे, लेकिन जब उसकी मौत हुई तो पूरा गांव भावुक हो गया। सभी ने मिलकर निर्णय लिया कि उसका अंतिम संस्कार रीति रिवाज के अनुसार ही होगा।