गुना जिले के शासकीय अस्पताल से भोपाल रेफर की गई तीन साल की हर्षिता कुशवाह की एंबुलेंस में ऑक्सीजन खत्म होने के कारण मौत हो गई। घटना ने स्वास्थ्य व्यवस्था में गंभीर लापरवाही का सवाल खड़ा कर दिया है। बताया गया है कि Ambulance में दूसरा ऑक्सीजन सिलेंडर भी खाली था। बच्ची को अस्पताल में भर्ती कराने की बजाय एंबुलेंस कर्मचारी उसे ब्यावरा सिविल अस्पताल के गेट पर छोड़कर फरार हो गए। न तो बच्ची के साथ कोई रेफर पर्चा था और न ही अस्पताल में भर्ती कराने की कोई कोशिश की गई।
Ambulanc में ऑक्सीजन खत्म
ब्यावरा से करीब 5 किलोमीटर पहले ही एंबुलेंस में ऑक्सीजन खत्म हो गई। जब परिजनों ने दूसरा सिलेंडर देखा, तो वह भी खाली था। इस घातक स्थिति में परिजनों ने गाड़ी को रुकवाया, लेकिन ऑक्सीजन की कमी के कारण बच्ची की हालत लगातार बिगड़ती रही। जैसे ही वे ब्यावरा सिविल अस्पताल पहुंचे, बच्ची को डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।
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एंबुलेंस कर्मचारी की लापरवाही
ब्यावरा सिविल अस्पताल के ड्यूटी डॉक्टर ने बच्ची को मृत घोषित किया, और इसके बाद परिजनों ने एंबुलेंस कर्मचारियों पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि जब वे बच्ची को अस्पताल में लेकर पहुंचे, तो एंबुलेंस कर्मचारी अपना सामान फेंककर वहां से भाग गए। इसके अलावा, गाड़ी में जरूरी कागजात भी ले गए, जिससे बच्ची की स्थिति की सही जानकारी मिल पाना और कठिन हो गया।
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परिजनों का आरोप और पुलिस जांच
हर्षिता के परिजनों ने गुना जिला अस्पताल के डॉक्टरों और स्टाफ पर लापरवाही का आरोप लगाया है। ओंकार सिंह, बच्ची के दादा, ने कहा कि अस्पताल से बच्ची को रेफर किया गया था, लेकिन अस्पताल की ओर से किसी भी प्रकार की मदद नहीं की गई। पुलिस ने इस मामले में जांच शुरू कर दी है और ब्यावरा देहात थाने के एसआई बीएल मवासे ने बताया कि ऑक्सीजन की कमी से बच्ची की मौत का मामला दर्ज किया गया है और संबंधित थाने को सूचना भेजी जा रही है।
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बच्ची की बिगड़ी थी हालत
गुना जिले के ग्राम पटना की निवासी तीन साल की हर्षिता कुशवाह को तेज बुखार आने के बाद गुरुवार को गुना शासकीय अस्पताल में भर्ती किया गया था। हालांकि, शुक्रवार सुबह बच्ची की स्थिति गंभीर हो गई, और डॉक्टरों ने उसे तुरंत भोपाल रेफर कर दिया।
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