अमित शाह ने मोहन सरकार को दिया टास्क, एमपी में भरपूर दूध, फिर लक्ष्य छोटा क्यों?

केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने सहकारी दुग्ध उत्पादन लक्ष्य को बताया बहुत छोटा बताया है। इसके साथ ही उन्होंने राज्य सरकार को फिर से लक्ष्य तय करने की सलाह दी है।

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Rohit Sahu
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केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा कि वर्तमान में मध्यप्रदेश के केवल 17% गांवों से ही सहकारी समितियों के जरिए दूध संकलन हो रहा है। शेष 83% गांवों में सहकारी व्यवस्था की पहुंच नहीं है। उन्होंने सरकार को टास्क दिया कि अगले 5 वर्षों में कम से कम 50% गांवों को इस प्रणाली से जोड़ा जाना चाहिए। इसके साथ ही गृहमंत्री ने कहा कि प्रदेश में जब भरपूर मात्रा में दूध उत्पादित हो रहा है तो लक्ष्य को छोटा क्यों रखा इसे फिर से बनाएं।

लक्ष्य बहुत छोटा, राज्य सरकार संसोधन करे

शाह ने कहा कि राज्य सरकार और एनडीडीबी के बीच हुआ अनुबंध में जो लक्ष्य तय किया गया है वह बहुत ही सीमित है। इसे वास्तविक जरूरतों और क्षमताओं के आधार पर पुनः तय किया जाना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट कहा कि सहकारिता मंत्रालय किसानों के हित में हर संभव मदद करेगा।

 कांग्रेस राज में सहकारिता हुई मृत: शाह

अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में सहकारिता लगभग मृतप्राय हो गई थी। लेकिन अब सुशासन के दौर में सहकारिता के लिए कई अवसर मौजूद हैं। सहकारी आंदोलन को फिर से जीवित करना ही हमारा संकल्प है।

केवल 1% दूध सहकारी प्रणाली में हो रहा संग्रह

मंत्री शाह ने बताया कि प्रदेश में प्रतिदिन 5.5 करोड़ लीटर दूध का उत्पादन हो रहा है, जो कि देश के कुल उत्पादन का 9% है। लेकिन सहकारी दुग्ध संघ मात्र 1% दूध ही संग्रह कर पा रहा है। फिलहाल 12 लाख लीटर दूध संग्रह हो रहा है, जिसे अनुबंध के बाद बढ़ाकर 24 लाख लीटर किया जाएगा। प्रदेश में प्रतिदिन लगभग 3.5 करोड़ लीटर दूध अतिरिक्त (सरप्लस) है, लेकिन इसका भी केवल 2.5% हिस्सा ही सहकारी डेयरी के पास पहुंच रहा है। 

खुले बाजार में होता है किसानों का शोषण

शाह ने यह भी कहा कि खुले बाजार में दूध बेचने पर किसानों का शोषण होता है। सहकारी डेयरियों के जरिए दूध को पनीर, मठा, छाछ जैसे उत्पादों में बदला जाए और सीधा लाभ किसानों के खाते में पहुंचे। नस्ल सुधार और संग्रहण सुविधा बढ़ाने की दिशा में भी तेजी से कार्य होना चाहिए।

एनडीडीबी के एमडी बोले– अब अंतरराष्ट्रीय बाजार तक पहुंचेंगे किसान

एनडीडीबी के एमडी डॉ. मीनेश शाह ने कहा कि अब किसानों के दुग्ध उत्पादों को न केवल अन्य राज्यों में बल्कि विदेशों तक भी भेजा जाएगा। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी।

सहकारी आंदोलन की उपेक्षा पर जताई चिंता

अमित शाह ने कहा कि सहकारी आंदोलन देश में कई जगह सफल रहा तो कई राज्यों में यह सरकारीकरण और नीतिगत जड़ता के कारण पिछड़ गया। समय के साथ कानूनों में बदलाव नहीं होने से यह आंदोलन बिखर गया था। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्र सहकारिता मंत्रालय बनाकर इसमें नई ऊर्जा दी है।

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