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एमपी के उमरिया जिले में स्थित बांधवगढ़ में करीब 200 एकड़ वनभूमि पर लोगों ने अवैध रूप से कब्जा कर लिया गया है। कब्जाधारियों ने इस जमीन पर खेती और मकान बना लिए हैं। यह जमीन वनसंरक्षित क्षेत्र का हिस्सा है। इस मामले में अब हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए अधिकारियों को नोटिस भेजा है। कोर्ट ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए अधिकारियों से जवाब मांगा है।
इन अधिकारियों को नोटिस
इस मुद्दे को लेकर खलौंद निवासी रामलखन सेन ने एमपी हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की। याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत व जस्टिस विवेक जैन की डिवीजन बेंच ने इस पर गंभीरता दिखाई है। याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के बाद कोर्ट ने प्रमुख सचिव वन विभाग, उमरिया कलेक्टर, वन अधिकारी व डिप्टी डायरेक्टर को नोटिस जारी करते हुए 4 सप्ताह के भीतर जवाब प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।
अधिकारियों को दी गई शिकायत, नहीं हुई कार्रवाई
याचिकाकर्ता के अधिवक्ताओं परिमल चतुर्वेदी, अनुज पाठक, विशेष पांडे और साकेत सिंह ने अदालत को बताया कि बांधगढ़ (bandhav garh tiger reserve) में इस अवैध कब्जे की जानकारी वन विभाग और संबंधित मंत्रियों, अधिकारियों को भी दी गई थी, परंतु कोई कार्रवाई नहीं की गई। जानकारी के बाद भी अधिकारी इस पर गंभीर नहीं दिखे।
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मध्य प्रदेश में वन और पर्यावरण की रक्षा की जिम्मेदारी संभालने वाले आईएफएस (IFS - Indian Forest Service) अफसरों की संपत्ति के ब्योरे ने चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। आईएएस और आईपीएस अफसरों की तरह ही आईएफएस अधिकारी (IFS) भी संपत्ति के मामले में पीछे नहीं हैं। खास बात यह है कि इन अफसरों ने देश के बड़े शहरों के अलावा उन क्षेत्रों में भी संपत्ति खरीदी है जो टाइगर रिजर्व (Tiger Reserve) के आसपास स्थित हैं।
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कहां-कहां है IFS अफसरों की प्रॉपर्टी?
इन अफसरों ने अपनी प्रॉपर्टी की जानकारी में बताया है कि उन्होंने देश और प्रदेश के बड़े शहरों जैसे इंदौर (Indore), भोपाल (Bhopal), जबलपुर (Jabalpur) सहित छोटे शहरों जैसे बालाघाट (Balaghat), सिवनी (Seoni), छिंदवाड़ा (Chhindwara), खरगोन (Khargone), खंडवा (Khandwa), महेश्वर (Maheshwar) में भी जमीन, मकान और प्लॉट खरीदे हैं। खास बात यह है कि इन जिलों के जिन इलाकों में जमीन खरीदी गई हैं, वह टाइगर रिजर्व के आसपास आते हैं।
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