अजब एमपी का गजब सरकारी स्कूल, हेडमास्टर पिता की जगह बेटा बना टीचर

अनूपपुर जिले से एक चौंकाने वाली खबर आई है। गांव के एक सरकारी स्कूल के हेडमास्टर पिछले दो महीने से स्कूल नहीं आ रहे थे। उनकी जगह उनका बेटा स्कूल का सारा काम संभाल रहा था। मामले की जांच के बाद अधिकारी सन्न रह गए।

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Raj Singh
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सरकारी नौकरी को लेकर अक्सर सवाल उठते रहते हैं। मीडिया में आए दिन चर्चा होती है कि सरकारी कर्मचारी समय पर काम पर नहीं जाते और देर से पहुंचने के बाद भी जल्दी ही घर के लिए ऑफिस से निकल जाते हैं। दरअसल, हम इस बारे में इसलिए बात कर रहे हैं क्योंकि मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले से एक हैरान कर देने वाली खबर सामने आई है। यहां पिता की जगह बेटा स्कूल में पढ़ाने जा रहा था। इस खबर के सामने आने के बाद एक बार फिर सरकारी नौकरियों को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं।

क्या है पूरा मामला?

यह पूरा मामला एमपी के अनूपपुर जिले के चोलना गांव का है जो जिला मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर की दूरी पर ग्रामीण क्षेत्र में है। जिसके चलते यहां कोई बड़ा अधिकारी जांच के लिए नहीं आता, लेकिन पिछले शनिवार को पंचायत के मुख्य कार्यकारी अधिकारी तन्मय वशिष्ठ शर्मा जांच के लिए आए। उन्होंने स्कूल के सभी शिक्षकों की उपस्थिति को लेकर हाजिरी रजिस्टर चेक किया तो पता चला कि हेडमास्टर चमन लाल कंवर और एक अन्य शिक्षक कई दिनों से गायब हैं।

ऐसे हुआ खुलासा

अधिकारी ने जब गहन जांच की तो पता चला कि हेडमास्टर साहब पिछले दो महीने से स्कूल नहीं आए हैं, उनकी जगह उनका बेटा राकेश प्रताप सिंह आ रहा है। साथ ही स्कूल का पूरा काम भी वही संभाल रहा है। यह सब जानकर पंचायत के मुख्य कार्यकारी अधिकारी तन्मय वशिष्ठ शर्मा हैरान रह गए। इसके बाद पुलिस और शिक्षा विभाग को इस पूरी घटना की जानकारी दी गई।

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शिक्षा विभाग हुआ सर्तक

शिकायत के बाद पुलिस पूरे मामले की जांच में जुट गई है। शिक्षा विभाग स्कूल में मौजूद सभी शिक्षकों के बयान दर्ज कर रिपोर्ट तैयार कर रहा है। इसके अलावा इस मामले के सामने आने के बाद शिक्षा विभाग सतर्क हो गया है और अब अन्य सरकारी स्कूलों की भी जांच शुरू कर दी है।

पिछले महीने ही खबर आई थी कि मध्य प्रदेश के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी है। रिक्त पदों को भरने के निर्देश भी दिए गए थे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मध्य प्रदेश के कुछ स्कूलों में 36,059 सरप्लस शिक्षक हैं, जिन्हें उन स्कूलों में भेजा जाएगा, जहां शिक्षकों की कमी है।

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