एमपी के इस जिले में पारित हो गया कमीशनखोरी का प्रस्ताव, रेट किए तय, HC पहुंचा मामला
मध्य प्रदेश में एक अजीब भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है, जहां पंचायत के जनप्रतिनिधियों ने विकास कार्यों में अपने लिए कमीशन तय किया। अब यह मामला हाईकोर्ट में जा पहुंचा है।
मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले की ग्राम पंचायत सलारगोड़ी में भ्रष्टाचार का एक अनोखा मामला सामने आया है, जहां पंचायत के जनप्रतिनिधियों ने खुलकर विकास कार्यों में अपने लिए कमीशन तय कर दिया। यह मामला तब चर्चा में आया जब सरपंच, उपसरपंच और पंचों ने मिलकर ग्राम सभा में एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें वे विकास कार्यों की राशि में अपना कमीशन तय करने का फैसला कर चुके थे। सरपंच विक्रम प्रसाद ने 10%, उपसरपंच सोनियाबाई ने 7%, और पंच नरबदिया बाई ने 5% कमीशन तय किया था।
हाईकोर्ट में मामला
यह मामला अब मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में पहुंच चुका है। न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और विवेक जैन की युगलपीठ ने राज्य शासन और संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी किया है, साथ ही उन्होंने इस मामले में छह सप्ताह के भीतर जवाब देने का आदेश दिया है। याचिकाकर्ता सुनील कुमार सोनी ने कोर्ट में दलील दी कि इस मामले के उजागर होने के बावजूद प्रशासन ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की है। उनका आरोप है कि समाचार प्रकाशन और शिकायतों के बावजूद प्रशासन की चुप्पी सवालों के घेरे में है।
याचिकाकर्ता ने मांग की है कि इस मामले की न्यायिक जांच की जाए और सभी विकास कार्यों की विस्तृत जांच की जाए, ताकि भ्रष्टाचार के असल कारणों का पता चल सके। साथ ही, उन्होंने दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की भी अपील की है। यह मामला पंचायत स्तर पर भ्रष्टाचार के संगठित स्वरूप को उजागर करता है। अब यह देखना होगा कि उच्च न्यायालय इस मामले में क्या फैसला लेता है और राज्य सरकार और प्रशासन किस रुख अपनाते हैं।
हाईकोर्ट की सख्ती के बाद यह अहम सवाल बन गया है कि क्या राज्य सरकार और संबंधित अधिकारी मामले को गंभीरता से लेंगे और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करेंगे। अगर आरोप सही साबित होते हैं, तो यह एक अहम उदाहरण बन सकता है, जिससे पंचायत स्तर पर भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए जा सकें।