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भारत में हुए आतंकी हमले के बाद जवाबी सैन्य कार्रवाई ऑपरेशन सिंदूर के बाद देश के सात राज्यों को अलर्ट पर रखा गया। जिनमें पाकिस्तान की सीमा से दूर मध्यप्रदेश भी शामिल है। भले ही एमपी न तो अंतरराष्ट्रीय सीमा पर है और न ही युद्ध क्षेत्र के पास, फिर भी इसे हाई अलर्ट पर रखना भारतीय सेना की रणनीति में इसकी केंद्रीय भूमिका को उजागर करता है। एमपी सेना के लिए लाइफलाइन की तरह है।
जबलपुर की फैक्ट्री से निकता है सेना के लिए गोला बारूद
जबलपुर की खमरिया ऑर्डनेंस फैक्ट्री भारतीय सेना की गोला-बारूद सप्लाई का मुख्य केंद्र है। यहीं से थल, जल और वायु सेना को युद्ध सामग्री भेजी जाती है। हाल ही में पहलगाम आतंकी हमले के बाद यहां के कर्मचारियों की छुट्टियां रद्द कर दी गईं हैं, क्योंकि उत्पादन का लक्ष्य बढ़ा दिया गया है। इस फैक्ट्री की नींव 1943 में सेकंड वर्ल्ड वॉर के समय रखी गई थी, और तब से लेकर कारगिल युद्ध तक यह लगातार सक्रिय रही है।
जबलपुर में होती हैं सबसे ताकतवर स्वदेशी तोपें तैयार
गन कैरिज फैक्ट्री, जबलपुर में बनने वाली 'धनुष' तोप आज भारतीय सेना की सबसे बड़ी ताकत मानी जाती है। यह बोफोर्स की तकनीक पर आधारित भारत में बनी स्वदेशी तोप है, जिसकी रेंज 40 किलोमीटर तक है। धनुष तोप में सैटेलाइट से लक्ष्य की पोजिशन प्राप्त कर फायर करने की क्षमता है। इसके साथ ही यहां सारंग तोप का भी निर्माण होता है।
महू: दो सदियों से बन रही हैं फौजी रणनीतियां
इंदौर के पास महू स्थित है देश की 207 साल पुरानी छावनी। यहां तीन बड़े सैन्य संस्थान स्थित हैं- इंफेंट्री स्कूल, मिलिट्री कॉलेज ऑफ टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग (MCTE) और आर्मी वॉर कॉलेज। महू में भारतीय सेना के लिए कमांडो ट्रेनिंग से लेकर युद्ध की रणनीतियों तक का अभ्यास कराया जाता है।
इंफेंट्री स्कूल की शुरुआत फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ ने की थी। इसकी कमांडो विंग बेलगाम में है और यह कई अंतरराष्ट्रीय निशानेबाज तैयार कर चुका है।MCTE में संचार तकनीक की आधुनिक ट्रेनिंग दी जाती है, जहां विदेशों के अफसर भी आते हैं। आर्मी वॉर कॉलेज, जो पहले कॉलेज ऑफ कॉम्बैट के नाम से जाना जाता था, यहां हर साल 3000 से ज्यादा अफसर रणनीति और सैन्य सिद्धांतों की ट्रेनिंग लेते हैं।
इटारसी ऑर्डिनेंस फैक्ट्री
इटारसी ऑर्डिनेंस फैक्ट्री मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले में स्थित है। यह भारतीय सेना के लिए सैन्य उपकरणों का निर्माण और परीक्षण करने वाली प्रमुख फैक्ट्री है। यह फैक्ट्री भारतीय रक्षा प्रणाली की जरूरतों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
यहां दो प्रमुख सेंटर हैं। एक में गोला-बारूद तैयार किया जाता है, जबकि दूसरे सेंटर में तोपों, गोला-गन और कारतूस की टेस्टिंग की जाती है।
इटारसी फैक्ट्री भारतीय सेना के लिए अत्यधिक सटीक और प्रभावी उपकरणों की आपूर्ति करती है, जो सुरक्षा और सैन्य संचालन के लिए आवश्यक हैं। यह फैक्ट्री भारतीय रक्षा उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में कार्य करती है।
आमला एयर बेस
आमला एयर बेस मध्य प्रदेश में स्थित एक भारतीय वायु सेना (IAF) का महत्वपूर्ण बेस है। यह एयर बेस भारतीय वायु सेना की संचालन क्षमता को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आमला एयर बेस का प्रमुख उद्देश्य वायु रक्षा, एयर पेट्रोलिंग और अन्य सैन्य अभियानों में मदद करना है।
आमला एयर बेस में विभिन्न सैन्य विमानों और हेलीकॉप्टरों का संचालन किया जाता है, और यह भारतीय वायु सेना की सामरिक तैयारियों का हिस्सा है। यह बेस विशेष रूप से भारतीय वायु सेना के प्रशिक्षण और ऑपरेशनों के लिए महत्वपूर्ण है, जिससे वायु सेना की टीमों को उच्चतम स्तर की तैयारियों के साथ तैयार किया जाता है।
ग्वालियर एयरफोर्स: जहां से 'मिराज' करता है गर्जना
ग्वालियर का एयर फोर्स स्टेशन भारतीय वायुसेना की सेंट्रल कमांड के लिए अहम केंद्र है। यह 1985 से मिराज 2000 लड़ाकू विमानों का बेस रहा है। कारगिल युद्ध में ग्वालियर बेस से उड़ान भरने वाले मिराज 2000 विमानों ने दुश्मनों के ठिकानों पर सटीक हमले किए थे। ग्वालियर एयरबेस आज भी देश की वायु रक्षा प्रणाली का अभिन्न हिस्सा है।
क्यों रखा गया MP को अलर्ट पर
एमपी में मौजूद सैन्य संस्थानों, गोला-बारूद निर्माण केंद्रों और रणनीतिक ठिकानों के कारण इसे सामान्य समय में भी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसे में जब देश पाकिस्तान के खिलाफ बड़ी सैन्य कार्रवाई करता है, तो मध्यप्रदेश को भी सुरक्षा दृष्टिकोण से अलर्ट पर रखना लाजमी हो जाता है। इस कारण सरकार ने एमपी को अलर्ट पर रखा है।
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एमपी से कर्नल सोफिया का खास रिश्ता
भारतीय सेना ने पाकिस्तान के खिलाफ 'ऑपरेशन सिंदूर' चलाकर आतंकवाद के समर्थकों को कड़ा संदेश दिया है। इस ऑपरेशन के बाद भारतीय सेना ने प्रेस ब्रीफिंग की, जिसमें दो महिला अधिकारी मौजूद थीं। इनमें से एक कर्नल सोफिया कुरैशी थीं, जिनका परिवार मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के नौगांव से ताल्लुक रखता है। सोफिया ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा नौगांव के जीडीसी स्कूल से प्राप्त की थी।
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