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भोपाल में ASI को 5 लाख की रिश्वत देने के मामले में नया खुलासा हुआ है। इस मामले में बीजेपी पार्षद का नाम सामने आया है। दरअसल साइबर ठगी का रैकेट चलाने वाले मुईन खान उसके बेटे और अन्य लोगों को बचाने के लिए यह रिश्वत दी जा रही थी। इसका सौदा 25 लाख में तय हुआ था। मुईन और उसका बेटा अफजल साइबर ठगी का कॉल सेंटर चलाता था।
19 संगीन अपराधों में दर्ज हैं केस
मुईन खान पर टीकमगढ़ में 19 संगीन अपराध दर्ज हैं, जिनमें हत्या का प्रयास, लूट, मारपीट और सट्टा शामिल हैं। वह टीकमगढ़ का लिस्टेड गुंडा है। जांच में खुलासा हुआ कि साइबर ठगी की रकम अफजल खान अपने साले मुईन और अरमान के नाम पर इन्वेस्ट करता था। इसी मामले में आरोपियों को बचाने ASI ने घूस मांगी थी हालांकि रिश्वत लेने से पहले ही उन्हें हिरासत में ले लिया गय। मामले में कार्रवाई की जा रही थी लेकिन इसके पहले ही आरोपी पुलिसकर्मी फरार हो गए।
ASI और अन्य पुलिसकर्मी हिरासत से फरार
बुधवार को क्राइम ब्रांच और एसीपी जहांगीराबाद की टीम ने पहली बार किसी पुलिसकर्मी के घर पर छापा मारा और रिश्वत में दिए गए 500-500 रुपए के 10 गड्डियां बरामद किए। हालांकि कार्रवाई में पुलिस हिरासत से एएसआई और अन्य पुलिसकर्मी फरार हो गए। इस मामले में एएसआई पवन रघुवंशी के खिलाफ भ्रष्टाचार अधिनियम की धाराओं में केस दर्ज किया। साथ ही मामले में ऐशबाग थाने के थाना प्रभारी जितेंद्र गढ़वाल के खिलाफ भी केस दर्ज हुआ है।
क्या है पूरा मामला?
चार साल पहले कुरियर कंपनी में काम करने वाला मुईन आज करोड़ों की संपत्ति का मालिक है। उसने टीकमगढ़ में आलीशान बंगला बनाया है और लग्जरी गाड़ियों में घूमता है। अपराध की दुनिया में पहचान बनाने के बाद मुईन राजनीति में भी घुसने की कोशिश कर चुका है। भाजपा के टिकट पर पार्षद चुनाव लड़ चुका भोपाल पुलिस ने मुईन को पकड़ने के लिए टीकमगढ़ में छापा मारा, लेकिन वहां की चमक-दमक देखकर खुद लालच में आ गए।
बीजेपी पार्षद ने रिश्वत देने का बनाया प्लान
टीकमगढ़ से पार्षद अंशुल उर्फ (मोना जैन) मुईन को बचाने के लिए भोपाल आया और रिश्वत की पेशकश की। ऐशबाग थाने के तत्कालीन टीआई जितेंद्र गढ़वाल को इस डील का पता चला और उन्होंने यह मामला अपने विश्वासपात्र पवन रघुवंशी को सौंप दिया।
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ASI ने रखी 25 लाख की मांग
भोपाल के एएसआई पवन रघुवंशी प्रधान आरक्षक धर्मेंद्र सिंह और मनोज सिंह ने मुईन, उसके भाई वसीम और अफजल की पत्नी जाहिदा को बचाने के लिए 25 लाख रुपए की मांग की। पहली किश्त के तौर पर 15 लाख देने की बात हुई। अंशुल ने पवन को 5 लाख रुपए सौंपे, लेकिन दूसरी पेमेंट होने से पहले ही पुलिस ने छापा मार दिया।
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मामले में चार पुलिसकर्मी निलंबित
इधर, मामले में ठगी के कॉल सेंटर के मामले में कार्रवाई में पुलिस अधिकारियों ने एक्शन लिया है। कॉल सेंटर के मामले में लापरवाही बरतने को लेकर टीआई जितेंद्र गढ़वाल, एएसआई पवन रघुवंशी, प्रधान आरक्षक धर्मेंद्र और प्रधान आरक्षक मनोज को निलंबित किया गया है। पुलिस कमिश्नर हरिनारायण चारी मिश्रा ने बताया कि इन चारों पुलिसकर्मियों के खिलाफ विभागीय जांच की जा रही है। साथ ही कॉल डिटेल रिकॉर्ड भी निकाले जा रहे हैं।