Disability Certificate : दिव्यांग सर्टिफिकेट की जांच रिपोर्ट उठा रही फर्जीवाड़े से पर्दा

मध्यप्रदेश मेडिकल बोर्ड की जांच में 6 सहायक प्राध्यापकों की दिव्यांगता पर अब सवाल उठने लगे हैं। इसी को लेकर ग्वालियर-चंबल अंचल से मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट मुख्यालय पहुंची गई है। इस रिपोर्ट में कई सहायक प्राध्यापक संदेह के घेरे में है...

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Sanjay Sharma
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Disability Certificate : मध्यप्रदेश में 2019 में सहायक प्राध्यापक बने अभ्यर्थियों के दिव्यांग प्रमाण पत्रों का मामला उछलने के बाद अब उच्च शिक्षा विभाग के नए सिरे से जांच करा रहा है। ग्वालियर-चंबल अंचल के कॉलेजों में पदस्थ ऐसे कई सहायक प्राध्यापकों के प्रमाण पत्र संदेह के घेरे में आ गए हैं। जैसे-जैसे मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट आती जा रही है नौकरी के लिए फर्जी दिव्यांग बनने वालों के चेहरों से पर्दा उठता जा रहा है। भेद खुलने के बाद सरकार फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र लगाने वालों पर कार्रवाई होना भी तय माना जा रहा है। लेकिन इसमें भी उच्च शिक्षा विभाग को कई पेंचों का सामना करना पड़ सकता है। नियुक्ति के समय यानी चार साल पहले हुई गलती को सुधारने में अब भी विभाग कछुआ चाल चल रहा है। अब भी दर्जनों सहायक प्राध्यापक मेडिकल बोर्ड के सामने नहीं पहुंच रहे हैं। वहीं विभाग भी उन पर कसावट करने में कमजोर नजर आ रहा है।  

इन सहायक प्राध्यापकों का कराया गया परीक्षण

उच्च शिक्षा विभाग द्वारा संभाग स्तर पर जांच अधिकारी नियुक्त कर मेडिकल बोर्ड से सहायक प्राध्यापकों की जांच के निर्देश दिए गए थे। अक्टूबर माह में जारी किए गए पत्र के बाद भोपाल, इंदौर, जबलपुर, नर्मदापुरम, उज्जैन और ग्वालियर-चंबल संभाग में पदस्थ सहायक प्राध्यापकों को शारीरिक जांच कराने बुलाया गया था। इस नोटिस के बाद अब भी कई सहायक प्राध्यापक शारीरिक परीक्षण से बचते आ रहे हैं। वहीं अकेले ग्वालियर चंबल संभाग में कई सहायक प्राध्यापकों में अशक्तता उतनी नहीं पाई गई जितनी प्रमाण पत्र में दर्शाई गई थी। 

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दिव्यांगता का प्रतिशत मिला कम

ग्वालियर-चंबल संभाग में कार्यरत 19 सहायक प्राध्यापकों की जांच रिपोर्ट विगत दिनों उच्च शिक्षा विभाग के अतिरिक्त संचालक प्रो. कुमार रत्नम को मिली थी। जिसे उन्होंने उच्च शिक्षा विभाग को भेजा है। इनमें माधवराव सिंधिया शासकीय आर्दश महाविद्यालय ग्वालियर में पदस्थ सहायक प्राध्यापक राजनारायण शर्मा के दाहिने पांव में साल 1995 में चोट लगने की वजह से शारीरिक अशक्तता का प्रतिशत 40 फीसदी से ज्यादा बताकर प्रमाण पत्र पेश किया गया था। मेडिकल बोर्ड से कराई गई जांच के दौरान एक्स रे में शर्मा के पैर में पुराना फ्रैक्चर होने की पुष्टि नहीं हुई। उनकी शारीरिक दिव्यांगता भी नहीं पाई गई। भिंड जिले के गोरमी कॉलेज के सहायक प्राध्यापक मोहित कुमार दुबे के दाहिने पांव में भी चोट की वजह से स्थायी दिव्यांगता की पुष्टि मेडिकल बोर्ड द्वारा नहीं की गई। बोर्ड ने दुबे को एक्स रे कराने की सलाह दी थी, लेकिन उन्होंने एक्स-रे रिपोर्ट भी नहीं सौंपी। दुबे की आंखें भी पूरी तरह निरोग पाई गई हैं। 

दृष्टि बाधित होने की नहीं हुई पुष्टि 

मुरैना शासकीय पीजी कॉलेज के कार्यरत सहायक प्राध्यापक डॉ. प्रदीप सिंह सिकरवार मेडिकल बोर्ड के सामने ही हाजिर नहीं हुए। शिवपुरी स्थित शासकीय माधवराव सिंधिया स्नातकोत्तर महाविद्यालय में पदस्थ सहायक प्राध्यापक मंजू सोनी की आंखें भी सामान्य मायोपिया रोगग्रस्त पाई गई हैं। इस वजह से उनमें दिव्यांगता का प्रतिशत भी 30 फीसदी से कम मिला है। इसी तरह ग्वालियर के डॉ. भगवत सहाय शासकीय कॉलेज में कार्यरत डॉ. अमित शर्मा का प्रमाण पत्र भी संदेह से घिरा हुआ है। नौकरी के समय पेश किए गए प्रमाण पत्र में डॉ. शर्मा को 40 फीसदी से अधिक अशक्त बताया गया था, जबकि मेडिकल बोर्ड की जांच में उनकी आंखों में अशक्तता का प्रतिशत 30 से कम मिला है। यही स्थिति ग्वालियर के ही शासकीय कमलाराजा कन्या पीजी कॉलेज में सहायक प्राध्यापक सामंत सिंह सेंगर की मिली हे। सामंत सिंह की आंखों में भी दिव्यांगता का प्रतिशत 30 से कम पाया गया है। जबकि बैरा ऑडियोमेट्री जांच न होने के कारण सुनने की क्षमता का सही प्रतिशत सामने नहीं आ सका है।

ऐसे ही दिव्यांग सर्टिफिकेट पर बने सहायक प्राध्यापक

प्रदेश में साल 2019 में नियुक्ति के दौरान सहायक प्राध्यापकों के प्रमाण पत्रों का वेरिफिकेशन जानबूझकर नहीं कराने के आरोप लगते रहे हैं। इस नौकरी पर अपना दावा करने वाले ऐसे सैंकड़ों अभ्यर्थी नियुक्ति प्रक्रिया पर सवाल उठाते रहे हैं, लेकिन सरकार को इनके सत्यापन की सुध अब आई है। व्हिसिल ब्लोअर देवेन्द्र प्रताप सिंह सूचना के अधिकार के जरिए दस्तावेज जुटाने के साथ ही हाईकोर्ट में याचिका लगाकर इस फर्जीवाड़े की परतें खोलते रहे हैं। वे फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट के सहारे सहायक प्राध्यापक बनने वालों को उजागर करने में जुटे हुए हैं। उनका कहना है अभी भी बड़ी संख्या में फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र लगाने वाले मेडिकल बोर्ड के सामने पेश नहीं हो रहे हैं। उच्च शिक्षा विभाग भी इस पर चुप्पी साधे बैठा है।

मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट सहायक प्राध्यापक एमपी न्यूज disability certificate ग्वालियर-चंबल अंचल के कॉलेज फर्जी दिव्यांग सर्टिफिकेट