उज्जैन में बाबा महाकाल की शाही सवारी सोमवार को , इतने स्वरूपों में देंगे भक्तों को दर्शन

उज्जैन में बाबा महाकाल की शाही सवारी कल यानी सोमवार को शाम 4 बजे निकलेगी। बताया जा रहा है कि इस सवारी में भगवान अपने सात स्वरूपों में भक्तों को दर्शन देंगे...

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Sandeep Kumar
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भगवान महाकाल ( Lord Mahakal ) की शाही सवारी दो सितंबर को शाम चार बजे बाबा भोलेनाथ, महाकालेश्वर मंदिर ( Mahakaleshwar Temple ) से शुरू होगी और रात 10 बजे तक मंदिर लौटने का समय निर्धारित किया गया है। महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध  ( Mahakaleshwar Temple Management ) समिति के प्रशासक गणेश कुमार धाकड़ (Ganesh Kumar Dhakad ) ने बताया कि भाद्रपद माह की दूसरी और आखिरी सवारी 2 सितंबर को शाही सवारी के रूप में निकलेगी। इस दौरान रजत पालकी में श्री चन्द्रमौलेश्वर, गरूड़ रथ पर शिवतांडव,हाथी पर श्री मनमहेश, डोल रथ पर होल्कर स्टेट के मुखारविंद, श्री घटाटोप मुखोटा, नंदी रथ पर उमा-महेश और श्री सप्तधान का मुखारविंद सम्मिलित रहेगा।

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पुलिस के जवान देगें गार्ड ऑफ ऑनर

भगवान महाकाल की शाही सवारी निकलने के पहले महाकालेश्वर मंदिर के सभामंडप में विधिवत पूजा-अर्चना की जाएगी। इसके बाद रजत पालकी में सवार होकर अपनी प्रजा के हाल जानने के लिए नगर भ्रमण पर निकलेंगे। मंदिर के मुख्य द्वार पर सशस्त्र पुलिस बल ( armed police force ) के जवानों द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाएगा।

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इन रास्तों से निकलेंगी सवारी

भगवान चंद्रमौलेश्वर की पालकी निर्धारित समय शाम 4 बजे से प्रारंभ होकर कोट मोहल्ला, बक्षीबाजार चौराहा,हरसिद्धि पाल से रामघाट ( Ramghat ) पहुंचेगी। रामघाट पर क्षिप्रा नदी के तट पर पूजा होगी। इसके बाद सवारी रामानुजकोट, बंबई वाले की धर्मशाला, गणगौर दरवाजा, सत्यनारायण मंदिर ( Satyanarayan Temple ), कमरी मार्ग, टंकी चौराहा, तेलीवाडा, कंठाल, सतीमाता मंदिर, छत्री चौक, गोपाल मंदिर पर पहुंचेगी। जहां सिंधिया स्टेट ( Scindia State ) द्वारा पालकी में विराजमान भगवान चंद्रमौलेश्वर की पूजा की जाएगी। उसके बाद सवारी पटनी बाज़ार और महाकाल चौराहा होते हुए मुख्य मंदिर परिसर में वापस आएंगी पहुंचेगी।

शाही सवारी में शामिल होगा गुदुम बाजा

2 सितंबर को सातवें सोमवार सवारी के क्रम में प्रमुख ( शाही ) सवारी में मध्य प्रदेश के डिंडोरी जिले का आदिवासी धूलिया जनजाति ( Tribal Dhulia Tribe  )  गुदुम बाजा शामिल होगा । ये बाजा दल लोक नर्तक दल दिनेश कुमार भार्वे ( Dinesh Kumar Bharve ) के नेतृत्व में पालकी के आगे भजन मंडलियों के साथ अपनी प्रस्तुति देते हुए चलेगा। आपको बताते चलें कि गुदुम बाजा (Gudum Baja ) प्रदेश के डिंडोरी, शहडोल और मंडला जिलों में रहने वाले जनजातियों ( tribes ) का अत्यन्त पारंपरिक वाद्य है।

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sandeep mishr

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