मध्य प्रदेश के बड़े मेडिकल कॉलेजों में नियुक्त फैकल्टी की प्राइवेट प्रैक्टिस को लेकर नए नियम बनाने की तैयारी की जा रही है। अब इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, सागर और राजधानी भोपाल के मेडिकल कॉलेजों में पढ़ाने वाले डॉक्टर प्राइवेट प्रेकटिस नहीं कर पाएंगे। इसके अतिरिक्ति प्रोत्साहन भत्ता के रूप में उन्हें 20% तक ‘नॉन-प्रैक्टिस अलाउंस’ देने का प्रस्ताव है।
कॉलेज में 8 घंटे देना होगा
यह निर्णय नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) के उस निर्देश के आधार पर लिया गया है, जिसके अनुसार फैकल्टी को कॉलेज में 8 घंटे का समय देना अनिवार्य है। इस संदर्भ में मेडिकल एजुकेशन कमिश्नर कार्यालय ने प्रस्ताव तैयार किया है, जिसे अब कैबिनेट की मंजूरी मिलनी बाकी है। स्वास्थ्य मंत्री और डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला ने बताया कि इस प्रस्ताव पर चर्चा चल रही है।
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फैकल्टी की कमी से छात्रों को परेशानी
इस निर्णय के पीछे कारण यह बताया जा रहा है कि छात्रों को बेहतर शिक्षा और मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए शिक्षकों का पूरा ध्यान कॉलेज में होना चाहिए। बड़े शहरों में कई फैकल्टी पूर्ण रूप से कॉलेज में उपस्थित नहीं रहते, जिससे छात्रों को प्रभावी शिक्षा में दिक्कतें आती हैं। वहीं, पिछड़े क्षेत्रों में मेडिकल फैकल्टी की कमी को देखते हुए उन्हें प्रोत्साहन देने की योजना बनाई गई है।
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