मध्य प्रदेश में डिजिटल अरेस्ट ( digital arrest ) के मामले तेजी से बढ़ोतरी से देखने को मिल रही है। ताजा मामला सामने आया है मध्य प्रदेश के इंदौर और जिले में जहां पर बैंक मैनेजर को ही डिजिटल अरेस्ट करके ठगी की वारदात को अंजाम दिया गया है। इसी सप्ताह इंदौर-उज्जैन में डिजिटल अरेस्ट के दो मामले सामने आए है। इस ठगी की घटना में बदमाशों ने करीब 90 लाख रुपए लूट लिए। इन दोनों ही मामलों में अपराध का एक पैटर्न देखा गया। पुलिस ने कहा है कि ऐसे ठगी से बचने के लिए जागरूकता ही एक मात्र विकल्प है।
क्या होता है डिजिटल अरेस्ट ?
सबसे पहले जान लेते हैं आखिर डिजिटल अरेस्ट (digital arrest ) का मतलब क्या होता है। इसका सीधा सा मतलब है किसी को फोन या अन्य डिजिटल माध्यमों (digital mediums ) से अरेस्ट कर लेना। इसके बाद उसे इतना डरा देना कि वह किसी बात भी ना कर सके।
इंदौर में रिटायर्ड बैंक अधिकारी ठगी का शिकार
इंदौर के महालक्ष्मी नगर में भी रिटायर्ड बैंक अधिकारी से ठगी का मामला सामने आया है। बदमाशों ने उन्हें डिजिटल तरीके से अरेस्ट करके करीब 40 लाख रुपए की ठगी कर ली। पुलिस के मुताबिक,पीड़ित रिटायर्ड बैंक अधिकारी को एक फोन आया उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग (money laundering ) का वारंट हुआ है। इसके बाद बदमाशों ने पैसे ट्रांसफर करवा लिए।
रिटायर्ड बैंक अधिकारी से 50 की ठगी
उज्जैन में बदमाशों ने खुद को सीबीआई अफसर (CBI officer ) बताकर रिटायर्ड बैंक अधिकारी से 50 लाख रुपए से ज्यादा की ऑनलाइन ठगी कर ली। धोखाधड़ी का शक होने पर रिटायर्ड अधिकारी ने पुलिस ठाने में शिकायत करके न्याय की गुहार लगाई है।
फ्राड के करीब 75 मामले दर्ज हुए
सायबर सेल में SP जितेंद्र सिंह के मुताबिक दो लाख रुपए से 50 मामले दर्ज हुए हैं। इस साल भी अभी तक 25 केस दर्ज किए जा चुके हैं।
किसी अनजान कॉल से बचे
अगर किसी भी अनजान शख्स की कॉल आए तो बिना डरे फौरन टोल फ्री नंबर 1930 पर फोन करें। ये साइबर क्राइम नेशनल हेल्पलाइन नंबर है। इसके बाद तुरंत जाकर पुलिस थाना में शिकायत दर्ज करवा सकते हैं।
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