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मध्यप्रदेश के करीब 40 हजार बैंककर्मी बुधवार (9 जुलाई) को हड़ताल पर रहेंगे। ये कर्मचारी अपनी 17 सूत्रीय मांगों के समर्थन में हड़ताल करेंगे, जिसके कारण प्रदेश की लगभग 8,500 शाखाओं में कामकाजी गतिविधियों पर असर पड़ेगा।
बता दें कि ऑल इंडिया बैंक एम्पलाइज एसोसिएशन, ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसिएशन, और बैंक एम्पलाइज फेडरेशन ऑफ इंडिया ने केंद्रीय श्रमिक संगठनों की मांगों के समर्थन में बैंक हड़ताल 2025 (Bank Strike 2025) का आह्वान किया है। यह हड़ताल जन-विरोधी और श्रम-विरोधी नीतियों के खिलाफ है, साथ ही बैंकिंग और वित्तीय संस्थाओं की विभिन्न मांगों को लेकर की जा रही है।
बैंककर्मियों की क्या हैं प्रमुख मांगें?
17 सूत्रीय मांगों पर फोकस
बैंक हड़ताल 2025 के तहत जिन मुख्य मांगों को लेकर आंदोलन किया जा रहा है, उनमें शामिल हैं:
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केंद्रीय श्रमिक संगठनों की मांगों का समाधान किया जाए।
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सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और बीमा कंपनियों को मजबूत किया जाए।
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बैंकों और एलआईसी में निजीकरण और विनिवेश पर रोक लगाई जाए।
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बीमा क्षेत्र में 100% एफडीआई बढ़ोतरी को रोका जाए।
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सार्वजनिक क्षेत्र की सामान्य बीमा कंपनियों को एक इकाई के रूप में विलय किया जाए।
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पर्याप्त भर्तियां सुनिश्चित की जाएं।
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आउटसोर्सिंग और अनुबंध नौकरियों पर रोक लगाई जाए।
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एनपीएस (नए पेंशन योजना) को समाप्त कर ओपीएस (पुरानी पेंशन योजना) को बहाल किया जाए।
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कॉर्पोरेट्स से खराब ऋण वसूलने के लिए कड़े कदम उठाए जाएं।
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आम ग्राहकों के लिए बैंकों में सेवा शुल्क कम किया जाए।
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जीवन और स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर जीएसटी वापस लिया जाए।
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प्रतिगामी श्रम संहिताओं को लागू न किया जाए।
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ट्रेड यूनियन अधिकारों का उल्लंघन न किया जाए।
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बैंक कर्मियों की लंबित मांगों का शीघ्र समाधान किया जाए।
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मध्यप्रदेश में बैंक हड़ताल का क्या प्रभाव रहेगा?
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मध्यप्रदेश के लगभग 40,000 बैंककर्मी इस हड़ताल में भाग लेंगे।
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राज्य की 8,500 से अधिक शाखाएं प्रभावित होंगी।
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भोपाल में 400 शाखाओं के 5,000 कर्मचारी हड़ताल में शामिल होंगे।
आंदोलन की प्रमुख बातें
बिंदु | विवरण |
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हड़ताल का दिन | बुधवार |
भाग लेने वाले संगठन | AIBEA, AIBOA, BEFI |
मुख्य वजह | निजीकरण, जन-विरोधी नीतियाँ |
प्रमुख स्थान | भोपाल, पूरे मध्यप्रदेश |
कर्मचारी संख्या | 40,000+ |
5 पॉइंट्स में समझें पूरी खबर
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हड़ताल का कारण: बैंककर्मियों ने सरकार की जन-विरोधी नीतियों और बैंक निजीकरण के खिलाफ 17 सूत्रीय मांगों को लेकर राष्ट्रव्यापी हड़ताल का आह्वान किया है।
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मुख्य मांगें: निजीकरण रोकने, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को मजबूत करने, एनपीएस को समाप्त करने, और आउटसोर्सिंग नौकरियों पर रोक लगाने की मांग की गई है।
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प्रभाव: मध्यप्रदेश में 40,000 बैंककर्मी और भोपाल में 400 शाखाएं प्रभावित होंगी। हड़ताल से बैंकों की सेवाएं ठप रहेंगी।
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ट्रेड यूनियनों का समर्थन: केंद्रीय श्रमिक संगठनों और स्वतंत्र ट्रेड यूनियनों ने इस हड़ताल का समर्थन किया है, जो सरकार की श्रम-विरोधी नीतियों के खिलाफ है।
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लक्ष्य: हड़ताल का उद्देश्य सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकों और कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा करना है।
ट्रेड यूनियन का बयान
वीके शर्मा, संयुक्त ट्रेड यूनियन मोर्चा के प्रवक्ता ने कहा कि यह सिर्फ बैंककर्मियों की नहीं, पूरे देश की लड़ाई है। सरकार की जन-विरोधी नीतियों और कर्मचारियों की उपेक्षा के खिलाफ यह निर्णायक कदम है।
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