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नीमच के 16 साल पुराने फर्जी एनकाउंटर मामले में दिल्ली सीबीआई ने इंदौर से दो अहम गिरफ्तारी की है। इसमें पन्ना में पदस्थ डीएसपी ग्लैडविन एडवर्ड कर और प्रधान आरक्षक नीरज प्रधान हैं। यह गिरफ्तारी नीमच के चर्चित बंशीलाल गुर्जर एनकाउंटर केस में हुई है। सीबीआई ने दो दिन की रिमांड भी कोर्ट से ली है। 7 फरवरी 2009 के इस चर्चित कांड को लेकर द सूत्र अब कई खुलासे करने जा रहा है। यह सीबीआई जांच उज्जैन के गोवर्धन पंडया और नीमच के मूलचंद खींची द्वारा हाईकोर्ट इंदौर में लगाई गई याचिका पर साल 2013-14 में हुए आदेश से शुरू हुई। कुल मिलाकर यह केस अब डीएसपी और आरक्षक की गिरफ्तारी के साथ ही फर्जी एनकाउंटर की जगह पुलिस की गोली से हुई हत्या में बदल चुका है। क्योंकि जो मरा वह गुर्जर नहीं था, फिर पुलिस ने किस निर्दोष को मारा था।
इस चर्चित कांड को लेकर यह सारे खुलासे-
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पुलिस एफआईआर में आखिर एनकाउंटर को लेकर ग्लैडविन ने क्या लिखा था
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किसे हीरो बताया था, किन्होंने चलाईं थी गोलियां
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तत्कालीन एसपी वेदप्रकाश शर्मा को कैसे पता चला कि गुर्जर कहां आ रहा है
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गुर्जर जिंदा तो वह कौन था जो पुलिस की गोली से मरा
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तत्कालीन कलेक्टर संजय गोयल और एडीएम सुबोध रेगे ने कैसे बचाया पुलिस को
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सीआईडी के अधिकारियों ने भी कैसे बचाया पुलिस को
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सीबीआई ने दस साल बाद कैसे ली गिरफ्तारी
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बंशी एक वीडियो से कैसे फंसा था
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अब बंशी क्या बोल रहा है इस कांड पर द सूत्र से सीधी बात
इस कांड में यह हुआ था, पुलिस के मुताबिक
इस एनकाउंटर मामले में पुलिस ने जो रामपुरा थाने नीमच में एफआईआर लिखवाई, जो थाना प्रभारी ग्लैडविन ने ही लिखवाई थी। इसके अनुसार बात करें तो- ग्लैडविन रामपुरा टीआई थे, मनासा एसडीओपी अनिल पाटीदार थे। सात फरवरी 2009 को एसपी वेदप्रकाश शर्मा ने जानकारी दी कि बंशी गुर्जर गांधीसागर की ओर छिपा हुआ है और रात को अपने घर पर पेशन मोटरबाइक से नलवा जा रहा है। इसके पास हथियार रहते हैं। थाना प्रभारी कुकडेश्वर पीएस परमार और टीआई बघाना मुख्तार कुरैशी व मनासा टीआई विवेक गुप्ता को भी खबर दी गई।
गुर्जर की गिरफ्तारी के लिए दो दल बने
गुर्जर को पकड़ने के लिए दो दल बने, एक में टीआई परमार, कुरैशी के साथ प्रधान आरक्षक श्याम पाल सिंह, वेणीराम, आर अनोखी लाल, आर अनवर, मंगल सिंह थे। दूसरे दल में ग्लैडविन, विवेक गुप्ता, अनिल पाटीदार, भगवान सिंह, नीरज प्रधान, फतेह सिंह, दुर्गाशंकर तिवारी, आर मनुरव्दीन, कमलेंद्र थे।
इस तरह हुआ एनकाउंटर, हमने जान पर खेला
दोनों दलों ने जगह तय कर प्लानिंग बनाकर तैयारी कर ली। ग्लैडविन द्वारा लिखवाई एफआईआर में है कि हमारा दल एक बाइक की जांच कर रहा था। तभी पहले दल के लोगों की आवाज आई "गुर्जर सरेंडर कर दो"। उनकी बात सुनकर हमने बाइक वाले को देखा और आवाज लगाई "सरेंडर कर दो", तभी उसने दो फायर किए, एक मेरी बाजू पर और गुप्ता के रगड़ करते हुए लगी।
हमने जान की परवाह नहीं कर चलाई गोली
आगे लिखा है कि मैंने और गुप्ता ने जान की परवाह नहीं करते हुए गोली चलाई। वहीं मनासा एसडीओ पाटीदार ने भी गोली चलाई, वह गिर गया। उसके पास डायरी व अन्य कागज थे। इसमें बंशी गुर्जर नाम लिखा था, वह घायल था, उसे रामपुरा अस्पताल ले गए।
अब कैसे पता चला गुर्जर जिंदा
गुर्जर का एक साथी घनश्याम कुछ दिन बाद सड़क एक्सीडेंट में मारा गया। इसका भी केस हुआ। लेकिन एक मुखबिर की सूचना पर पुलिस को पता चला कि घनश्याम तो जिंदा है और उज्जैन जेल में है। इस पर उससे पुलिस ने पूछताछ की तो पता चला कि यह गुर्जर ने ही उसे बताया था कि "मरने की नौटंकी करो, सारे केस खत्म हो जाएंगे"।
वीडियो में नाचते मिला बंशी
घनश्याम के पास मोबाइल में एक वीडियो मिला जिसमें एक कार्यक्रम में बंशी नाचते हुए दिखा। इस पर पुलिस चौंक गई। उसका पता निकाला और आईजी उज्जैन उपेंद्र जैन ने टीम बनाकर बंशी गुर्जर को जिंदा पकड़ लिया।
आज तक यह तीन सवालों के जवाब पुलिस और सीआईडी को नहीं
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एसपी वेदप्रकाश शर्मा आज तक यह नहीं बता सके कि उन्हें किसने गुर्जर की जानकारी दी थी और कैसे वह कंफर्म थे कि वह गुर्जर ही था।
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गुर्जर जिंदा तो वह जो पुलिस की गोली से मरा वह कौन था, आज तक इसका खुलासा नहीं हुआ
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फिर एक और मौत हुई थी, घनश्याम जिंदा था तो फिर सड़क एक्सीडेंट में कौन मरा था, यह भी आज तक सामने नहीं आया। इन सवालों का सीबीआई तलाश कर रही है।
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कलेक्टर, एडीएम, सीआईडी सभी ने बचाया
गुर्जर मामले में कलेक्टर संजय गोयल ने मजिस्ट्रियल जांच बैठाई और तत्कालीन एडीएम सुबोध रेगे ने जांच की। इस पर आरोप लगे कि इसमें पुलिस को बचाने का काम हुआ और कभी इसमें सच्चाई जानी ही नहीं और एनकाउंटर को साल 2010 की इस रिपोर्ट में सही बताया गया। इसमें वेदप्रकाश व कई पुलिस वालों के बयान ही नहीं थे, ना कभी मृतक का डीएनए टेस्ट हुआ। बाद में सीआईडी जांच हुई लेकिन इसमें भी पुलिस ने मामले को ठंडा कर दिया। इसके बाद यह मामला हाईकोर्ट इंदौर गया और वहां पर सीबीआई जांच के आदेश किए गए।
बंशी गुर्जर अभी क्या कर रहा है, क्या बोला द सूत्र से
बंशी गुर्जर एक समय का बड़ा अपराधी जो एनडीपीएस, हथियार मामले के कई आरोप में घिरा है। वह राजस्थान पुलिस पर हमला कर साथी छुड़ाने से फरवरी 2009 में चर्चा में आया था। फिर एनकाउंटर केस से चर्चा में आया। अभी नलवा में ही रहता है और सोशल मीडिया पर एक्टिव होने के साथ आज भी बाहुबली की तरह ही व्यवहार करता है। समय-समय पर नई गाड़ियां खरीदता है और इसकी रील बनाकर भी डालता है। उसके साथ हमेशा कई लोग रहते हैं। द सूत्र ने उससे सीधी बात की तो उसने कहा कि इस एनकाउंटर के बारे में मुझे कुछ नहीं पता क्योंकि मैं तो फरार था, बाद में पकड़ा गया और अभी दो साल पहले ही जमानत पर जेल से छूटा हूं। पुलिस ने मेरी जगह किसे गोली मारी और क्या किया, मैं इस बारे में कुछ भी नहीं जानता हूं। अब अपराध की दुनिया छोड़ चुका हूं और शांति से जीवन जी रहा हूं।
इन अधिकारियों पर लटक रही गाज
इस मामले में कई अधिकारी जांच के राडार में हैं। इसमें तत्कालीन एसपी वेदप्रकाश शर्मा जो रिटायर हो गए हैं और अभी बाबा रामदेव की कंपनी का काम देखते हैं। उनके साथ ही अनिल पाटीदार जो अभी बड़वानी एडिशनल एसपी हैं और उस समय मनासा एसडीओ थे, वह मोबाइल बंद कर गायब हैं। विवेक गुप्ता जो पीथमपुर सीएसपी हैं और उस समय मनासा टीआई थे, मुख्तार कुरैशी एसीपी भोपाल जो उस समय टीआई बघाना थे, सभी भी जांच के घेरे में हैं।
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