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बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय ( Barkatullah University ) में कुलपति ने अपने कार्यालय के बाहर एक निर्देश पत्र लगवाया है, जिसमें लिखा है कि आगंतुकों को कुलपति से मिलने के लिए बागसेवनिया थाना प्रभारी से अनुमति लेनी पड़ेगी। ऐसा देश में ऐसा पहला निर्णय होगा। जिसमें छात्रों और कुलपति के बीच इस प्रकार की दूरी बनाई जा रही है।
कुलपति से पहले थाना प्रभारी से मिले
बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय के कुलपति के इस आदेश के अनुसार छात्रों को अपनी समस्याओं के समाधान के लिए सीधे कुलपति से मिलने के बजाए पहले थाना प्रभारी से मिलना आवश्यक होगा।
तुगलकी फरमान
एनएसयूआई के मेडिकल विंग के अध्यक्ष रवि परमार का कहना है कि कुलपति से मुलाकात के लिए थाना प्रभारी की अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया गया है। उन्होंने इसे तुगलकी फरमान करार दिया है। साथ ही कहा है कि यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है और इस फैसले को तुरंत वापस लिया जाए।
व्यवस्था पर सवाल
इस निर्णय ने मध्य प्रदेश में उच्च शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। छात्रों की समस्याओं का समाधान अब सीधे कुलपति से नहीं, बल्कि थाने से होकर ही संभव होगा। एनएसयूआई के नेताओं का कहना है कि यदि छात्रों को कुलपति से मिलने के लिए थाने जाना पड़े तो विश्वविद्यालय में कुलपति की आवश्यकता ही क्या है? उनका मानना है कि यदि ऐसा ही चलता रहा तो विश्वविद्यालय परिसर में ही थाना खोल देना चाहिए।
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छात्र हितों का हनन
एनएसयूआई ने भाजपा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि इस सरकार के कार्यकाल में छात्र हितों का सबसे अधिक हनन हो रहा है। उन्होंने सरकार से छात्रसंघ चुनाव पर अपना रुख स्पष्ट करने की मांग की है।
विरोध और समाधान की मांग
रवि परमार का कहना है कि कुलपति से मिलने के लिए थाना प्रभारी से अनुमति लेने का यह निर्णय छात्रों के लिए अत्यधिक असुविधाजनक है और इसे तुरंत वापस लिया जाना चाहिए। एनएसयूआई और छात्रों ने इस निर्णय के खिलाफ विरोध जताया है और उच्च शिक्षा विभाग से इसे रद्द करने की मांग की है।
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