जिला प्रशासन और नगर निगम की ट्रैफिक जाम से मुक्ति के लिए चलाए जा रहे बेसमेंट मुहिम को झटका लगा है। एक याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा है कि केवल नोटिस देकर कार्रवाई नहीं की जा सकती है। संबंधित पक्षकार के साथ संयुक्त निरीक्षण हो, नक्शा देखा जाए और फिर आदेश पारित करते हुए ही कार्रवाई हो। हालांकि मामला अभी एक याचिका विशेष के संबंध में है लेकिन इस आधार पर अब अन्य भी इस मामले में राहत ले सकते हैं।
यह है मामला
भवंरकुआ पर श्रीकृष्ण राणा के भवन को नोटिस जारी हुआ कि बेसमेंट का कमर्शियल यूज हो रहा है इसे सील किया जाए। इस नोटिस के खिलाफ उन्होंने अधिवक्ता जयेश गुरनानी के जरिए याचिका दायर कर दी। इसमें कहा गया कि केवल नोटिस के आधार पर ही कार्रवाई हो रही है, जबकि ना सुना गया है और ना ही कोई विधिवत आदेश हुआ है। यह भी कहा कि नक्शे में स्टोर रूम स्वीकृत है, इसकी भी मौके पर कोई जांच नहीं हुई और ना नक्शा देखा गया।
हाईकोर्ट ने यह कहा
हाईकोर्ट जस्टिस प्रणय वर्मा ने सभी पक्ष को सुनने के बाद आदेश दिया कि प्रतिवादी यानी नगर निगम आठ अक्टूबर को याचिकाकर्ता की उपस्थिति में संयुक्त निरीक्षण करें। साथ ही यह भी देखे कि नक्शे के अनुरूप उपयोग हो रहा है या नहीं। इसके बाद ही कार्रवाई के लिए आगे बढ़ा जाए। ऐसा नहीं होने पर किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की जाए।
बेसमेंट में यह उपयोग स्वीकृत
अधिवक्ता गुरनानी ने बताया कि निगम ने यह मान लिया है कि बेसमेंट केवल पार्किंग के लिए ही है। जबकि भू विकास नियम 2012 के नियम के तहत यहां पर पार्किंग के साथ ही, ज्वलनशील सामग्री स्टोरेज, सुरक्षित कक्ष, रेडिएशन कक्ष केवल मेडिकल रिसर्च वर्क, स्टोर रूम, एसी डक्ट, यह भी उपयोग हो सकते हैं। इसी के तहत नक्शे पास है। ऐसे में स्टोर रूम उपयोग को प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता है, इस आधार पर नोटिस देना गलत है।
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