राज्य प्रशासनिक सेवा (SAS) बैच के अपर कलेक्टर अधिकारियों के बीच में फिलहाल तनातनी का दौर चल रहा है। यह दौर IAS कौन पहले बनेगा? इसके लिए है, जिसकी डीपीसी जल्द संभव है। इसमें लड़ाई हो रही है राज्य प्रशानिक सेवा की बैच 2006, 2007 और 2008 के अधिकारियों के बीच में। इसमें एक-दो नहीं दस अपर कलेक्टर तो सीधे तौर पर ही हाईकोर्ट में आमने-सामने हो गए हैं।
यह है मामला
बैच 2006 की अधिकारी और अपर कलेक्टर शालिनी श्रीवास्तव, अपर कलेक्टर कल्पना आनंद और अपर कलेक्टर महेंद्र सिंह कवचे ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। इसमें मांग की गई कि सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) ने उनकी सीनियरिटी केवल विभागीय परीक्षा में देरी के कारण नीचे कर दी है। यह हाईकोर्ट जबलपुर की फुल बैंच (तीन जस्टिस) द्वारा दिए गए फैसले के विरूद्ध है। सीनियरटी बैच के नीचे नहीं हो सकती है। सीनियरटी प्रभावित होने से पदोन्नति सहहित अन्य सेवा हित प्रभावित हो रहे हैं। इस आधार पर हाईकोर्ट ने अगस्त 2023 में आदेश दिया कि जीएडी फुल बैंच के आर्डर को ही फॉलो करे।
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फुल बैंच का आर्डर भी बैच 1995-1996 के कारण हुआ था
यह फुल बैंच का आर्डर भी इसी तरह के सीनियरटी विवाद में हुआ था जिसमें 1995 और 1996 बैच के प्रभावित अपर कलेक्टर अरूण परमार, विवेक श्रोत्रिय, वरदमूर्ति मिश्र, मनीषा सेंथिया, भारती ओग्रे, राजेश ओग्रे, विनय निगम हाईकोर्ट पहुंचे थे। इसमें अप्रैल 2021 में इनके हक में फैसला दिया गया और हाईकोर्ट ने कहा कि अधिकारी की सीनियरटी उसकी बैच के नीचे नहीं की जा सकती है।
शालिनी, कल्पना, महेंद्र के हक में फैसले के विरोध में अपर कलेक्टर
जैसे ही हाईकोर्ट ने जीएडी को इन अधिकारियों की सीनियरटी में सुधार के आदेश दिए और इनके हक में फैसला हुआ, इसके बाद बैच 2007, 2008 के बीच में हलचल मच गई। कारण है कि इनकी सीनियरटी सुधरती है तो इन बैच के अधिकारियों का आईएएस बनने की डीपीसी में नंबर पीछे हो जाएगा यानी इनके आईएएस बनने में और समय लगेगा।
यह अधिकारी गए रिव्यू पिटीशन में
ग्रेडेशन सुधार रोकने के लिए शासन के विरोध में बैच 2007 के अधिकारी सपना लोवंशी, रोहना सक्सेना, आशीष पाठक के साथ ही 2008 बैच के हृदयेश श्रीवास्तव, भारती, अभिषेक दुबे, प्रदीप जैन, रजनीश कसेरा, निधि राजपूत रिट पिटीशन में चले गए हैं। इसमें शासन को पक्षकार बनाया है।
जीएडी ने शुरू कर दी थी ग्रेडेशन सुधार की प्रक्रिया
शालिनी श्रीवास्तव, आनंद, कवचे वाला आर्डर हाईकोर्ट का फुल बैंच के आर्डर से कवर्ड है। फुल बैंच का आर्डर का भी सुप्रीम कोर्ट से केस रिमांड होने के बाद हुआ था। यानी कानूनी रूप से यह बैच 2006 के अधिकारी मजबूत है। इसी के चलते जीएडी भी इस ग्रेडेशन को सुधारने की प्रक्रिया में लग गया था लेकिन जानकारों के अनुसार यह केस लगाने से जीएडी की ग्रेडेशन की प्रक्रिया रूकेगी और ऐसे में यदि डीपीसी होती है तो फिर ग्रेडेशन नहीं सुधरेगी और यह अधिकारी प्रभावित ही रहेंगे। रिव्यू पिटीशन लगाने वाले याचिकाकर्ता अधिकारी की याचिका में लिखा भी है कि हमे इनपुट मिले हैं कि ग्रेडेशन में संशोधन हो रहा है, इसलिए हम हाईकोर्ट आए हैं।
पहले ही आईएएस बनने में यह पिछड़ चुके
बीते साल 2006 की डीपीसी शुरू हो चुकी है, इसमें अभी याचिका लगाने वाले कुछ अधिकारी पहले ही प्रभावित हो चुके हैं, जैसे की अपर कलेक्टर शालिनी श्रीवास्तव, भुरला सोलंकी पीएससी चयन रिजल्ट में सीनियरटी में वंदना शर्मा, अर्चना शर्मा से आगे थे लेकिन जीएडी विभागीय परीक्षा के चलते नीचे रखे जाने के चलते यह बीते साल आईएएस नहीं बन सके और वंदना व अर्चना शर्मा आईएएस हो गए।
अभी 2006 बैच के कई अधिकारी बाकी है
बैच 2006 लंबी है। अभी इसमें विभागीय परीक्षा के कारण प्रभावित अधिकारी शालिनी श्रीवास्तव, कल्पना आनंद, भुरला सिंह सोलंकी, महेंद्र सिंह कवचे, काशीराम बडोले, अनुपमा निनामा, सोहन कनाश को छोड़ भी दें तो इसी बैच में करीब दस अधिकारी और है, जो अभी आईएस बनने की लिस्ट में है। इसमें नंदा भलावे, निशा डामोर, सविता झानिया, सारिका भूरिया, कमल सोलंकी, जितेद्र चौहान, कमलेश पुरी, संतोष टैगोर, शैली कनाश, राकेश कुसरे शामिल है।
इसके पहले 2002 व 2006 के बीच में हो चुका विवाद
इसके पहले बीते साल में 2002 व 2006 के बीच डीपीसी को लेकर विवाद हो चुका है। दरअसल डीपीसी पहले 2002 बैच के अधिकारियों की हो रही थी। लेकिन इसी बीच बैच 2006 के कुछ अधिकारियों ने मांग रख दी कि दोनों की एक साथ कराई जाए। जीएडी ने इस मांग के बाद डीपीसी टाल दी और फिर इसमें देरी होकर एक साथ दोनों बैच की हुई, इससे बैच 2002 के अधिकारी प्रभावित हुए और देरी से आईएस बन सके।