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भोपाल विकास प्राधिकरण (BDA) में बदलाव हुआ है और अब यहां राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी प्रदीप जैन को हटाकर डायरेक्ट आईएएस जिसे आरआर रेगुलर रिक्रूटमेंट कहते हैं, उन्हें लाया गया है। साल 2018 बैच के श्यामबीर को नया सीईओ बनाया गया है। इसे विकास प्राधिकरण सीईओ पद पर नियुक्ति में बड़े बदलाव के तौर पर देखा जा रहा है और अब नजरें मप्र के सबसे अमीर प्राधिकरण, इंदौर विकास प्राधिकरण (आईडीए) पर चली गई है। जिसमें जल्द सीईओ के लिए बदलाव की चर्चा चल रही है।
सबसे हॉट टॉपिक आईडीए सीईओ पोस्टिंग
उल्लेखनीय है कि यह पद इंदौर में पोस्टिंग में सबसे हॉट टॉपिक है, इसमें दर्जन भर से ज्यादा आईएएस अधिकारी दौड़ में एक साल से लगे हुए हैं। वर्तमान सीईओ आरपी अहिरवार बैच 2006 के राज्य प्रशासनिक अधिकारी थे, जो एक साल पहले प्रमोट होकर आईएएस बने हैं। अहिरवार के समय में आईडीए में काम भी तेजी से हुए हैं और कई बड़े प्रोजेक्ट जमीन पर आ गए हैं, बजट भी कई गुना बड़ा और आईडीए का खजाना भी बहुत मजबूत हुआ है।
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क्यों हो रही बात आईडीए में RR आईएएस की
- आईडीए का सालाना बजट 6 हजार करोड़ से अधिक का हो चुका है। शहर के साथ ही आईडीए का विस्तार तेजी से हुआ है।
- आईडीए में जमीन के मामले बेशकीमती हो चुके हैं, ऐसे में भूमाफियाओं और बड़े कारोबारियों का दबाव और दखल दोनों ही तेजी से बड़े हैं। इसे हैंडल करने के लिए अब उच्च स्तर पर आईएएस लाने की चर्चा चल रही है।
- इंदौर में जिला प्रशासन यानी कलेक्टर को मॉनीटरिंग और नोडल बॉडी है लेकिन निगम और आईडीए ही सबसे अहम बॉडी विकास से जुड़ी है। जब दोनों जगह आईएएस हैं तो यहां भी आईएएस लाने की बात उठी है।
- आरआर आईएएस को लाने के लिए इंदौर के उच्च स्तर के अधिकारियों ने भी भोपाल स्तर पर अपने इनपुट दिए हैं।
फिर एक पद और अपर कलेक्टर के हाथ से निकलेगा
इंदौर में आईडीए सीईओ पर मोटे तौर पर अपर कलेक्टर रैंक के राज्य प्रशासनिक सेवा अधिकारी ही आते रहे हैं। यह पोस्ट अपर कलेक्टर रैंक की है, इसी तरह निगमायुक्त की पोस्ट भी इसी रैंक की है। लेकिन मनीष सिंह के बाद इसे लेकर अब भोपाल स्तर पर रणनीति बन चुकी है कि यह एक कलेक्टरी किए हुए आईएएस को दी जाएगी। इसी के तहत पहले देवास कलेक्टर से हटाकर आशीष सिंह को लाया गया, फिर श्योपुर कलेक्टर से हटाकर प्रतिभा पाल को, फिर इसी तर्ज पर हर्षिका सिंह और फिर अब शिवम वर्मा, सभी एक-एक कलेक्टरी किए हुए हैं और डायरेक्टर यानी आरआर आईएएस है। अब तो दो अपर आयुक्त भी आईएएस ही हैं। यह तय है कि एक बार आईएएस की पोस्टिंग होती है तो फिर इसी तर्ज पर आगे भी इस पर आईएएस की पोस्टिंग होती रहेगी यानी एक और अहम पद इंदौर में अपर कलेक्टर रैंक के राज्य प्रशासनिक सेवा अधिकारी के हाथ से निकल जाएगा।
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क्यों हो रही आईएएस की इतनी पोस्टिंग ?
डायरेक्टर आईएएस की पोस्टिंग का सबसे बड़ा कारण है बहुत बड़ी बैच। पहले यह बैच 5-7 अधिकारियों की होती थी लेकिन अब 10-15 डायरेक्टर तो इतने ही प्रमोटी आईएएस यानी करीब 30 अधिकारियों की बैच होने लगी है। इसके चलते आईएएस के कलेक्टर बनने में जो पहले औसतन 6 साल लगते थे वह अब 9-10 साल हो चुके हैं, वहीं इसके बाद उसके लिए अधिक समय बचता ही नहीं है, क्योंकि 15 साल में वह सचिव स्तर पर प्रमोट हो जाता है, मुश्किल से एक-दो जिलों में कलेक्टरी मिल रही है। ऐसे में आईएएस को फील्ड पोस्टिंग के लिए अब नए-नए पद देखे जा रहे हैं। कलेक्टोरेट में अपर कलेक्टर का पद हो, जिला पंचायत सीईओ, नगर निगम और अब विकास प्राधिकरण पर शासन की नजरें गई है।
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