प्रॉपर्टी खरीद-बेच रहे हैं तो रहें सावधान, फर्जी हो सकता है ई-स्टाम्प

मध्यप्रदेश के जबलपुर में जांच में पता चला कि ये ई स्टाम्प होते तो असली थे, पर कम कीमत के स्टाम्प की कीमत बढ़ा दी जाती थी। जांच में सभी ई स्टाम्प की असली कीमत 50 रुपए पाई गई, जिसे एडिट कर 1000 रुपए किया गया था...

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Jitendra Shrivastava
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नील तिवारी, JABALPUR. ई-स्टाम्प का नए तरीके का फर्जीवाड़ा सामने आया है। जिसमें कम कीमत के ई-स्टाम्प की कीमत बढ़ाकर, शासन को चूना लगाया गया। उप पंजीयक की नाक के नीचे, ई-स्टाम्प पेपर का सेवाप्रदाता बना रहा था फर्जी स्टाम्प, मामले का खुलासा तब हुआ जब फर्जी स्टाम्प को इस्तेमाल कर विक्रय पत्र बनाया गया और एक अधिवक्ता को शक होने पर उसने इसके खिलाफ शिकायत कर दी।

ये है पूरा मामला

दरअसल, जबलपुर के मझौली तहसील के नंदग्राम में रहने वाले सलैया चमार जिनकी उम्र 54 वर्ष है। उन्होंने कभी शादी नहीं की, इसलिए उनकी खुद की संतान न होने के कारण उनकी देखभाल और सेवा उनके भाई दशरथ चौधरी के बेटे हिम्मत और विष्णु करते थे। अब जब सलैया की उम्र बढ़ने के साथ ही वह बीमार भी रहने लगे तो उन्होंने मन बनाया कि अपनी संपत्ति अपने भतीजों के नाम कर देंगे। जिसके लिए उन्होंने एक वसीयतनामा बनवाया और यह शर्त रखी की यदि वह भविष्य में बीमार पड़ते हैं तो उनकी दवा और अन्य खर्च उनके भतीजे हिम्मत और विष्णु करेंगे। इसके साथ ही उन्होंने अपनी 1.80 हेक्टेयर जमीन को अपने भतीजों के नाम करने सलैया ने न्यायालय में आवेदन दिया। जिसके लिए उन्होंने तहसील कार्यालय के सामने से सुखदेव राय से इस वसीयतनामे की नोटरी भी कार्रवाई, जिसमें 1000 रुपए की स्टांप ड्यूटी सहित सुखदेव राय ने कुल 5000 रुपए लिए।

अधिवक्ता के शक पर सामने आया फर्जीवाड़ा

तहसील कार्यालय में ही कार्यरत अधिवक्ता रविशंकर पटेल को इस वसीयतनामा की नोटरी की सील सहित स्टांप पेपर पर भी शक हुआ। इसके बाद अधिवक्ता रविशंकर ने इसकी जांच करने हेतु वरिष्ठ जिला पंजीयक जबलपुर कार्यालय में आवेदन दिया। इसके बाद जांच में एक के बाद एक कई मामलों का खुलासा हुआ जिनमें स्टाम्प विक्रेता सुखदेव ने फर्जी ई स्टांप बनाए थे।

50 रुपए के स्टाम्प को बनाते थे 1000 रुपए का

मामले की जांच में यह बात सामने आई कि इस वसीयतनामे के अलावा भी मझौली तहसील के ही नीलेश कुमार सोनी के द्वारा खरीदी गई दो जमीन क्रमशः जुग्गा मेहतर और ललता मेहतर के विक्रय पत्र में लगे स्टाम्प में भी छेड़छाड़ कर फर्जीवाड़ा किया गया यह सभी स्टाम्प भी आरोपी सुखदेव से ही बनवाये गए थे। जांच में पता चला कि यह ई स्टाम्प होते तो असली थे, पर कम कीमत के स्टाम्प की कीमत बढ़ा दी जाती थी। जांच में सभी ई स्टाम्प की असली कीमत 50 रुपए पाई गई, जिसे एडिट कर 1000 रुपए किया गया था।

जांच में दोषी फिर भी FIR में देरी

जांच के बाद 15 अप्रैल को यह आदेश जारी किया गया कि सुखदेव राय का स्टांप वेंडर लाइसेंस तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाए। साथ ही सिहोरा की उप पंजीयन सविता पाटिल को निर्देशित किया गया कि सुखदेव राय के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराए। इस मामले की खबर मीडिया को लगने के बाद जब सीनियर जिला रजिस्ट्रार डॉ. पवन कुमार अहीरवाल से बात की गई तो उन्होंने बताया की कार्यवाही की जा रही है और कल मंगलवार को ही आरोपी सुखदेव के खिलाफ एफआईआर कराई जाएगी। अब प्रश्न यहां यह भी उठता है कि जब 15 अप्रैल को ही आदेश जारी हो गए थे, तो क्या जिम्मेदार अधिकारी 7 दिनों तक मीडिया में इंटरव्यू देने के बाद FIR कराने का मन बनाकर बैठे थे या अंदर की बात कुछ और ही है। सवाल तो यहां यह भी है कि ऐसे कितने और सुखदेव होंगे और पूरे प्रदेश में कितने बड़े पैमाने में ऐसे ई-स्टाम्प प्रचलन में होंगे।

इस मामले की यदि बड़े पैमाने में जांच हो तो करोड़ों रुपए का फर्जीवाड़ा भी सामने आ सकता है। यदि आप प्रॉपर्टी बेचने, खरीदने या किसी अन्य कारण से स्टाम्प विक्रेता से ई-स्टाम्प लेते है और आपको स्टाम्प पर किसी भी तरह का शक होता है। तो आप भी अपने जिला पंजीयक कार्यालय में संपर्क कर इसकी जांच हेतु आवेदन दे सकते हैं।

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