'सावधान! यहां रहने में बहुत समस्याएं हैं', वरिष्ठ पत्रकार के प्रोटेस्ट का अनूठा तरीका

मध्यप्रदेश में कई सरकारी हाउसिंग प्रोजेक्ट चल रहे हैं जिनमें अपने आशियाने का सपना देखने वाले लाखों लोग कई समस्याओं से जूझ रहे हैं। इनमें कई को सालों बीतने के बाद आज तक पजेशन नहीं मिला, वहीं कई लोग यहां रहते हुए मूलभूत समस्याओं से परेशान हैं...

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Jitendra Shrivastava
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प्रोटेस्ट का अनूठा तरीका

BHOPAL. मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार अरविंद शीले के प्रोटेस्ट करने का अनोखा तरीका सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है। घर देते समय कई वादे करने वाली हाउसिंग बोर्ड की अव्यवस्थाओं से अरविंद शीले आहत हैं। सब जगह फरियाद करने के बाद भी जब सुनवाई नहीं हुई तो उन्होंने अनूठा तरीका अपनाते हुए घर के बाहर एक बोर्ड लगाकर लिखा कि 'सावधान यहां रहने में बहुत समस्याएं हैं। अरविंद शीले हाउसिंग बोर्ड के भोपाल स्थित मेगा प्रोजेक्ट सफायर पार्क सिटी के B-102 नंबर डुप्लेक्स में रहते हैं।

सभी जगह फरियाद लगाई, हल नहीं निकला

अरविंद शीले ने निजी कॉलोनी के अपने मकान में आ रही समस्याओं के बारे बताते हुए सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है। इस पोस्ट में उन्होंने लिखा है कि सभी जगह फरियाद लगाई, लेकिन कुछ हल नहीं निकला। ये तो निजी प्रोजेक्ट में समस्या की बात है, जब इस समस्या को लेकर सरकारी महकमों में एक पत्रकार की सुनवाई जब नहीं हो रही है तो आम लोगों की बिसात ही क्या है। इस तरह के कई सरकारी हाउसिंग प्रोजेक्ट भोपाल में चल रहे हैं जिनमें अपने आशियाने का सपना देखने वाले लाखों लोग कई समस्याओं से जूझ रहे हैं। इन प्रोजेक्ट में कई लोगों को सालों बीतने के बाद आज तक पजेशन नहीं मिला, वहीं कई लोग यहां रहते हुए मूलभूत समस्याओं से परेशान हैं।

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निर्माण अनुमति, नक्शे-जमीन के दस्तावेजों में कमी, RERA ने रद्द किए 63 हाउसिंग प्रोजेक्ट

कार्रवाई के बाद भी नहीं सुधर रहे बिल्डर्स

भू संपदा विनियामक प्राधिकरण यानी RERA ने जिन प्रोजेक्ट्स को अमान्य किया है उनमें कुछ MPHIDB और नगर निगम जैसी संस्थाओं के भी हैं। इससे पहले भी RERA हाउसिंग प्रोजेक्ट में मनमानी करने वाले बिल्डर्स ही नहीं MPHIDB जैसी संस्था को भी सबक सिखा चुका है। फिर भी लोगों को उनके सपनों का आशियाना बनाकर देने वाले प्राइवेट बिल्डर्स ही नहीं सरकार की संस्थाएं भी गोलमाल से बाज नहीं आ रहीं। बड़े शहरों में अपना मकान लेने का सपना देखने वालों से ठगी की शुरुआत ऐसे ही हाउसिंग प्रोजेक्ट से की जाती रही है। इसलिए अब RERA अब और भी सख्त नजर आ रहा है। RERA ने अपने पोर्टल पर इन प्रोजेक्ट का ब्यौरा अपलोड किया है। साथ ही होम बायर्स को इन प्रोजेक्ट में मकान नहीं खरीदने की समझाइश भी डिसप्ले पर दी है। 

63 हाउसिंग प्रोजेक्ट को दिखाई लाल झंडी 

गाइडलाइन की अनदेखी और दस्तावेजों में गड़बड़ी के चलते RERA ने बिल्डर्स-कॉलोनाइजर्स के 63 प्रोजेक्ट रद्द कर दिए हैं। इनमें भोपाल के 12 और इंदौर के 18 हाउसिंग प्रोजेक्ट भी शामिल हैं। होम बायर्स की बढ़ती शिकायतों के चलते RERA ने हाउसिंग प्रोजेक्ट पर कड़ी निगरानी शुरू कर दी है। हाउसिंग प्रोजेक्ट की अनुमति के लिए जमा होने वाले दस्तावेजों की भी पड़ताल भी बेहद बारीकी से की जाती है। जो कमियां इस दौरान सामने आती हैं उन्हें दुरुस्त करने का मौका भी  बिल्डर्स- कॉलोनाइजर्स को दिया जाता है। सरकारी योजनाओं के तहत हाउसिंग प्रोजेक्ट लाने वाले MPHIDB, नगरीय निकाय और विकास प्राधिकरणों को दस्तावेजों की कमी को पूरा करने और त्रुटियों को सुधारने के कई अवसर दिए गए। बार- बार सुनवाई के बाद भी इन संस्थाओं और बिल्डर्स ने सुधार नहीं किया तो RERA को कड़ी कार्रवाई करनी पड़ी। साल 2024 में RERA के पास अनुमति के लिए पहुंचे ऐसे ही 63 हाउसिंग प्रोजेक्ट को लाल झंडी दिखाई गई है। मतलब साफ है की RERA ने कंस्ट्रक्शन कंपनियों के इन प्रोजेक्ट को रद्द कर दिया है।

वरिष्ठ पत्रकार प्रोटेस्ट का अनूठा तरीका अरविंद शीले