BHOPAL.मध्यप्रदेश में मंत्रियों को तो जिलों का प्रभार दे दिया गया है, अब तबादला नीति का इंतजार है। तबादला नीति पर 20 अगस्त को प्रस्तावित कैबिनेट बैठक में मंथन के बाद फैसला होगा। अभी यह भी तय नहीं है कि सरकार ट्रांसफर पॉलिसी लाएगी भी या नहीं। दूसरा, यदि पॉलिसी नहीं आती है तो क्या तबादलों से प्रतिबंध हटेगा? इन सवालों के जवाब अभी किसी के पास नहीं है। सीएम डॉ. मोहन यादव के स्तर पर भी न्यू ट्रांसफर पॉलिसी पर फैसला होगा। पहले माना जा रहा था कि मंत्रियों को जिलों का प्रभार मिलने के साथ ही ट्रांसफर पॉलिसी भी आ जाएगी, लेकिन अब इसका इंतजार बढ़ता जा रहा है। पिछले ट्रैक रिकॉर्ड देखें तो सरकार मई अथवा जून के आखिर तक ट्रांसफर से रोक हटाती रही है, लेकिन इस बार तो आधा अगस्त बीत गया है।
देरी से क्या नुकसान
देखने में आता रहा है कि सरकार कर्मचारियों की सुविधा को देखते हुए मई अथवा जून में तबादलों से प्रतिबंध हटा देती है। ऐसा होता है तो तबादला होने की स्थिति में अधिकारी-कर्मचारियों को अपने बच्चों का स्कूल में एडमिशन कराने में आसानी होती है, लेकिन इस बार काफी देर हो गई है।
प्रभारी मंत्री कर सकेंगे ट्रांसफर
हालांकि, सामान्य प्रशासन विभाग यानी GAD ने खाका खींच लिया है, लेकिन सीएम की हरीझंडी नहीं मिलने से यह अटका है। सूबे में इस बार बड़ी संख्या में थाना प्रभारी, तहसीलदार और पटवारियों के तबादले किए जाने की तैयारी है। वहीं, शिक्षा विभाग में भी बदलाव होंगे।
क्या थी पुरानी तबादला नीति
पिछली शिवराज सरकार की ट्रांसफर पॉलिसी 15 जून से 30 जून तक के लिए लागू की गई थी। इसमें जिले के भीतर प्रभारी मंत्री के अप्रूवल से ट्रांसफर किए गए थे। वहीं, जिले के बाहर और विभागों में तबादलों पर मुख्यमंत्री की अनुमति की जरूरत थी। पिछली तबादला नीति के हिसाब से 201 से 2000 तक के संवर्ग में 10 प्रतिशत से ज्यादा तबादले नहीं हो सकते थे, जबकि किसी भी संवर्ग में 20 प्रतिशत से ज्यादा तबादले नहीं किए जा सकते थे।
एक ही जिले में दोबारा पोस्टिंग नहीं मिलेगी
पिछली तबादला नीति को देखें तो जिले में प्रभारी मंत्री के अनुमोदन से ट्रांसफर हो सकते थे। इसी के साथ राज्य संवर्ग में विभाग के अध्यक्ष और प्रथम श्रेणी के मुख्य कार्यपालन अधिकारी के तबादले सीएम के अनुमोदन (अप्रूवल) से सामान्य प्रशासन विभाग जारी करता था।
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