बेदम निगम- मंडल बुजुर्गों के हवाले, सेवानिवृत्त कर्मचारियों से काम चला रही सरकार

निगम - मंडलों में लंबे समय से भर्ती न होने के कारण आधे से ज्यादा पद खाली पड़े हैं। रिटायर्ड कर्मचारियों से काम लेने पर सेवानिवृत कर्मचारी फेडरेशन ने जताई आपत्ति।

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Marut raj
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Bedam Corporation Board handed over to elders government running the work with retired employees द सूत्र
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संजय शर्मा, BHOPAL. बेहिसाब घोषणा और हजारों करोड़ की नई योजनाओं के बीच सरकार के सौतेले रवैये से प्रदेश के निगम- मंडलों के कर्मचारियों में असंतोष तेजी से बढ़ रहा है। कर्मचारियों की कमी और काम के बोझ के तले दबते जा रहे निगम - मंडलों ( Corporation Board ) की न तो जिम्मेदार अफसरों को चिंता है और न सरकार को इनकी सुध है। भर्ती न होने से आधे से ज्यादा पद खाली पड़े हैं और 70 -75 साल के बुजुर्गों का सहारा लिया जा रहा है। इनकी शारीरिक दुर्बलता का असर निगमों की कार्यप्रणाली पर भी इसका बुरा असर पड़ रहा है। वहीं कर्मचारियों को दो - तीन दायित्व थमाए जाने से उनमें नाराजगी बढ़ रही है। 

निगम- मंडलों में 50 फ़ीसदी कर्मचारियों की कमी 

प्रदेश में विभिन्न विभागों के अधीन 119 निगम, मंडल काम कर रहे हैं।  इनमें से आधे ऐसे हैं जिनका नाम सालों में कभी- कभार ही चर्चा में आता हो, जबकि कुछ निगम और मंडल लोगों के लिए योजनाओं का संचालन करने से सीधे ही जुड़े हैं। प्रदेश के इन एक सैकड़ा से ज्यादा निगम और मंडलों में सालों से अधिकारी- कर्मचारियों की नियुक्तियां नहीं हुई हैं। इस वजह से 50 और इससे भी ज्यादा फ़ीसदी कर्मचारियों के पद सालों से खाली पड़े हैं। रिक्त पद होने के कारण काम दूसरे कर्मचारियों पर थोप दिया जाता है, जिससे वे बेवजह ही तनाव का सामना करने मजबूर हैं। काम में चूक होने पर अधिकारी के फटकार या विभागीय कार्रवाई भी झेलनी पड़ती है। 

नियम और संवेदनशीलता भी रख दी ताक पर 

निगम -मंडलों की इस स्थिति और कर्मचारियों से जबरिया दो- तीन लोगों के हिस्से का काम कराने पर सेवानिवृत कर्मचारी फेडरेशन ने आपत्ति जताई है। संगठन के प्रांत अध्यक्ष अनिल बाजपेई का कहना है कि अधिकारियों द्वारा कर्मचारियों की कमी को अनदेखा किया जा रहा है। हर साल कर्मचारियों के रिटायर होने से पद खाली होने के बाद भी अफसर सरकार को नई भर्तियों के लिए अवगत नहीं कराते। सालों से निगमों में एक कर्मचारी अपने काम के साथ खाली पड़े पद का दायित्व पूरा करने विवश है, लेकिन कोई उसकी इस मुश्किल को नहीं देख रहा। वे काम न करें तो अधिकारी अनुशासनहीनता की कार्रवाई का डर दिखाकर दवाब बनाते हैं। लोकसभा चुनाव के बाद सरकार पर नई भर्तियों का दबाव बनाया जाएगा।

शारीरिक अक्षमता की अनदेखी कर वृद्धों से करा रहे काम 

संगठन के महासचिव अरुण वर्मा के अनुसार निगम और मंडलों में जाकर देखने से पता चलता है कि वहां क्या स्थिति है। कमरे खाली पड़े रहते हैं और कर्मचारियों में आधे वृद्ध नजर आते हैं। ये वृद्ध कौन हैं, जब पूछेंगे तो पता चलेगा की कोई 10 साल पहले तो कोई 12 साल पहले रिटायर हो चुका है और अब अधिकारी के कहने पर किसी न किसी मजबूरी के चलते काम कर रहा है। बदले में उसे दैनिक वेतनभोगी या संविदा कर्मियों की तरह वेतन दिया जाता हैं। सरकार ने कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति के लिए आयु सीमा निर्धारित की है लेकिन उससे 10 या 15 साल ज्यादा उम्र के वृद्ध से काम कराना समझ से परे है। 

अगस्त में लामबंद होंगे कर्मचारी 

निगम मंडलों में नई भर्ती की मांग को अनसुना कर रही सरकार का ध्यान आकर्षित करने रिटायर कर्मचारियों की फेडरेशन ने आंदोलन की तैयारी कर ली है। संगठन के प्रांताध्यक्ष अनिल बाजपेई और महासचिव अरुण वर्मा ने बताया उनका संगठन इस विसंगति को लेकर मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को अवगत कराया गया है। यदि निगम और मंडलों के सीधी भर्ती की मांग को अनसुना किया गया तो अगस्त माह से आंदोलन शुरु करेंगे। इसको लेकर संगठन ने पदाधिकारियों और निगम- मण्डलकर्मियों के साथ रणनीति भी बना ली है।

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