भारत बंद : 2018 वाली ग्वालियर हिंसा से प्रशासन ने लिया सबक, सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया

भारत बंद को लेकर पुलिस विभाग और प्रशासन ने सड़क और सोशल मीडिया पर निगरानी बढ़ा दी है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे संदेशों पर भी कड़ी निगरानी रखी जा रही है। ग्वालियर में लगभग 145 स्थानों पर पुलिस पिकेट स्थापित किए गए हैं।

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Pratibha ranaa
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2018 वाली ग्वालियर हिंसा
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अनुसूचित जाति (SC) और जनजाति (ST) आरक्षण में क्रीमीलेयर पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में देशभर के विभिन्न संगठनों ने 21 अगस्त को 'भारत बंद' का आह्वान किया है। इस बंद की चेतावनी को देखते हुए ग्वालियर चंबल अंचल में पुलिस और प्रशासन ने पूरी सतर्कता बरतनी शुरू कर दी है। 

भीम आर्मी, आजाद समाज पार्टी, बहुजन समाज पार्टी (BSP), और आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति के साथ कई अन्य समूह भी इस बंद का समर्थन कर रहे हैं। बंद के दौरान किसी भी हिंसा को रोकने के लिए पुलिस और प्रशासन ने कड़ी निगरानी शुरू कर दी है और कानून नियम 2023 के तहत धारा 163 (पहले धारा 144) लागू कर दी है।

 ग्वालियर के कई स्कूलों ने बंद के दिन छुट्टी घोषित कर दी है। ग्वालियर कलेक्टर ने धारा 144 लागू कर दी है। वहीं भोपाल, इंदौर और उज्जैन समेत कई जिलों में स्कूल खुले हैं। खंडवा में बंद बेअसर दिख रहा है। यहां बाजार पूरी तरह खुल चुका है।

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सोशल मीडिया पर नजर

'भारत बंद' को लेकर पुलिस विभाग और प्रशासन ने सड़क और सोशल मीडिया पर निगरानी बढ़ा दी है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे संदेशों पर भी कड़ी निगरानी रखी जा रही है। ग्वालियर में लगभग 145 स्थानों पर पुलिस पिकेट स्थापित किए गए हैं, 45 पार्टियों की तैनाती की गई है और ज्ञापन देने वालों पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है। बसपा ने अपने कार्यकर्ताओं को झलकारी बाई पार्क पर एकत्र होने के लिए कहा है, जबकि भीम आर्मी और आजाद समाज पार्टी कलेक्ट्रेट पर एकत्र होंगे।

सुरक्षा के इंतजाम

बंद के दौरान हिंसा की आशंका को देखते हुए पुलिस और प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं। हालांकि प्रशासन इसे ज्ञापन लेने की सामान्य प्रक्रिया मानते हुए चल रहा है, लेकिन आम लोगों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए हर कोने पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में SC-ST आरक्षण में क्रीमीलेयर के संदर्भ में फैसला देते हुए कहा था कि 'सभी SC और ST जातियां और जनजातियां एक समान नहीं हैं। कुछ जातियां अधिक पिछड़ी हो सकती हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि जिन लोगों को वास्तव में इसकी आवश्यकता है, उन्हें आरक्षण में प्राथमिकता मिलनी चाहिए। इस फैसले के खिलाफ 'भारत बंद' का आह्वान करने वाले संगठनों ने फैसले को वापस लेने की मांग की है।

2018 की हिंसा से सीख

बता दें, ग्वालियर चंबल अंचल में 2 अप्रैल 2018 को भारत बंद के दौरान हुई बड़ी हिंसा की घटना को ध्यान में रखते हुए प्रशासन ने अधिक सतर्कता बरतने का फैसला लिया है। उस समय हिंसा, तोड़फोड़ और आगजनी की घटनाओं में कई लोगों की जान चली गई थी। इस बार प्रशासन ने सबक लेते हुए पहले से ही सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत कर लिया है। सभी अधिकारियों को निगरानी के निर्देश दिए गए हैं।

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