जबलपुर में आयोजित महाकौशल खेल रत्न पुरस्कार समारोह में प्रसिद्ध पर्वतारोही भावना डेहरिया ( Bhavana Dehariya ) को सम्मानित किया गया। भावना एक ऐसी महान शख्सियत है जिनकी यात्रा मध्य प्रदेश के एक छोटे से गांव से शुरू होकर दुनिया की सबसे ऊंची चोटी तक पहुंची है। उनकी यह यात्रा साहस, धैर्य और सपनों की शक्ति का प्रतीक है।
प्रसिद्ध पर्वतारोही और "बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ" अभियान की ब्रांड एंबेसडर भावना डेहरिया को उनके खेल और समाज के प्रति अद्वितीय योगदान के लिए सम्मानित किया गया।
एमपी की बेटी ने पेश की मिसाल
भावना की कहानी सिर्फ माउंट एवरेस्ट की चोटी तक पहुंचने की नहीं है। यह कहानी उन बाधाओं को तोड़ने और सामाजिक मानदंडों को चुनौती देने की है, जिन्हें समाज द्वारा महिलाओं पर थोपी जाती है। मध्य प्रदेश की पहली महिला के रूप में यह उपलब्धि हासिल करके, भावना अनगिनत युवा महिलाओं के लिए आशा और दृढ़ संकल्प की प्रतीक बन गई हैं। उनकी उपलब्धियां केवल पर्वतारोहण तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे इस बात का शक्तिशाली प्रमाण हैं कि कोई भी सपना बहुत बड़ा नहीं होता, कोई भी चुनौती बहुत कठिन नहीं होती, यदि उसे पाने का साहस और जुनून हो।
सबसे बड़ी चोटियां हमारे भीतर है...
एक विशेष साक्षात्कार में भावना ने न केवल पर्वतों पर बल्कि समाज द्वारा थोपे गए सीमाओं को पार करने में आई चुनौतियों के बारे में भी खुलकर बात की। उन्होंने कहा कहा कि हर पर्वत जो मैंने चढ़ा, वह एक बाधा थी जिसे मैंने तोड़ा - चाहे वह अनजाने का डर हो, अपनी क्षमताओं पर संदेह हो, या समाज द्वारा महिलाओं पर थोपे गए अपेक्षाएं हों। मैंने सीखा है कि सबसे बड़ी चोटियां हम अपने भीतर ही जीतते हैं।
हर लड़की अपनी क्षमता को पहचानें - भावना
"बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ" अभियान की ब्रांड एंबेसडर के रूप में, भावना केवल शारीरिक शक्ति का प्रतीक नहीं हैं, बल्कि उस दृढ़ संकल्प की भी है, जो बदलाव को प्रेरित करता है। वे अपने मंच का उपयोग लड़कियों की शिक्षा और सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए करती हैं, और उनका मानना है कि सच्ची सफलता की माप दूसरों को प्रेरित और सशक्त करने की क्षमता में है। भावना ने कहा कि लड़कियों को शिक्षा देना उन्हें उड़ान के पंख देने जैसा है। मेरा सपना है कि भारत की हर लड़की अपनी क्षमता को पहचानें, समाज की सीमाओं से ऊपर उठें और अपना रास्ता खुद बनाएं।
बेहतर भविष्य की ओर एक कदम
इस दौरान भावना ने अपने आगामी अभियानों के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि वे इसे न केवल व्यक्तिगत उपलब्धियों के रूप में बल्कि महत्वपूर्ण मुद्दों की ओर ध्यान आकर्षित करने के अवसर के रूप में देखती हैं। सामाजिक बदलाव के प्रति उनकी प्रतिबद्धता उतनी ही अटल है जितनी की ऊंची चोटियों को छूने की उनकी दृढ़ता। भावना ने कहा, मेरे लिए पर्वतारोहण केवल चोटी तक पहुँचने के बारे में नहीं है। यह यात्रा सीखे गए पाठ और रास्ते में प्रभावित होने वाले जीवन के बारे में है। पर्वत पर उठाया गया हर कदम अगली पीढ़ी के लिए एक बेहतर भविष्य की ओर एक कदम है।
महाकौशल खेल रत्न पुरस्कार समारोह
महाकौशल खेल रत्न पुरस्कार समारोह में भावना डेहरिया को सम्मानित किया गया। यहां सम्मानित किया जाना न केवल उनके व्यक्तिगत उपलब्धि का क्षण था, बल्कि हम सभी को यह याद दिलाने का भी कि हमारे भीतर कुछ बड़ा बदलाव करने की अद्वितीय क्षमता होती है।
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