घटिया फ्लाईओवर बनाकर डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल के भाई ने पिटवाई सरकार की भद

मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने भोपाल के सबसे लंबे ब्रिज जीजी फ्लायओवर का लोकार्पण किया। 153 करोड़ की लागत से बने 2534. मी. लंबे इस ब्रिज को अब डॉ भीमराव आंबेडकर सेतु के नाम से जाना जाएगा।

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भोपाल के डॉ. भीमराव अंबेडकर फ्लाईओवर की गुणवत्ता में खामियां उजागर होने के बाद दो इंजीनियर को सस्पेंड कर, दो को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। राजधानी के इतने बड़े प्रोजेक्ट में इतनी गंभीर खामियां उजागर होने के बाद सरकार की किरकिरी हो रही है। इसी महीने होने वाली ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट को देखते हुए इसे सरकार गंभीरता से ले रही है, मगर क्या आपको पता है कि इस फ्लाईओवर को किस कंस्ट्रक्शन कंपनी ने बनाया है? दरअसल इसके कर्ताधर्ता हैं प्रदेश के डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल के भाई विनोद कुमार शुक्ला, जो  VKSCC या Vinod Kumar Shukla Constructions PVT LTD के कर्ताधर्ता हैं। राजधानी में ही इतना घटिया निर्माण से सरकार सकते में है। इस मामले में अंदरखाने क्या- क्या हो रहा है, thesootr आपको सबसे पहले बताने जा रहा है…

मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने भोपाल के सबसे लंबे ब्रिज जीजी फ्लायओवर का लोकार्पण किया। 153 करोड़ की लागत से बने 2534. मी. लंबे इस ब्रिज को अब डॉ भीमराव आंबेडकर सेतु के नाम से जाना जाएगा। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने अपने संबोधन में इस बात की घोषणा की। उन्होंने कहा कि इस ब्रिज का एक सिरा सुभाष चंद्र बोस सेतु से जुड़ता है तो दूसरा सिरा सावरकर सेतु से जुड़ेगा। 

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23 जनवरी को हुआ था लोकार्पण…

फ्लाई ओवर का निर्माण दिसंबर 2020 में शुरू हुआ था और दिसंबर 2024 में पूरा हो गया। इसे लोकार्पित करने में कई बाधाओं का सामना करना पड़ा। पहले इसे 26 दिसंबर 2024 को शुरू करने की योजना थी, लेकिन 23 जनवरी को लोकार्पण हो सका। दरअसल पीडब्ल्यूडी मंत्री राकेश सिंह के गुजरात दौरे के कारण यह तिथि टालनी पड़ी। इसके बाद तीन जनवरी 2025 को लोकार्पण की नई तिथि तय की गई थी, लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन और राष्ट्रीय शोक के चलते इसे फिर स्थगित कर दिया गया।

भोपाल के सबसे लंबे ब्रिज में हैं कई खामियां

निरीक्षण दल ने पाया कि एलिवेटेड कॉरिडोर के दोनों ओर क्रैश बैरियर और मुख्य केरिज-वे के बीच की लगभग 18 इंच चौड़ी पटरी की गुणवत्ता के स्तर की नहीं है। इस पटरी को मुख्य स्लैब से जोड़ने के कार्य में भी कमी देखी गई। जिसके कारण कई स्थानों पर मुख्य स्लैब और पटरी के जोड़ों में क्षरण के चिन्ह दिखाई दिए।
तकनीकी अधिकारियों ने निरीक्षण के दौरान बताया कि करीब 3 किलोमीटर लंबे 4 लेन के इस एलिवेटेड कॉरिडोर की डिजाइन, सुरक्षा और स्ट्रक्चरल गुणवत्ता में कई कमियां हैं। राइडिंग सरफेस (Riding Surface) की गुणवत्ता और फिनिशिंग भी संतोषजनक नहीं पाई गई। विशेष रूप से दो स्थानों पर जहां एक्सपेंशन जॉइंट लगाए गए हैं, वहां अधिक क्षरण पाया गया।

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दो अधिकारियों पर गिरी गाज

इस मामले में लोक निर्माण विभाग के दो इंजीनियर को निलंबित और दो को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। शिकायत के बाद लोक निर्माण विभाग के अपर मुख्य सचिव नीरज मंडलोई फ्लाईओवर का निरीक्षण करने पहुंचे थे। उनके साथ विभाग के प्रमुख अभियंता सेतु मंडल के अधिकारी और भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) भोपाल के क्षेत्रीय अधिकारी श्रवण कुमार सिंह भी उपस्थित रहे। गुणवत्ता में खामियों को देखते हुए लोक निर्माण विभाग, सेतु संभाग के उपयंत्री उमांकांत मिश्रा और प्रभारी सहायक यंत्री रवि शुक्ला को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। ये दोनों अधिकारी परियोजना के प्रभारी थे और इनकी तकनीकी निरीक्षण में लापरवाही सामने आई है। 

तो अंदर खाने क्या हुआ और आगे क्या…

बीच राजधानी में बने इस फ्लाईओवर को लेकर कई खामियां मिलने और कंस्ट्रक्शन कंपनी में डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ला के भाई का नाम आने से अफसर कार्रवाई करने में हिचकिचा रहे थे। ऐसे में सारी बात मुख्य सचिव अनुराग जैन को बताई गई। इस पर मुख्य सचिव कार्यवाही करने के लिए हरी झंडी दे दी। इसके बाद यह मामला पीडब्ल्यूडी मंत्री राकेश सिंह के संज्ञान में लाया गया, तो उन्होंने भी इसे गंभीरता से लेते हुए कहा कि इससे सरकार की किरकिरी हो रही है। इसी महीने भोपाल में होने वाली ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में देश- दुनिया के डेलीगेट्स आएंगे। ऐसे में हमारी बदनामी होगी। मंत्री के निर्देश पर इसके अलावा लोक निर्माण विभाग सेतु संभाग भोपाल के कार्यपालन यंत्री जावेद शकील और सीई ब्रिज को कारण बताओ नोटिस जारी करने के निर्देश भी दिए गए हैं।

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अब जांच कमेटी बनेगी…

Thesootr को मिली जानकारी के अनुसार इस मामले को सरकार ने बेहद गंभीरता से लिया है। भले ही इससे सीधे तौर पर डिप्टी सीएम का लेना-देना न हो, मगर उनसे नजदीकियों का फायदा उठाकर जो विनोद कुमार शुक्ला की कंपनी अगर राजधानी में ही ऐसा घटिया काम कर सकती है तो बाकी प्रदेश में कैसा काम कर रही होगी, समझा जा सकता है। अब इस मामले में सोमवार को जांच कमेटी का गठन किया जाएगा, जो कंस्ट्रक्शन कंपनी VKSCC की लापरवाहियों की जांच कर जिम्मेदारी सुनिश्चित करेगी। इसके बाद VKSCC पर आर्थिक जुर्माना और आगे की कार्रवाई की जाएगी।

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