कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव ने 2 जनवरी 2025 को एक महत्वपूर्ण आदेश जारी करते हुए शिक्षा विभाग के अंतर्गत पदस्थ शिक्षकों के लंबित एरियर भुगतान पर रोक लगा दी है। कलेक्टर ने स्पष्ट रूप से कहा कि जब तक इन शिक्षकों का वेतन निर्धारण और एरियर का भुगतान नहीं हो जाता, तब तक संबंधित विकासखण्ड शिक्षा अधिकारियों, आहरण संवितरण अधिकारियों और उनके वेतन आहरण लिपिकों के वेतन भुगतान पर आगामी आदेश तक रोक रहेगी।
इस आदेश से शिक्षक वर्ग में खुशी की लहर दौड़ गई है क्योंकि लंबे समय से उनकी वेतनमान एरियर, 7वें वेतनमान एरियर और कमोन्नति एरियर का भुगतान लंबित था, जबकि उनके 6वें और 7वें वेतनमान का अनुमोदन भी नहीं हुआ था। कलेक्टर के इस कदम ने शिक्षकों को राहत बताई है। हालांकि, इस आदेश से जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) और अन्य संबंधित अधिकारियों की स्थिति खराब हो गई है।
क्या है आदेश का महत्व?
यह आदेश शिक्षा विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के बीच की प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सख्ती को बताता है। इस फैसले से यह संकेत मिलता है कि अब तक शिक्षकों की बकाया राशि का भुगतान न होने का कोई कारण नहीं हो सकता। इसके बाद संबंधित अधिकारियों को कड़ी चेतावनी दी गई है कि वे तत्काल कार्रवाई करें।
कलेक्टर का यह आदेश न केवल शिक्षकों के लिए राहत का संकेत है, बल्कि इससे यह भी स्पष्ट हो गया है कि प्रशासन शिक्षकों के अधिकारों की रक्षा करने के लिए तत्पर है और किसी भी प्रकार की लापरवाही को बर्दाश्त नहीं करेगा।
क्या होगा अगला कदम?
अब देखने वाली बात यह होगी कि जिला शिक्षा अधिकारी और अन्य संबंधित विभाग इस आदेश के तहत शिक्षक वर्ग को उनके बकाया भुगतान कब तक प्रदान करते हैं। साथ ही, यह भी कि इस आदेश के बाद प्रशासनिक व्यवस्था में सुधार की दिशा में और क्या कदम उठाए जाते हैं।
कलेक्टर के आदेश से DEO की ओर बढ़ेगा दबाव
भिंड के कलेक्टर के इस आदेश के बाद जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) और अन्य विभागीय अधिकारी पर दबाव बढ़ेगा। यह आदेश उनके लिए एक परीक्षा साबित हो सकता है, जहां उन्हें अपनी कार्यप्रणाली में सुधार और शिक्षक वर्ग के लंबित एरियर का भुगतान सुनिश्चित करना होगा।
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