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भिंड जिला अस्पताल में सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोलने वाली एक घटना सामने आई है, जहां ओपीडी में इलाज के लिए आए एक युवक ने डॉक्टर से परामर्श लेने के बाद अचानक अपनी कमर से पिस्टल निकालकर लहराई और दरवाजे को धक्का देते हुए बाहर निकल गया। यह पूरी घटना अस्पताल में लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई, जिसके बाद अस्पताल प्रशासन और पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया।
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महिला डॉक्टरों के सामने युवक ने लहराया हथियार
घटना के वक्त ओपीडी में ड्यूटी पर महिला चिकित्सक दामिनी यादव और उनकी एक अन्य सहयोगी डॉक्टर मौजूद थीं। युवक ने पहले सामान्य तरीके से चिकित्सकीय परामर्श लिया, लेकिन जाते समय उसने पिस्टल निकालकर न केवल डर का माहौल बना दिया, बल्कि अस्पताल की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए।
डर के साए में महिला डॉक्टर छुट्टी पर
इस घटना के बाद अस्पताल में कार्यरत दोनों महिला डॉक्टरों ने अपनी सुरक्षा को लेकर गहरी चिंता जताई और नौकरी छोड़ने का फैसला किया। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि जब तक अस्पताल में पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित नहीं की जाती, तब तक वे अपनी ड्यूटी दोबारा शुरू नहीं करेंगी। इस मामले के बाद स्वास्थ्य विभाग भी हरकत में आ गया है और सुरक्षा इंतजामों की समीक्षा करने की बात कही जा रही है।
घटना के तुरंत बाद, चिकित्सा स्टाफ ने सिविल सर्जन कार्यालय को इस घटना की जानकारी दी। हालांकि, युवक ने महिला चिकित्सक से कोई बात नहीं की और न ही किसी प्रकार की धमकी दी। लेकिन इस घटना के बाद महिला डॉक्टरों ने छुट्टी स्वीकृत कराई और दिल्ली चली गईं। हालांकि घटना को लेकर पुलिस का कहना है कि युवक पिस्टल नुमा लाइटर लेकर गया था।
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वीडियो सामने आते ही युवक गिरफ्तार
वीडियो सामने आते ही पुलिस अलर्ट हो गई और युवक की तलाश शुरू कर दी। कोतवाली थाना प्रभारी (टीआई) बृजेंद्र सेंगर ने बताया कि आरोपी की पहचान प्रशांत जोशी (24 वर्ष), निवासी विक्रमपुरा के रूप में हुई है। पुलिस ने उसे हिरासत में लेकर शांति भंग करने की धारा में मामला दर्ज किया और जेल भेज दिया। पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, अभी तक किसी भी व्यक्ति ने इस मामले में औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं कराई है, लेकिन वायरल वीडियो के आधार पर ही आरोपी को गिरफ्तार किया गया है।
अस्पताल प्रबंधन की चूक पर उठे सवाल
इस मामले को लेकर अस्पताल प्रशासन की लापरवाही पर भी सवाल उठ रहे हैं। सीएमएचओ डॉ. जेएस यादव ने कहा कि मामले की विस्तृत जांच की जाएगी। उन्होंने इस बात पर भी हैरानी जताई कि अस्पताल में सुरक्षा गार्ड होने के बावजूद कोई व्यक्ति इस तरह की संदिग्ध वस्तु लेकर अंदर कैसे घुस सकता है।
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क्या जिला अस्पताल की सुरक्षा पुख्ता है?
यह घटना अस्पताल की सुरक्षा पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगाती है। अस्पतालों को मरीजों और चिकित्सकों दोनों के लिए एक सुरक्षित स्थान होना चाहिए, लेकिन इस प्रकार की घटनाएं डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मचारियों के मन में डर का माहौल बना सकती हैं। अब देखना होगा कि जिला प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है और अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था को कैसे मजबूत किया जाता है।
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