BHOPAL. मध्य प्रदेश के भिंड में स्कूल के प्रिंसिपल का ट्रांसफर होने पर पूरा गांव भावुक हो गया। प्रिंसिपल के विदाई समारोह के दौरान स्कूल के बच्चे, स्टाफ, टीचर और ग्रामीण फूट-फूटकर रो पड़े। इस दौरान प्रिंसिपल की आंखों से भी आंसू छलक आए। यह भावुक करने वाला दृश्य लहार के रुरई गांव के हाईस्कूल में देखने को मिला।
प्रिंसिपल त्रिपाठी का असवार में तबादला
दरअसल, रुरई के हाईस्कूल के प्रिंसिपल अरुण त्रिपाठी का प्रमोशन हुआ हैं। प्रिंसिपल का शासकीय हायर सेकेंडरी स्कूल असवार में तबादला किया गया है। बुधवार को गांव में प्रिंसिपल के लिए विदाई समारोह का आयोजन किया गया था। विदाई समारोह का आयोजन मां सिंह वाहिनी सेवा समिति ने किया था।
बच्चों को रोता देख भावुक हुए प्रिंसिपल
विदाई समारोह से पहले अपने प्रिंसिपल सर के तबादले से दुखी बच्चों की आखें भर आई। छात्र-छात्राओं ने नहीं जाने की जिद करते हुए प्रिंसिपल सर को पकड़कर क्लास में बैठा लिया। इस दौरान सभी बच्चे सर के पास बैठ गए और फूट-फूटकर रोने लगे। यह सब देख कर टीचर्स की भी आंख भर आई। इस दौरान प्रिंसिपल ने स्टूडेंट्स के सिर पर हाथ फेरते हुए ऐसा नहीं करने का कहा। इस दौरान वे खुद भी रो पड़े। भावुक सर ने स्टूडेंट्स से सप्ताह में एक दिन रुरई स्कूल आने का वादा किया।
बच्चों से वादा करने के बाद प्रिंसिपल क्लास से बाहर आए। इसके बाद वे स्कूल स्टाफ, टीचर और ग्रामीणों से गले मिले। इस दौरान सभी लोगों की आंखें नम हो गई। साथ ही प्रिंसिपल का फूलमाला पहनाकर सम्मान किया गया। सम्मान करने के लिए पूरा गांव उमड़ पड़ा। सभी ने मुख्य मार्ग तक पहुंचकर विदाई दी।
जानें कौन है प्रिंसिपल अरुण त्रिपाठी
जानकारी के अनुसार प्रिंसिपल अरुण त्रिपाठी 15 साल तक रुरई के हाईस्कूल में पदस्थ रहे हैं। अरुण त्रिपाठी का 2008 में फूप से रुरई हाईस्कूल में ट्रांसफर हुआ था। इस दौरान रुरई के सरकारी स्कूल की व्यवस्थाएं ठीक नहीं थी। स्कूल महीने में कुछ दिन खुलता कुछ बंद रहता था। पढ़ाई व्यवस्थाएं भी सही नहीं थी। रिजल्ट भी ठीक नहीं आता था।
प्रिंसिपल अरुण त्रिपाठी ने जिम्मेदारी संभालते हुए हाईस्कूल की व्यवस्था में सुधार किया। उन्होंने कुछ ही सालों में स्कूल के हालात बदल दिए। साथ ही उन्होंने बच्चों को पढ़ाई के जागरूक किया और नई दिशा देने का काम किया। इसी के साथ वे बच्चों के लिए फेवरेट टीचर हो गए।
ग्रामीणों के अनुसार प्रिंसिपल त्रिपाठी ने स्कूल परिसर में सरस्वती माता की प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा करवाई थी। साथ ही बाउंड्रीवॉल की समस्या को हल करने के लिए उन्होंने ग्रामीणों और स्टाफ की मदद ली। खुद ने ही गड्ढे खोदे तार फेंसिंग करवाई। इन कार्यों के चलते गांव में प्रिंसिपल में बहुत सम्मान मिला।
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