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मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में हाल ही में बड़ा तालाब के पास मौजूद दो मस्जिदों को हटाने के आदेश ने नए विवाद को जन्म दिया है। इस मामले में राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (NGT) ने आदेश दिया है कि तालाब के 50 मीटर के दायरे में बनी भदभदा और दिलकश मस्जिद हटाई जाएं।
इस आदेश का कारण तालाब के इकोलॉजिकल और पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखना बताया जा रहा है, लेकिन इस आदेश के खिलाफ वक्फ बोर्ड ने हाईकोर्ट जाने का निर्णय लिया। एनजीटी ने वक्फ बोर्ड को भदभदा और दिलकश मस्जिदें हटाने का आदेश दिया है। इसे लेकर जिला प्रशासन ने वक्फ बोर्ड को आदेश भी सौंपा है।
एनजीटी का आदेश
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) का प्रमुख उद्देश्य पर्यावरण की सुरक्षा करना है। NGT ने भोपाल के बड़ा तालाब के 50 मीटर के दायरे में बने अतिक्रमण को हटाने का आदेश दिया है, जिसमें भदभदा और दिलकश मस्जिदें भी शामिल हैं। एनजीटी के अनुसार, इन मस्जिदों का निर्माण तालाब के निकट हुआ है और इससे तालाब के इकोलॉजिकल संतुलन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
एनजीटी ने यह आदेश सख्त तरीके से दिया है। इस आदेश के बाद प्रशासन ने वक्फ बोर्ड को नोटिस भेजा और मस्जिदों को हटाने के निर्देश दिए।
वक्फ बोर्ड की प्रतिक्रिया
वक्फ बोर्ड ने एनजीटी के आदेश के खिलाफ अपनी असहमति जताई है। साथ ही, इस मामले में हाईकोर्ट जाने का निर्णय लिया है। वक्फ बोर्ड का कहना है कि इन मस्जिदों का निर्माण कई सालों पहले हुआ था और यह पक्के निर्माण हैं। इसके अलावा वक्फ बोर्ड का यह भी कहना है कि मस्जिदों का हटाया जाना एक संवेदनशील मुद्दा हो सकता है और इससे धार्मिक विवाद उत्पन्न हो सकते हैं।
इस आदेश को राजनीतिक दृष्टिकोण से भी जोड़ा जा रहा है, क्योंकि भोपाल में इस मुद्दे को धार्मिक रूप से संवेदनशील माना जा रहा है।
भोपाल मस्जिद विवाद वाली खबर को शॉर्ट में समझें
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वक्फ बोर्ड और प्रशासन के बीच विवाद
इस विवाद ने प्रशासन और वक्फ बोर्ड के बीच तनाव बढ़ा दिया है। वक्फ बोर्ड का कहना है कि मस्जिदों का निर्माण पुराने समय में हुआ था और इन्हें हटाना धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से गलत होगा। वक्फ बोर्ड ने यह भी कहा है कि तालाब के किनारे इन मस्जिदों का निर्माण लंबे समय से किया गया है।
दूसरी ओर, प्रशासन का कहना है कि एनजीटी का आदेश लागू करना अनिवार्य है और यह तालाब के संरक्षण के लिए आवश्यक है। यह मामला अब उच्च न्यायालय में उठने जा रहा है।
अतिक्रमण हटाने को लेकर बढ़ सकता है विवाद
यह मसला केवल पर्यावरणीय या कानूनी नहीं है, बल्कि सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टिकोण से भी अत्यधिक संवेदनशील है। यदि मस्जिदों को हटाया जाता है, तो इससे न केवल भोपाल के मुस्लिम समुदाय में असंतोष हो सकता है, बल्कि इसे एक धार्मिक विवाद के रूप में देखा जा सकता है।
जानकारों का मानना है कि इस विवाद का प्रभाव राजनीति, समाज और धर्म पर भी पड़ सकता है, क्योंकि यह मसला सिर्फ भोपाल या मध्य प्रदेश तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी बहस का विषय बन सकता है।
मामले पर हो रही है सियासत
एनजीटी के आदेश के बाद यह मामला अब राजनीतिक और धार्मिक पहलुओं को लेकर गरमा गया है। मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री विश्वास सारंग ने इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि 'लैंड जिहाद' को किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और एनजीटी के आदेश के अनुसार तथा कानूनी प्रक्रिया के तहत कार्रवाई की जाएगी।
अब मस्जिदों का भविष्य हाईकोर्ट की सुनवाई पर निर्भर करता है। यह प्रशासन की कार्रवाई और वक्फ बोर्ड द्वारा प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों पर निर्भर करेगा कि क्या इन मस्जिदों को हटाया जाएगा या फिर इन्हें बचाया जा सकेगा। इस मामले का अंतिम निर्णय प्रशासन और उच्च न्यायालय की सुनवाई के बाद ही तय होगा।
भोपाल का बड़ा तालाब
बड़ा तालाब, जिसे 'अपर लेक' भी कहा जाता है, भोपाल का एक ऐतिहासिक और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण स्थल है। यह तालाब 11वीं शताबदी में बनवाया गया था और यह भोपाल शहर के केंद्र में स्थित है। यह शहर के जलवायु को प्रभावित करने और पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
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