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BHOPAL. भोपाल के बड़े तालाब पर गुरुवार से 20 शिकारे तैरेंगे। ये शिकारे श्रीनगर की डल झील जैसा अनुभव देंगे।सीएम मोहन यादव सुबह 9 बजे इसका उद्घाटन करेंगे। उद्घाटन में मंत्री, विधायक और अन्य जनप्रतिनिधि शामिल होंगे। विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार और पर्यटन मंत्री धर्मेंद्र लोधी भी कार्यक्रम में उपस्थित रहेंगे। बीजेपी और कांग्रेस दोनों दलों के विधायक भी आमंत्रित हैं।
20 शिकारे बड़े तालाब में उतरेंगे
इसके बाद आम लोग शिकारे का लुत्फ उठा सकेंगे। 13 जून-24 में नगर निगम ने एक शिकारा चलाया था। अब 20 शिकारे बड़े तालाब में उतारे जाएंगे। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने 12 सितंबर को क्रूज और मोटर बोट पर रोक लगाई थी। इसके बाद केवल सामान्य बोट चल रही है।
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ये होगा किराया
नगर निगम ने पिछले साल मछुआरे से एक शिकारा तैयार कराया था। नाव को शिकारे की तर्ज पर सजाया गया था। इस प्रयोग के बाद अब 20 शिकारे तालाब में उतारे जाएंगे। शिकारे सुबह 7 से शाम 7 बजे तक चलेंगे। प्रति व्यक्ति किराया करीब 150 रुपए होगा। यह 2.3 किलोमीटर का राउंड लगाएगा। शिकारा बीच में स्थित टापू के पास भी पहुंचेगा। हालांकि, किराया अभी तय नहीं हुआ है। गुरुवार को तस्वीर साफ हो जाएगी।
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'लेक प्रिंसेस' क्रूज और 'जलपरी' मोटरबोट बंद
भोपाल के बड़ा तालाब में एनजीटी के आदेश के बाद 'लेक प्रिंसेस' क्रूज और 'जलपरी' मोटरबोट बंद कर दी गई थी। पर्यटन विकास निगम ने इन बोटों के साथ 20 मोटर बोट का संचालन भी नहीं किया।
क्रूज नहीं चलने से लोग मायूस
क्रूज और मोटर बोट चलने से बोट क्लब में रोज एक हजार से ज्यादा लोग पहुंचते थे। वे बड़ा तालाब की लहरों को करीब से देखते थे। ये बंद होने के बाद लोग प्राइवेट नाव से तालाब के नजारे का लुत्फ उठाते रहे। अब शिकारे चलने से नया अनुभव मिलेगा।
भोपाल में देशभर से आते है पर्यटक
जम्मू कश्मीर की डल झील में ऐसे ही शिकारे चलते हैं। भोपाल में देशभर से पर्यटक आते हैं। स्थानीय लोग भी बोट क्लब में घूमने जाते हैं। इसलिए शिकारा चलाने की पहल की गई है।
दो साल पहले, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने क्रूज और मोटर बोट पर रोक लगाई। एनजीटी ने इसे अवैध गतिविधि माना। आदेश में कहा गया कि डीजल इंजन से उत्सर्जित सल्फर और नाइट्रोजन ऑक्साइड पानी को एसिडिक बना देते हैं। यह इंसानों और जलीय जीवों के लिए खतरे का कारण है। यह उत्सर्जन कैंसरकारी है। भोज वेटलैंड का आदेश नर्मदा नदी और अन्य वेटलैंड पर भी लागू हुआ।
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