जब कड़कड़ाती ठंड में रोते मुसाफिर को देख कलेक्टर ने मांगी माफी

दमोह में कुछ ऐसा हुआ कि कलेक्टर को हाथ जोड़कर माफी मांगनी पड़ी। दरअसल कलेक्टर सुधीर कोचर रैन बसेरे का औचक निरीक्षण पर पहुंचे थे। तभी उनके सामने एक मुसाफिर फफककर रो पड़ा और…

author-image
Anjali Dwivedi
New Update
dm
Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

Damoh. मध्य प्रदेश के दमोह में इस समय सर्दी तेज है और रात में कंपकंपाने वाली ठंड है। इसी ठंड में जिला अस्पताल के रैनबसेरा से एक मरीज के परिजन को बाहर कर दिया गया। युवक ठंड में फुटपाथ पर बैठा था, तभी वहां औचक निरीक्षण के लिए कलेक्टर पहुंचे। कलेक्टर सुधीर कोचर को देखते ही वह उनके पास आकर जोर-जोर से रोने लगा।  

5 प्वाइंट में समझें क्या है मामला

  • दमोह जिला अस्पताल के रैनबसेरा से एक मुसाफिर को सर्द रात में बाहर निकाल दिया गया।

  • औचक निरीक्षण पर पहुंचे कलेक्टर को देखते ही वह युवक फफककर रो पड़ा।

  • अन्य मुसाफिरों ने भी बताया कि उन्हें रैनबसेरा के कमरे में रुकने नहीं दिया जाता।

  • कलेक्टर ने खुद को जिम्मेदार मानते हुए सबके सामने हाथ जोड़कर माफी मांगी।

  • उन्होंने कर्मचारियों के निलंबन और रैनबसेरा की सुविधाएं दुरुस्त करने के आदेश दिए।​

ऐसे खुली रैनबसेरा की हकीकत

दरअसल दमोह कलेक्टर सुधीर कोचर अस्पताल परिसर के रैनबसेरा का अचानक निरीक्षण करने पहुंचे थे। जांच के दौरान उन्हें कई मुसाफिर भवन के बाहर ठंड में बैठे दिखे। मुसाफिरों ने बताया कि स्टाफ रात होते ही सबको बाहर कर देता है। इसके बाद इमारत में ताला लगाकर कर्मचारी आराम से घर चले जाते हैं। 

dm

dm

कलेक्टर ने क्यों मानी गलती? 

रोते युवक ने बताया कि वह परिजन का इलाज कराने आया है, लेकिन उसे बाहर कर दिया गया। अन्य मुसाफिरों ने भी कहा कि रैनबसेरा होने के बाद भी उन्हें सहूलियत नहीं मिलती। कलेक्टर ने सबकी बात ध्यान से सुनी और खुद को सिस्टम की नाकामी के लिए जिम्मेदार माना। उन्होंने वहीं खड़े होकर हाथ जोड़कर सभी ठिठुरते मुसाफिरों से माफी मांगी।  

कलेक्टर का सख्त एक्शन और आश्वासन

कलेक्टर ने भरोसा दिलाया कि दोषी कर्मचारियों को किसी कीमत पर नहीं छोड़ा जाएगा। उन्होंने संबंधित कर्मचारियों के निलंबन की बात कही और कार्रवाई के निर्देश दिए। साथ ही नगर पालिका और जिम्मेदार अधिकारियों को रैनबसेरा सेवाएं तुरंत सुधारने के आदेश दिए। 
 
कलेक्टर ने कहा कि आगे से कोई भी जरूरतमंद बाहर नहीं सोएगा। चमचमाती इमारत, लेकिन मुसाफिर बाहर शहर के बीचों बीच रैनबसेरा की दो नई और चमकदार इमारतें बनी हुई हैं। इनका रंगरोगन, बिस्तर और अन्य सामान पर हर साल लाखों रुपए खर्च होते हैं।

इसके बावजूद इमारतों पर ताला लगा रहता है और कमरों में कोई मुसाफिर नहीं दिखता। मुसाफिरों का आरोप है कि असल फायदा गरीबों की बजाय बंद कमरों और स्टाफ को मिलता है।

अस्पताल रैनबसेरा पर शराबियों का कब्जा

जिला अस्पताल के पास बने रैनबसेरा की तस्वीर और भी चौंकाने वाली है। मुसाफिरों ने बताया कि यहां रात में अक्सर शराब पीने वाले लोगों का जमावड़ा रहता है। कमरों के भीतर नशे में धुत लोग पड़े रहते हैं और असली जरूरतमंद बाहर ठंड में बैठा रहता है। damoh collector के निरीक्षण में यह बात सामने आने पर अधिकारियों के चेहरे उतर गए।  

सिस्टम की नाकामी पर कलेक्टर की सार्वजनिक माफी

कलेक्टर सुधीर कोचर ने खुले तौर पर माना कि यह उनके सिस्टम की बड़ी गलती है। उन्होंने कहा कि सरकार गरीबों के लिए व्यवस्था करती है, पर नीचे स्तर पर लापरवाही हो रही है। दोनों रैनबसेरों में एक भी मुसाफिर न मिलने पर उन्होंने अफसोस जताया। उन्होंने भरोसा दिया कि अब हर जरूरतमंद को रैनबसेरा की सुविधा जरूर मिलेगी। 

ये खबरें भी पढ़ें...

GRP आरक्षक ने दिव्यांग को बेरहमी से पीटा, वीडियो वायरल होते ही सस्पेंड

बहू ने सास-ससुर की देखभाल से किया इनकार, जबलपुर हाईकोर्ट ने लगाई फटकार

नगर पालिका और प्रशासन पर बड़े सवाल

रैनबसेरा पर ताला और मुसाफिर सड़क पर, यह तस्वीर स्थानीय प्रशासन पर सवाल उठाती है। नगर पालिका के अधिकारियों को भी इस स्थिति की जानकारी नहीं थी या वे अनदेखी करते रहे। कलेक्टर के निरीक्षण के बाद जब अफसरों को सच पता चला तो वे भी हैरान रह गए। अब देखने वाली बात होगी कि फील्ड स्तर पर तय समय में क्या बदलाव दिखता है।

गरीब मुसाफिर के लिए रैनबसेरा क्यों जरूरी

सर्द रात में बाहर सोना बुजुर्गों, मरीजों और बच्चों के लिए जानलेवा हो सकता है। रैनबसेरा जैसी योजना का मकसद ही ऐसे मुसाफिरों को सुरक्षित आश्रय देना है। जो लोग इलाज, काम या जरूरी काम से शहर आते हैं, उन्हें सस्ती और सुरक्षित जगह चाहिए। इसलिए व्यवस्था कमजोर होने पर सीधे सबसे कमजोर वर्ग प्रभावित होता है।  

अब लोगों की उम्मीदें और आगे की निगरानी

कलेक्टर की माफी और सख्त बयान से लोगों में उम्मीद जरूर जगी है। मुसाफिर चाहते हैं कि सिर्फ कार्रवाई की खबर न बने, जमीनी बदलाव भी दिखे। स्थानीय सामाजिक संगठन और मीडिया अब इन रैनबसेरों पर निगरानी बढ़ा सकते हैं।  ताकि भविष्य में कोई मुसाफिर ठंड में सड़क पर रोने को मजबूर न हो।  

ये खबरें भी पढ़ें...

सुप्रीम कोर्ट में 27% ओबीसी आरक्षण केस फिर अटका, आज की सुनवाई टली

आईएएस संतोष वर्मा और जज रावत के बीच हुई 114 बार बात, आदेश सुबह 4 से 7 बजे के बीच बना

damoh मध्य प्रदेश damoh collector दमोह कलेक्टर कलेक्टर दमोह कलेक्टर सुधीर कोचर अस्पताल रैनबसेरा
Advertisment