बहू ने सास-ससुर की देखभाल से किया इनकार, जबलपुर हाईकोर्ट ने लगाई फटकार

जबलपुर हाईकोर्ट में एक मामला आया, जिसमें पत्नी ने अनुकंपा नियुक्ति तो ले ली। लेकिन सास-ससुर की देखभाल से इंकार कर दिया। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि जिम्मेदारी से भागना उचित नहीं है।

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Neel Tiwari
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JABALPUR. जबलपुर हाईकोर्ट में एक मामला सामने आया, जहां पत्नी ने पति की मौत के बाद अनुकंपा नियुक्ति ली। लेकिन सास-ससुर की देखभाल करने से इंकार कर दिया। कोर्ट ने कहा, नौकरी का लाभ लेने के बाद जिम्मेदारी से भागना नहीं चलेगा।

भोपाल के गोविंदपुरा निवासी प्रमोद और रंजना श्रीवास्तव के बेटे प्राचीर श्रीवास्तव की 2020 में मौत हुई। वह सरकारी कर्मचारी थे। मां-बाप की सहमति से उनकी नौकरी अनुकंपा नियुक्ति के तहत बहू प्रियंका माथुर को मिली। बहू ने सास-ससुर की देखभाल से इनकार कर दिया। यह मामला भोपाल एसडीएम कोर्ट से हाईकोर्ट पहुंचा।

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बहू ने सास ससुर को छोड़ा बेसहारा 

नौकरी मिलने के कुछ दिनों बाद प्रियंका ने सास-ससुर के खिलाफ घरेलू हिंसा की शिकायत की। इसके बाद वह घर छोड़कर चली गई। दिवंगत प्राचीर के मां-बाप ने लगभग 4 साल तो जैसे तैसे काटे। उसके बाद आर्थिक परेशानियों के चलते उन्होंने एसडीएम कोर्ट में आवेदन दिया।

आवेदन में उन्होंने मांग की कि उनकी बहू उनकी देखभाल करें। 19 मई 2025 को सब डिविजनल ऑफिसर गोविंदपुरा ने आदेश जारी किया। प्रियंका को सास-ससुर के साथ रहकर उनकी देखभाल करनी होगी। इस आदेश के खिलाफ प्रियंका हाईकोर्ट पहुंच गई। उसने सास-ससुर के खिलाफ याचिका दाखिल कर 19 मई के आदेश को चुनौती दी।

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देखभाल करो, नहीं तो छोड़ दो नौकरी - HC 

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में किसी याचिका की सुनवाई 3 दिसंबर को चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डिविजनल बेंच में हुई। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि प्रियंका डोमेस्टिक वायलेंस की शिकायतों के बाद घर से अलग रह रही हैं। वह सास-ससुर की देखभाल करने में सक्षम नहीं हैं। कोर्ट ने इस बात पर कड़ी आपत्ति जताते हुए फटकार लगाई। चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा ने कहा कि जब उनके बेटे की अनुकंपा नियुक्ति ली है तो देखभाल करने से कैसे पीछे हट सकते हैं। 

कोर्ट ने कहा, यदि बेटा जिंदा होता, तो वह भी मां-बाप की देखभाल करता। बहू को भी वही कर्तव्य निभाना होगा। कोर्ट ने कहा, अगर देखभाल नहीं कर सकती, तो नौकरी छोड़ दे। नौकरी परिवार के किसी और सदस्य को दी जाएगी। कोर्ट ने साफ कहा, नौकरी का लाभ लेने के बाद जिम्मेदारी से बचना नहीं चलेगा। यदि बहू उनके साथ नहीं रहना चाहती, तो अलग रहकर देखभाल करे। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने इस पर सहमति जताई।

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वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए कोर्ट में होगा मामले का पटाक्षेप

इस मामले में परिवादी बनाए गए प्रमोद श्रीवास्तव की उम्र 72 वर्ष है। उनकी पत्नी रंजना श्रीवास्तव की उम्र 65 वर्ष है। अब इन बुजुर्ग मां-बाप को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए पेश किया जाएगा। इसके लिए कोर्ट ने डिस्ट्रिक लीगल सर्विस ऑथोरिटी भोपाल के सेक्रेटरी को निर्देशित किया है। इसके साथ ही कोर्ट ने याचिकाकर्ता प्रियंका माथुर को कोर्ट में मौजूद रहने का आदेश दिया है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 8 जनवरी 2026 को तय की गई है।

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