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JABALPUR. मध्यप्रदेश में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण से जुड़े मामले की सुनवाई एक बार फिर SC में टल गई है। सोमवार, 3 दिसंबर को लिस्टेड सुनवाई निर्धारित समय पर नहीं हुई। राज्य सरकार के अधिवक्ता कोर्ट में उपस्थित नहीं हो पाए। बताया गया कि वे किसी अन्य कोर्ट में व्यस्त थे, जिसके चलते उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से समय मांगा।
आरक्षित वर्ग की ओर से अधिवक्ता वरुण ठाकुर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मौजूद रहे। उन्होंने कोर्ट से कहा कि यह मामला 6 साल से लंबित है। हजारों चयनित अभ्यर्थियों का भविष्य दांव पर है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई 4 दिसंबर के लिए तय कर दी है। हालांकि ओबीसी वर्ग की ओर से अधिवक्ता वरुण ठाकुर के अनुसार कल सुनवाई होने की संभावना बढ़ गई है।
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होल्ड कैटेगरी के अभ्यर्थियों का दर्द
लगातार लंबित हो रही इस सुनवाई और 6 वर्षों की त्रासदी से जूझ रहे अभ्यर्थियों ने आखिरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी पत्र लिखा है। यह पत्र 13% श्रेणी में रखे गए लगभग एक लाख ‘होल्ड’ अभ्यर्थियों की ओर से भेजा गया है।
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अभ्यर्थियों ने पत्र में लिखा है
2019 से मध्य प्रदेश की सभी भर्ती प्रक्रियाओं में 13% सीटों को रिजर्व रखकर परिणाम रोके जा रहे हैं। सिविल सेवा, सिविल सेवा, चिकित्सा, पटवारी, कांस्टेबल, जूनियर इंजीनियर जैसी परीक्षाओं में हजारों उम्मीदवार चयनित हुए हैं। फिर भी उन्हें पदस्थापना से वंचित किया गया है। यह होल्ड अभ्यर्थी अनारक्षित और ओबीसी दोनों वर्गों से हैं।
सरकार ने ‘87:13’ फार्मूला लागू कर दिया है, जिसके कारण चयन प्रक्रिया बुरी तरह प्रभावित है।
राज्य सरकार पिछले 5 वर्षों से मामले में उचित पैरवी नहीं कर रही, जिससे न्याय मिलने में लगातार देरी हो रही है।
अभ्यर्थियों ने पीएम से मांग की है कि राज्य सरकार को निर्देश दें कि वे तत्काल समाधान निकालें क्योंकि यह केवल सरकारी स्तर पर ही संभव है।
- अक्टूबर में सुनवाई का मौका मिला था, पर सरकार ने कई बार समय बढ़वाया।
- अक्टूबर माह में यह केस सुप्रीम कोर्ट की लिस्ट में सबसे ऊपर था और फाइनल हियरिंग की उम्मीद जग चुकी थी।
- 8 अक्टूबर को भी सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने ‘अधिक समय’ की मांग की।
- 9 अक्टूबर को भी सुनवाई शुरू होते ही उन्होंने फिर तारीख आगे बढ़ाने का आग्रह कर दिया।
112वें नंबर लिस्ट था मामला
कोर्ट ने नवंबर के दूसरे सप्ताह में तारीख तय की थी। कोर्ट ने कहा था कि अगली बार फाइनल हियरिंग होगी। लेकिन मामला 100वें नंबर के आसपास लगा। 20 और 27 नवंबर को सुनवाई नहीं हो पाई। 3 दिसंबर को यह मामला 112वें नंबर पर था। आज भी सरकारी अधिवक्ताओं की अनुपलब्धता के कारण सुनवाई नहीं हुई।
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सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार कहा कि राज्य सरकार ने 6 साल तक सक्रियता नहीं दिखाई। अब कोर्ट 'अंतरिम राहत' नहीं, अंतिम निर्णय करेगा। हाल ही में एक सुनवाई में यह बात उठी कि मामला हाईकोर्ट भेजा जा सकता है। यह आरक्षण जनसांख्यिकी और स्थानीय आंकड़ों से जुड़ा मुद्दा है। हालांकि, इस दिशा में अब तक कोई अंतिम निर्णय नहीं हुआ। ओबीसी वेलफेयर कमेटी ने कहा था कि हाईकोर्ट का स्टे हटा दिया जाए। इससे भर्ती प्रक्रिया आगे बढ़ सके। लेकिन बेंच ने इस पर कोई आदेश नहीं दिया।
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27% OBC आरक्षण पर सुनवाई टली: यह मामला 2019 में शुरू हुआ था। हाईकोर्ट ने 27% ओबीसी आरक्षण पर रोक लगाई थी। राज्य सरकार ने कई बार ट्रांसफर याचिकाएं दायर कीं। इससे प्रक्रिया जटिल हो गई। हर बार सरकार ने अदालतों से समय मांगा। इसके कारण हजारों अभ्यर्थियों का भविष्य अटक गया। आज की सुनवाई में सरकारी अधिवक्ता गैरहाजिर रहे। अब सबकी नजरें 4 दिसंबर की सुनवाई पर हैं।
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